New Delhi : कमरे की बत्ती अगर कोई कुछ पल के लिए बंद कर देता है तो हमें बेचैनी होने लगती है, लेकिन ऐसे लोगों के बारे में सोचें जिन्होंने जिंदगी में उजाला देखा ही नहीं। जिंदगी में हमारी आंखे बड़ी मायने रखती हैं। जब हम दृष्टिबाधित या दिव्यांग लोगों के बारे में सोचते हैं तो हमारे मन में बस एक ही ख्याल आता है कि वे किस तरह की जिंदगी जीते होंगे। लेकिन आज हम आपको जिस दिव्यांग व्यक्ति के जज्बे की दास्तान बताने जा रहे हैं उसके बारे में जानकर आपकी ये धारणा बदल जाएगी।
When told he wouldn’t be able to pursue his dream of studying science, #OYW Ambassador Kartik Sawhney's life came to a standstill.
Rather than give in, Kartik redirected the narrative of his story – changing the lives of blind students across India in the process. 👇 pic.twitter.com/1Um33J6SuE
— One Young World (@OneYoungWorld) February 26, 2020
क्योंकि दिल्ली के रहने वाले इस दिव्यांग ने जो मुकाम हासिल किया वो सामान्य श्रेणी के लोग भी प्राप्त नहीं कर पाते। इनका नाम है कार्तिक साहनी जो कि बचपन से ही देख नहीं सकते लेकिन आज वो कर रहे हैं जो देखने वाले लोग भी नहीं कर पाते।
दिल्ली के लाजपत नगर में रहने वाले एक परिवार में जन्मे कार्तिक को अंधेरा जन्म से ही मिला लेकिन उस अंधेरे से दोस्ती कर कार्तिक ने अपने उजाले के मार्ग कड़ी मेहनत कर खुद बनाए। कार्तिक ने इस बात का कभी मलाल ही नहीं आने दिया कि उसके शरीर में कुछ कमी है। कार्तिक शुरू से ही पढ़ने में काफी तेज रहे। जब उनके मां-बाप ने उनका स्कूल में दाखिला कराने की सोची तो ज्यादातर स्कूल ने उन्हें एडमिशन देने से मना किया और कहा कि ऐसे बच्चों के लिए ब्लांइड स्कूल होते हैं, कार्तिक को इसका सामना इसलिए करना पड़ा कि वो शुरू से मैथ्स और सांइस को पढ़ना चाहते थे।
"To achieve something you need a vision, not vision." ~ former president of India, quoted by Kartik Sawhney
Dear Kartik, you are an inspiration for many of us! *Clapping & cheering was happening in the livestreaming area!! #oyw2019 #oyweurope2 #London #Cyprus pic.twitter.com/QvaQSdEr2F— Maria Kola (@filosofoui) October 25, 2019
10वीं के बाद जब उन्होंने सांइस से पढ़ाई करनी चाही तो सीबीएससी ने उनके एडमिशन पर रोक लगा दी। क्योंकि एक नेत्रहीन छात्र के लिए रेखांकन, आरेख, आदि को समझना मुश्किल होता है। दूसरी बात सीबीएससी पास उनके जैसे छात्रों को पढ़ाने के लिए सही प्रणाली नहीं है और इसलिए सीबीएसई ने आवेदन को अस्वीकार कर दिया। कार्तिक ने अपने अधिकारों के लिए खड़े होने का फैसला किया। उन्होंने एक साल तक एनजीओ और कोर्ट की मदद से अपनी लड़ाई लड़ी और जीत हासिल की।
कार्तिक को प्रवेश पाने के लिए सीबीएसई के खिलाफ खड़ा होना पड़ा। उन्होंने 95 प्रतिशत के साथ 12 वीं कक्षा उत्तीर्ण की। कार्तिक ने बारहवीं की परीक्षा देने से पहले ही ठान लिया था कि वो देश का सबसे प्रतिष्ठित संस्थान आईआईटी में दाखिला लेंगे। उन्होंने आईआईटी में दाखिले के लिए जेईई यानी ‘जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम’ के लिए भी तैयारी शुरू कर दी थी। कार्तिक ने अपनी काबिलियत को परखने के बाद ही एडमिशन के लिए एपलाई किया। लेकिन, आईआईटी के नियमों के मुताबिक किसी नेत्रहीन विद्यार्थी को संस्था में दाखिला नहीं दिया जा सकता था। इस बाधा के आगे कार्तिक अपने सपनों को कुर्बान नहीं करना चाहते थे।
Meet Kartik Sawhney, @QueensLeaders and founder of Project STEMAccess in India #QueensYoungLeaders https://t.co/ly9eQkQXrX
— The Royal Family (@RoyalFamily) June 17, 2016
2013 में कार्तिक ने अमेरिका की जानी मानी युनिवर्सिटी स्टेनफॉर्ड में इंजीनीयरिंग की पढ़ाई के लिए एपलाई किया। महत्वपूर्ण बात तो ये है कि कार्तिक ने यूनिवर्सिटी की परीक्षा पास कर “फुल स्कालरशिप” हासिल की। यानी कार्तिक को यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के लिए कोई फीस नहीं देनी पड़ी। कार्तिक की अनेक कामयाबियों में ये भी एक बड़ी कामयाबी थी। आज कार्तिक अपने जैसे युवाओं का भविष्य सुधारने के लिए तकनीकी क्षेत्र में काफी प्रयास कर रहे हैं।