New Delhi : 13 साल की उम्र में कोई बच्चा क्या कर सकता है क्या वो अपने खुद के आईडिया से करोड़ों की कंपनी खड़ी कर सकता है। जिस उम्र में बच्चे खिलौनों से खेतले हैं या जिस उम्र में बच्चों को बताना पड़ता है कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं इसी छोटी सी उम्र में मुंबई के तिलक मेहता ने बड़ा काम किया है। 13 साल की उम्र में तिलक आज एक करोड़ रुपये का टर्नओवर रखने वाली पेपर्स एन पार्सल कंपनी का मालिक है। ये कंपनी खुद तिलक ने अपने आइडिया के दम पर खड़ी की। छोटी सी उम्र में उनकी इस कामयाबी को आज बड़े बड़े कारोबारी सलाम कर रहे हैं और उन्हें रोल मॉडल के रूप में मानते हैं।
A few intimidating hours spent at @stxaviers addressing the students of the dream college of Mumbai where leaders of industry/politics like Mukesh Ambani and @AUThackeray have passed out from at Zephrus20 17/1/20.The session followed by a few questions was really a memorable one! pic.twitter.com/8FHo85lJ2b
— Tilak Mehta (@TilakMehta7) January 28, 2020
तिलक द्वारा खड़ी की गई पेपर एन पार्सल कंपनी दरअसल एक कुरियर प्रोवाइडर कंपनी है। लेकिन ये कोई साधारण कंपनी नहीं है। ये देश की सबसे सस्ती कुरियर प्रोवाइडर कंपनी है। जहां कुरियर और पार्सल के लिए आमतौर पर 400 से 500 रुपये लगते हैं वहीं तिलक अपनी कंपनी के जरीए लोगों को 40 रुपये में कुरियर सेवा उपलब्ध कराते हैं। उनकी कंपनी की इस खूबी की वजह से कंपनी बहुत तेजी से अपने ग्राहक बढ़ा रही है। तिलक ने जुलाई 2018 में इस कंपनी को शुरू किया था और आज उनकी ये कंपनी बड़ा कारोबार कर रही है।
woahhh! the first award of the year 2020 was @gcpawards. It was an honor to receive an award among the selected 100 child prodigies of the world from across the globe in the noble presence of @k_satyarthi through the hands of @thekiranbedi. Indeed a great gathering for GCPA 2020. pic.twitter.com/xExMkoscV4
— Tilak Mehta (@TilakMehta7) January 4, 2020
सबसे बड़ी और हैरानी की बात ये है कि आखिर वो कुरियर के दामों को इतना नीचे लाए कैसे। आपको ये बात जानकर हैरानी होगी कि तिलक की इस कंपनी में उनके अपने कोई कर्मचारी नहीं है। दरअसल तिलक मुंबई में कुरियर को पहुंचाने के लिए अलग से कर्मचारियों को नहीं रखते उनका ये काम करते हैं मुंबई के डब्बावाले जो रोजाना 2 लाख लोगों से मिलतें हैं और उनका पेट भरते हैं। तिलक इन्हीं की मदद से अपने कुरियर को ग्राहकों तक पहुंचाते हैं। इससे उन्हें अलग से डब्बावालो को वेतन नहीं देना होता बल्कि वो कुछ पैसे उन्हें एक पार्सल को पहुंचाने के देते हैं। छोटे पार्सलों की डिलीवरी की एवज में डब्बावालों को भी पैसे मिलते हैं, जिससे उनकी अतिरिक्त आमदनी भी हो जाती है।
"Age is just a number" proved right once again!! My 1st successful venture PapersNParcels at my age of 14 has been aquired by a multinational company within its 2.5 years of working. pic.twitter.com/wDhLk6EBAM
— Tilak Mehta (@TilakMehta7) April 20, 2020
तिलक को ये आइडिया कैसे आया इसके बारे में वो बताते हैं कि एक दिन जब मैं अपने रिश्तेदारों के यहां गया तो वहां अपनी मेथ्स की किताब भूल गया और जब मुझे उस किताब कि जरूरत पड़ी तो मैंने उसे कुरियर के द्वारा मंगवाना चाहा लेकिन उसका खर्चा 300 रुपये था। तिलक ने सोचा कि इतने में तो नई किताब ही आ जाएगी। फिर एक दिन उन्होंने अपने घर के बाहर एक डब्बावाल को देखा जिससे मैंने किताब तो मंगवाई ही उससे उनके पूरे नेटवर्क की जानकारी भी ली। इसी आइडिया पर हमने काम किया और कंपनी बना दी।