आदिवासी गांव की लड़की अब बनेगी संयुक्त राष्ट्र संघ में सलाहकार, पूरी दुनिया कर रही सलाम

New Delhi : उड़ीसा के एक छोटे से जनजातीय गांव की रहने वाली अर्चना सोरेंग जिन्हें कुछ दिनों पहले ही कोई नहीं जानता था आज उन्हें देश ही नहीं पूरी दुनिया में पहचान मिली है। दरअसल अर्चना को विश्व कल्याण के लिए काम करने वाली संस्था संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने अपने सलाहकार समूह में शामिल किया है। अर्चना और उनका परिवार पीढ़ियों से पर्यावरण की देख रेख और उपाय करता आया है।

अर्चना ने परिवार के इस नेक काम को कड़ी मेहनत से पढ़ाई कर प्रोफेशनल में बदल लिया है। और अब वे अब दुनिया भर के पर्यावरण को सुधारने का काम करेंगी। छोटे से गांव से आकर इतनी ऊंची उड़ान अर्चना ने भरी है कि आज पूरा देश उन्हें सलाम कर रहा है।
अर्चना उड़ीसा के एक छोटे से जनजातीय गांव खड़िया की रहने वाली हैं। उनका गांव और जिला पिछड़े क्षेत्रों में गिना जाता है, जहां शिक्षा का भी आभाव है, लेकिन अर्चना ने इन सभी समस्याओं से न केवल पार पाया बल्कि अब गांव के लोगों को भी इन समस्याओं से छुटकारा दिलाने के प्रयास कर रही हैं। पटना वूमेंस कॉलेज से राजनीति विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने मुंबई के टीआईएसएस से स्नातकोत्तर की पढ़ाई की और इस दौरान छात्रसंघ की अध्यक्ष भी रहीं। उन्होंने वकालत की भी पढ़ाई की है।
जलवायु परिवर्तन पर काम करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के महासचिव के सलाहकार के रूप में जिस 7 सदस्ययी युवा सलाहकार समूह का चयन हुआ है उनमें अर्चना भी है। इस समूह का काम दुनिया के पर्यावरण विषयों पर सलाह और समाधान देना है। इस समहु के सदस्य सभी क्षेत्रों के साथ-साथ छोटे द्वीप राज्यों के युवाओं की विविध आवाजों का भी प्रतिनिधित्व करते हैं।

अर्चना भारतीय कैथोलिक युवा आंदोलन (ICYM) की एक सक्रिय सदस्य हैं और अपने समुदायों के पारंपरिक ज्ञान और प्रथाओं को संरक्षित करने और छोटे छोटे प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए स्वदेशी युवा समूहों के साथ भी काम कर रही हैं। अपनी नियुक्ति को स्वीकार करते हुए, अर्चना कहती हैं, “हमारे पूर्वज अपने पारंपरिक ज्ञान और प्रथाओं के माध्यम से सदियों से जंगल और प्रकृति की रक्षा कर रहे हैं। अब यह हम पर ये दायित्व आता है कि जलवायु संकट का मुकाबला करने में सबसे आगे हो।

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