New Delhi : अमूर फाल्कन (अमल बाज) आखिरकार 29000 किलोमीटर का सफर पूरा करने इंडिया लौट आया है। 2019 में मणिपुर के तमेंगलोंग जिले में रेडियो-टैग किये गये पांच अमूर में से एक ईरग अपने 29,000 किमी के प्रवासी मार्ग को पूरा करने के बाद वापस राज्य में लौट आया है। वन और पर्यावरण मंत्रालय ने पक्षी संरक्षण में इस उपलब्धि को मील का पत्थर बताया है। अमूर फाल्कन कबूतर के आकार के प्रवासी बाज पक्षी हैं जो साइबेरिया में उत्पन्न होते हैं जहां वे गर्मियों में प्रजनन करते हैं। सर्दियों की शुरुआत में, वे भारत के लिए उड़ान भरते हैं, विशेष रूप से पूर्वोत्तर में, जहां वे दक्षिण अफ्रीका के लिये रवाना होने से पहले लगभग दो महीने तक आराम करते हैं। अफ्रीका में वे लगभग चार महीने तक रहते हैं।
Happy, hunting Amur Falcon flocks rising with the sun. Pangti village, Nagaland
October 2019.#IndiAves #RapchikRaptors @IndiAves @Avibase pic.twitter.com/LnZbDUDIXg— Neha Sinha (@nehaa_sinha) October 28, 2020
Every time when the story of Amur falcon comes in news it reminds me about the wonderful role played by the local communities and Nagaland Forest Deptt in saving this species from getting killed en masse. @rajkumar_ifs @Saket_Badola @BonnConvention @RandeepHooda pic.twitter.com/89X2zdYf9d
— Ramesh Pandey IFS (@rameshpandeyifs) October 28, 2020
Till 2012 they were hunted in thousands in Nagaland. Which became a huge issue. Later govts, community members & NGOs came forward to conserve them. Now Nagaland happily welcome them & even celebrate Amur Falcon festival every year. A great success story. PC Nagalandpost pic.twitter.com/onoQVvZwXJ
— Parveen Kaswan, IFS (@ParveenKaswan) October 28, 2020
पिछले साल 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को पांच अमूर फाल्कन – पुचिंग, च्युलोन, फालोंग (मणिपुर गांवों के नाम पर रखे गये इनके नाम), ईरग और बराक (मणिपुर नदियों के नाम पर) – मणिपुर वन के बीच एक सहयोगी परियोजना के हिस्से के रूप में रेडियो-टैग किये गये थे। इस परियोजना को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय, वन और जलवायु परिवर्तन द्वारा प्रवासी पक्षियों, विशेष रूप से अमूर फाल्कन के संरक्षण के लिये वित्त पोषित किया गया है।
रेडियो-टैगिंग यात्रा इतिहास, मार्ग और प्रवासी पक्षियों के प्रवास को उनकी यात्रा के दौरान ट्रैक करने में मदद करता है ताकि उचित संरक्षण उपायों को तैयार किया जा सके। वन विभाग के अफसर ने मीडिया से बात करते हुये कहा- हम बहुत खुश हैं कि च्युलोन और इरग नाम के दो पक्षी 361 दिनों के एक पूर्ण चक्र के बाद वापस आ गये हैं। च्युलोन 26 अक्टूबर को तमेंगलोंग में आठ विश्राम स्थलों में से एक, पुचिंग गांव पहुंचा, जबकि इरग बुधवार 28 अक्टूबर की सुबह पहुंच गया। हमें बहुमूल्य जानकारी मिलेगी। ये पक्षी ठंड के प्रति संवेदनशील हैं, सर्दियों की शुरुआत में साइबेरिया से उड़ान का एक कारण है।
इरग 25 अक्टूबर को तामेंगलांग से लगभग 200 किमी दूर चंदेल पहुंचा, लेकिन वन विभाग ने पक्षी से संपर्क खो दिया था। हालांकि, चिंता खुशी के साथ बदल गई क्योंकि ईरग बुधवार को पुचिंग लौट आया। तामेंगलांग राज्य की राजधानी इंफाल से लगभग 100 किमी और पुचिंग से लगभग 30 किमी दूर है।
The people of #Manipur particularly in Tamenglong district where the 2 Amurs were tagged in Nov 2019 had been anxiously awaiting the arrival of the tagged #Amurs and this has now come true.#AmurFalcon #MigratoryBirds pic.twitter.com/vYyT7SDKGU
— MoEF&CC (@moefcc) October 27, 2020
मंत्रालय ने एक ट्वीट में पक्षियों के आगमन की घोषणा की- पक्षियों के संरक्षण प्रयासों में एक मील का पत्थर हासिल किया गया है, अमूर फाल्कन को मणिपुर में टैग किया गया जो अपने प्रवासी मार्ग को पूरा करने के बाद वापस राज्य लौट आया है। 29,000 किलोमीटर च्युलोन नाम का एक और अमूर भी कल राज्य में आया है।