New Delhi : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एक राजनेता होने के साथ ही प्रखर वक्ता भी थे। उनके दिए गए भाषणों का विपक्ष भी कायल था और हर कोई उनके भाषण को सुनना पसंद करता है। उनके कई ऐसे भाषण हैं, जिन्हें आज भी लोग सुनना पसंद करते हैं। उसमें एक सबसे प्रमुख है साल 1977 में संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में दिया गया वाजपेयी का भाषण। साल 1977 में अटल बिहारी वाजपेयी, प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की सरकार में विदेश मंत्री थे और वो दो साल तक मंत्री रहे थे।
#Exclusive: @UN में हिंदी में भाषण देने वाले पहले भारतीय #अटल_बिहारी_वाजपेयी जी है। #AtalBihariVaajpayee pic.twitter.com/Pvug8qhzJJ
— भारत समाचार (@bstvlive) August 16, 2018
अटल बिहारी वाजपेयी को हिन्दी से बेहद लगाव था| आपने @UN में अपना पहला भाषण हिन्दी में ही दिया था जो उस वक्त बेहद लोकप्रिय हुआ और पहली बार यूएन जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की राजभाषा गूंजी। सभी देश के प्रतिनिधियों ने खड़े होकर तालियों से स्वागत किया था।#AtalJiJanmdin pic.twitter.com/rhPlEQ9hhs
— BJP MadhyaPradesh (@BJP4MP) December 21, 2017
उस दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण दिया था, जो उनके यादगार भाषणों में से एक है। यह भाषण बेहद लोकप्रिय हुआ और पहली बार यूएन जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की राजभाषा गूंजी।
कहा जाता है कि यह पहला मौका था जब यूएन जैसे बड़े अतंराष्ट्रीय मंच पर भारत की गूंज सुनने को मिली थी। अटल बिहारी वाजपेयी का यह भाषण यूएन में आए सभी प्रतिनिधियों को इतना पसंद आया कि उन्होंने खड़े होकर अटल जी के लिए तालियां बजाई। इस दौरान उन्होंने वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश देते हुए अपने भाषण में उन्होंने मूलभूत मानव अधिकारों के साथ-साथ रंगभेद जैसे गंभीर मुद्दों का जिक्र किया था। उसके बाद भी उन्होंने विदेशी मंचों पर कई भाषण दिए जो काफी लोकप्रिय हुए।
इस दौरान उन्होंने भाषण में कहा था- मैं भारत की ओर से इस महासभा को आश्वासन देना चाहता हूं कि हम एक विश्व के आदर्शों की प्राप्ति और मानव कल्याण तथा उसके गौरव के लिए त्याग और बलिदान की बेला में कभी पीछे नहीं रहेंगे।
#अटल जी द्वारा लिखी पहली कविता👇👇👇👇👇
यह ताजमहल, यह ताजमहल
यमुना की रोती धार विकल
कल कल चल चल
जब रोया हिंदुस्तान सकल
तब बन पाया ताजमहलयह ताजमहल, यह ताजमहल..!!'
कैसा सुंदर अति सुंदरतर…जब रोया हिंदुस्तान सकल,
तब बन पाया यह ताजमहल…!!!💫#अटल_बिहारी_वाजपेयी#काव्य_कृति✍️ pic.twitter.com/T1Aht4GFq6— आरती सिंह 🎶📚 (@AarTee03) December 25, 2018
ठन गई!
मौत से ठन गई!
जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,
रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई।
मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं।-अटल बिहारी वाजपेयी #AtalBihariVajpayee#जन्मजयंती💐🎂#काव्य_कृति ✍️ pic.twitter.com/ZeyRli2S1S
— अभिषेक कुमार💦 (@Poet_Abhi) December 25, 2018
ऊँचे पहाड़ पर,
पेड़ नहीं लगते,
पौधे नहीं उगते,
न घास ही जमती है।जमती है सिर्फ बर्फ,
जो, कफ़न की तरह सफ़ेद और,
मौत की तरह ठंडी होती है।
खेलती, खिलखिलाती नदी,
जिसका रूप धारण कर,
अपने भाग्य पर बूंद-बूंद रोती है💥#अटल_बिहारी_वाजपेयी#अटल_जयंती#काव्य_कृति✍ pic.twitter.com/yC3AonWTO7— Anuradha Gupta (@Anu_Shree01) December 25, 2018
वाजपेयी अपने भाषणों में कविताओं का सहारा लेते हुए प्रखर वाणी में भाषण देते थे, जो श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देता था। उन्होंने भारतीय संसद में भी कई ऐसे भाषण दिए हैं, जिनकी विरोधियों ने भी तारीफ की।