New Delhi : “बेटियां सिर्फ सुरक्षा मांगने के लिए ही नहीं वो दूसरों को सुरक्षा देने के लिए भी सक्षम होती हैं” ये कहना है एक छोटे से गांव की लड़की जो अब भारतीय पुलिस सेवा यानी आईपीएस है, इल्मा अफरोज़ का। इल्मा उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव से निकल कर दिल्ली के जाने माने सेंट स्टीफंस कॉलेज में पढ़ीं। वो गांव जहां कहा जाता था कि लड़की शादी के अलावा और क्या कर सकती है, उस गांव से निकलकर वो अपनी प्रतिभा के दम पर विदेश पहुंची। जहां उन्होंने पढ़ाई की और अच्छी खासी नौकरी की, लेकिन इल्मा यहां भी नहीं रुकीं उन्होंने विदेश की वो नौकरी छोड़ अपने देश के लिए कुछ करने की ठानी और भारत वापस आकर आईपीएस ऑफिसर बनी। उनकी ये कहानी न सिर्फ प्रेरणादायी है बल्कि भावुक कर देने वाली भी है।
See How Ilma Afroz became an IPS Officer. Inspirational. Must Watch.
वीडियो: समरा फ़ातिमा pic.twitter.com/qKrzBk2fDj
— Starcasm (@shayrana) May 14, 2019
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के छोटे से गांव कुंदरकी में पली-बढ़ी इल्मा का जीवन बड़े संघर्षों में बीता। जहां से वो आती हैं वो आज भी अविकसित क्षेत्रों में गिना जाता है। परिवार में पिता किसान और मां ग्रहणी थीं। पिता ही परिवार में एक मात्र आय का स्त्रोत थे। जब इल्मा 14 साल की थी तो उनके पिता का निधन हो गया। वो केंसर से पीढ़ित थे। इलाज मंहगा था इसलिए परिवार वाले करा नहीं पाए। उनके जाने के बाद परिवार के मुखिया के रूप में इल्मा की अम्मी ने जिम्मेदारियां अपने ऊपर लेने का फैसला किया। इल्मा की मां जो खुद ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं हैं उन्होंने कठिन हालातों में भी कभी भी बच्चों की पढ़ाई से समझौता नहीं किया। गांव में जहां लड़की को ज्यादा पढ़ाने लिखाने की बजाए उनकी शादी कर दी जाती थी उसी गांव में रहकर इल्मा की मां ने उन्हें पढ़ाया। कमाई का एक ही जरिया था खेती। इल्मा बताती हैं कि उनका पूरा जीवन गंवई परिवेश में बीता है। वो जब छोटी थी तो खुद खेत में अपनी मां के साथ हाथ बंटाती थीं।
इल्मा को शुरू से ही पढ़ने का बहुत चस्का था पर घर में कभी किताबों के लिए भी पैसे नहीं होते थे। इल्मा के पिता जब अपनी फसल बेचकर आते थे तो उनकी किताबें आती थीं। 12वीं तक की पढ़ाई इल्मा ने उत्तर प्रदेश से ही की। जब भी वो किसी परीक्षा में पास होती तो उनकी अम्मी उसे शाबाशी देती तब लोग कहते कि लौंडिया है आखिर क्या कर लेगी। ये ताना इल्मा की अम्मी को तब तक सहना पड़ा जब तक कि वो आईपीएस नहीं बन गईं। 12वीं इल्मा ने अच्छे नंबरों से पास की थी जिस कारण उन्हें स्कॉलरशिप मिली और उन्होंने दिल्ली स्थित देश के जाने माने कॉलेज सेंट स्टीफंस में दर्शन शास्त्र विषय पढ़ने के लिए दाखिला ले लिया। यहां उनकी हाईयर एजूकेशन का बेस तैयार हुआ। इसके बाद यहां भी उन्हें स्कॉलर्शिप मिली जिसमें उन्हें ऑक्सफॉर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ने का मौका दिया गया। इल्मा की पढ़ाई और विदेश में रहने का सारा खर्च स्कॉलर्शिप के जरिए हुए लेकिन उनके पास विदेश जाने के लिए यात्रा करने तक के पैसे नहीं थे जिसे उन्होंने उधार लिया था।
She is Ilma Afroz, IPS, 2017 batch, HP Cadre. Please listen to her. pic.twitter.com/LLpB9Vkh06
— Balwant Jain (@Jainbalwant) January 26, 2019
ख्वाब बड़े-बड़े देखो: IPS Ilma Afroz
Click on the link and watch complete videohttps://t.co/cTFXENsmjX pic.twitter.com/9sE3h7wQiD— Millat Times (@Millat_Times) April 14, 2020
Young Ilma Afroz is an inspiration.
From UP Village to Oxford to IPS:
Inspired by Gandhiji’s dream to ‘wipe every tear from every eye’, she wanted to do her bit in fulfilling Gandhiji’s dream”https://t.co/a6TWY7Ez15— Jaini /উজ্জয়িনী/ اجینی (@IchbinUjjaini) July 12, 2019
Was a fun break to be part of CII's IWN event yesterday, and get to be on the same dais as legendary Meera Shankar ma'am and firebrand young IPS officer in training Ilma Afroz! I realised I'm far better at talking about work than about myself though 😬 pic.twitter.com/nHAQTs9Elb
— Varsha Joshi (@suraiya95) February 23, 2019
इंग्लैंड से पढ़ाई पूरी करने के बाद वो अमेरिका आ गईं। यहां उन्हें एक जॉब ऑफर भी जिसमें उन्होंने कुछ दिन काम भी किया। यहां इल्मा का रहन सहन काफी हाई-फाई माहौल के अनुसार ढल रहा था। लेकिन उन्हें अपने गांव और अपने घर की वो गरीबी नहीं भूलाये भूलती थी जिसमें उन्होंने अपनी जिंदगी बिताई है। वो सोचा करती कि कितने और लोग वहां इसी तरह की जिंदगी बिता रहे होंगे तो मेरा इतनी पढ़ाई करने का क्या फायदा हुआ। उनहोंने नौकरी छोड़ दी और अपने गांव वापस आ गई। इल्मा ने 2017 में UPSC की सिविल सेवा परीक्षा 217वीं रैंक से पास की। उन्हें ट्रेनिंग के लिए हैदराबाद भेजा गया जहां उनकी ट्रेनिंग हुई। इसके बाद उन्हें हिमाचल प्रदेश कैडर में आईपीएस नियुक्त किया गया।