मोदी की साधना- वो नेता जिनके घर झाडू-पोंछा तक लगाते थे नरेंद्र, रोज सुबह धोते थे इनके कपड़े

New Delhi : आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 70वां जन्मदिन है। मोदी ने पिछले वर्ष अपने गृहराज्य गुजरात में अपना जन्मदिन मनाया था लेकिन इस बार वे कोरोना की वजह से नई दिल्ली में हैं। इस मौके पर हम आपको बताएंगे मोदी की दरियादिली और उनके बचपन से जुड़ी बातों के बारे में। यानी नरेंद्र मोदी के बाल आरएसएस कार्यकर्ता के रूप में। जब वे न सिर्फ अपने जीवन यापन के लिये चाय की दुकान चलाया करते थे बल्कि आरएसएस के संघ प्रचारक की सेवा के साथ-साथ पूरे कार्यालय में झाडू पोछा करते थे। वो दिनभर अथक मेहनत करने के बाद आरएसएस के मूल्यों को जिया करते थे।

दरअसल आजादी के बाद जब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर से प्रतिबंध हट गया तो संघ के तमाम कार्यकर्ताओं को संघ का प्रचारक बनाकर दूसरे राज्यों में भेजा जाने लगा था। पूना विश्वविद्यालय से वकालत की डिग्री ​लेने वाले संघ प्रचारक लक्ष्मण राव ईनामदार को गुजरात भेजा गया। बात 1958 की है जब दीपावली के दिन प्रांत प्रचारक लक्ष्मण राव ईनामदार मेहसाणा के वडनगर कस्बे में आये हुये थे। उन्हें वडनगर के बाल स्वयंसेवकों को शपथ दिलानी थी। बाल स्वयंसेवकों की उस लाइन में एक आठ साल का लड़का भी मौजूद था, जिसका नाम था नरेंद्र दामोदर दास मोदी।
उन दिनों नरेंद्र मोदी के पिता दामोदर दास वडनगर रेलवे स्टेशन पर चाय की दुकान चलाते थे। नरेंद्र मोदी उन दिनों भागवताचार्य, नारायनाचार्य स्कूल जाने से पहले चाय बेचने में पिता की मदद किया करते थे। बता दें कि 14 साल की उम्र में ही मां हीराबेन ने जसोदा के साथ नरेंद्र की शादी करवा दी थी। लेकिन जब गौने की बात आई तो वह अचानक गायब हो गये। अब मोदी ने वडनगर से अहमदाबाद आकर बस स्टैंड के पास मौजूद चाचा की कैंटीन में काम करना शुरू कर दिया था। कुछ दिनों बाद नरेंद्र ने एक साइकिल खरीदी और खुद की चाय की दुकान शुरू की। उन्होंने अपना पहला ठेला गीता मंदिर के पास लगाया।

सुबह की शाखा के वक्त संघ प्रचारक इसी रास्ते से आते-जाते थे। शाखा से वापस लौटते स्वयंसेवक मोदी की दुकान पर बैठकबाजी होने लगी। अब धीरे-धीरे नरेंद्र मोदी संघ के राज्यस्तरीय नेतृत्व के नजदीक आने लगे। इस दौरान उन्हें लक्ष्मण राव ईनामदार ने संघ कार्यालय में आकर रहने का न्यौता दिया। नरेंद्र मोदी की जुबांनी इस स्टोरी को पत्रकार एमवी कामत ने अपनी किताब नरेंद्र मोदी: द आर्किटेक्ट आॅफ मार्डन स्टेट में सिलसिलेवार ढंग से प्रस्तुत किया है।
2009 में प्रकाशित इस पुस्तक में कुछ इस तरह लिखा गया है- उन दिनों गुजरात के हेडगेवार भवन में कुल 10-12 लोग रहते थे। वकील साहब यानि लक्ष्मण राव ईनामदार ने मुझे वहां आकर रहने का न्यौता दिया। सुबह उठने के बाद मैं संघ प्रचारकों के लिए चाय और नाश्ता बनाता, फिर पूरे कार्यालय का झाड़ू पोछा लगाता। इसके बाद मैं मेरे और ईनामदार साहब के कपड़े धोता था। इसके बाद पूरा दिन दूसरे कामों लगा रहता।
पीएम मोदी कई बार अपनी कमाई गरीबों के लिए दान कर चुके हैं। मोदी ने गुजरात का CM रहते हुए गरीब बच्चियों के लिए अपनी सैलरी दान कर दी थी जिससे बच्चियां पढ़ पाएं और कुछ बन पाएं। मोदी ने जब गुजरात के सीएम का पद छोड़ा तो उन्होंने गुजरात की बेटियों के 21 लाख रुपए दान कर दिए।

इसके अलावा जब नेपाल में भूकंप आया तो मोदी ने अपनी सैलरी के 1 लाख 60 हजार रुपए दान कर दिए। मोदी जब पीएम बनकर दिल्ली आए तो भी यह सिलसिला जारी रहा। मोदी ने पिछले साल अपनी कमाई के 21 लाख रुपए गरीब सफाईकर्मियों के परिवारों के भले के लिए दान कर दी। मोदी कुंभ में स्नान करने गए और उन्होंने अपनी कमाई के 21 लाख रुपए सफाई कमिर्यों के भले के लिए दान कर दिए।

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