New Delhi : एक दलित परिवार में जन्मी लड़की जिसे छठी कक्षा के आगे पढाया नहीं गया और 12 साल की उम्र में ही उसकी शादी कर दी गई। जिसने मुंबई आकर एक फेक्ट्री में 2 रुपये दिन के हिसाब से मजदूरी की वो आज दो हजार करोड़ रुपये की कंपनी की मालकिन है। वो लड़की जिसके पास कभी रास्तों पर चलने के लिए बस के किराये के लिए 60 पैसे नहीं होते थे उसके नाम से मुंबई में आज दो सडकों के नाम हैं। वो लड़की आज सफल बिजनेस वुमेन बन गई हैं जिनका नाम है कल्पना सरोज।
Coming from the slums of Mumbai to growing her business empire, Kalpana Saroj is an astute businesswomen and a passionate social worker working towards women empowerment, education and healthcare. Kalpana is truly an inspiration to many. TeamKalpanaSarojhttps://t.co/FRYQryBeBY pic.twitter.com/HjGpldjkuT
— Kalpana Saroj (@KalpanaSaroj) July 4, 2018
कल्पना सरोज कमानी ट्यूब लिमिटेड की चेयरपर्सन हैं। उनकी इस संघर्ष से भरी कहानी आपको भले ही कल्पना जैसी लगती हो लेकिन उन्होंने इसे न केवल जिया है बल्कि उसे सुंदर भी बनाया है। महाराष्ट्र में अकोला जिले के छोटे से गांव में 1961 को एक दलित परिवार में कल्पना का जन्म हुआ। उनके पिता हवलदार थे, जिनकी आय महीने की 300 रुपये थी। परिवार बड़ा होने के कारण बमुश्किल घर खर्च चल पाता था। गांव में तब रूढ़िवादी सोच पूरे प्रभाव के साथ मौजूद थी।
कल्पना सरकारी स्कूल में पढने जाती थीं, वे पढाई में होशियार थीं पर दलित होने के कारण यहाँ भी उन्हें शिक्षकों और सहपाठियों की उपेक्षा झेलनी पड़ती थी। इतना ही नहीं गांव में लड़कियों को एक बोझ समझा जाता था। उनके परिवार का भी यही हाल था। उनके मामा उन्हें कहते थे कि वो पैदा ही क्यों हो गई। इसी सोच से ग्रसित घरवालों ने उनकी शादी महज 12 साल की उम्र में ही कर दी। वो एक बाल विवाह था। जब उनकी शादी हो गई तो ससुराल में भी उन्हें परेशानी झेलनी पड़ीं।
PADMASHRI & NARI SHAKTI AWARDEE KALPANA SAROJ JI who is the epitome of woman empowerment and entrepreneurship has been selected for the BHARAT GAURAV AWARD this year.(2019).
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पति से लेकर सारे सदस्य उनके साथ बदतमीजी करते थे। ये सब सहते-सहते कल्पना की स्थिति इतनी बुरी हो चुकी थी कि जब 6 महीने बाद उनके पिता उनसे मिलने आये तो उनकी दशा देखकर उन्हें गाँव वापस लेकर चले गये। इसके बाद भी कल्पना ने सोचा कि अब जिंदगी में थोड़ा सुख मिलेगा लेकिन जब वो वापस आईं तो समाज में उन्हें तरह तरह के ताने सुनने पड़े। कल्पना ने दोबारा अपनी पढ़ाई शुरू करने की सोची लेकिन जब वो स्कूल जाती तो लोगों की बातें उनसे सहन नहीं हो पाती।
The Indian army launched its final attacks in the last week of July; and the fighting ceased on 26th July. The day has since been marked as #KargilVijayDiwas (Kargil Victory Day) in India.
Throwback to the time I had met the army…..feeling proud ! pic.twitter.com/ewqSRGzzzQ— Kalpana Saroj (@KalpanaSaroj) July 26, 2019
इसलिए कल्पना ने पढ़ाई छोड़ दी। हर तरफ से मायूस कल्पना को लगा की जीना मुश्किल है और मरना आसान है। उन्होंने कहीं से खटमल वाली दवा की तीन बोतलें खरीदीं और पी लिया। उनका बचना मुश्किल हो गया लेकिन वो किसी तरह बच गईं। जीने की चाह लेकर लौटी कल्पना अब कुछ काम कर पैसा कमाना चाहती थीं। 16 साल की उम्र में कल्पना अपने चाचा के पास मुंबई आ गयी। वो सिलाई का काम जानती थीं, इसलिए चाचा जी उन्हें एक कपड़े की मिल में काम दिलाने ले गए यहं उन्हें 2 रुपये प्रति दिन के हिसाब से काम मिल गया।
जब कल्पना एक्पर्ट हो गईं उन्होंने अपने छोटे से घर में ही कुछ सिलाई मशीने लगा लीं और 16-16 घंटे काम करने लगीं। इसके बाद उन्होंने अपने काम को बढ़ाने के लिए बैंक से लोन लिया और 22 साल की उम्र मे फर्नीचर का बिजनेस शुरू किया जिसमे इन्हें काफी सफलता मिली। अब उन्हें शहर के नामी लोग जानने लगे थे। अब उन्होंने प्रोपर्टी डीलिंग का काम भी शुरू कर दिया। इसके बाद साल 2000 में उन्होंने कमानी ट्यूब की सालों से बंद पड़ी कंपनी को खरीद लिया। उसके बाद तो वो बिजनेस वुमेन की लिस्ट में गिनी जाने लगीं।