गांव के MBBS डॉक्टर ने व्यवस्था से परेशान होकर ठुकराई 5 लाख की नौकरी, आज हैं IAS अफसर

New Delhi : IAS ऑफिसर बनना पैसे कमाने और दूसरी जॉब की तरह अपने करियर को चमकाना भर नहीं होता इस पद की अपनी एक गरिमा होती है। व्यवस्था का कर्ता-धरता इन्हीं अफसरों को माना जाता है। इसका ताजा उदाहरण हैं गोरखपुर के धीरज कुमार सिंह जिन्होंने अपनी MD और MBBS तक पढ़ाई करने के बाद एक IAS अफसर बनने के लिए 5 लाख रुपये महीने की नौकरी को ठुकरा दिया। धीरज ने पहले ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा को अच्छी रेंक के साथ पास किया। इतनी पढ़ाई करने और पैसा खर्च करने के बाद भला कौन एक बने बनाए करियर को छोड़ कर दूसरा करियर ऑप्शन तलाशता है।

लेकिन धीरज के लिए आईएएस अधिकारी बनना उनके करियर से ज्यादा व्यवस्था में सुधार लाना था। उनके साथ एक ऐसी घटना घटी कि उन्हें व्यवस्था के प्रति खीज उत्पन्न होने लगी, उस दिन के बाद से उन्होंने सिस्टम का हिस्सा बनकर ही इसे बदलने की ठान ली। पहले प्रयास में ही उन्होंने कैसे पाई सफलता आइये जानते हैं।
धीरज ने 2019 की यूपीएससी परीक्षा जिसका परिणाम अगस्त 2020 में आया है, को 64वीं रेंक के साथ पहले प्रयास में पास किया। वो एक मध्यवर्गीय परिवार से हैं और ग्रामीण क्षेत्र में पले बढ़े हैं। धीरज मूलरूप से गोरखपुर, उत्तरप्रदेश के रहने वाले हैं। उनकी 12वीं तक की पढ़ाई गांव के पास ही के एक हिंदी मी़डियम स्कूल से हुई है। 12वीं तक की पढ़ाई करने के बाद धीरज ने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस और फिर वहीं से एमडी किया। धीरज शुरू से ही पढ़ने में अच्छे थे फिर वो चाहें एमबीबीएस सीट हो या उससे भी कठिन एमडी सीट, धीरज ने दोनों एंट्रेंस न केवल पास किए बल्कि अच्छे नंबरों से डिग्री भी पूरी की। पढ़ाई में काफी समय लगाने के बाद अब वो मेडिकल ट्रीटमेंट के काबिल हो गए थे।
धीरज की मां अक्सर बीमार रहती थीं। उनके पिता दूसरे शहर में नौकरी करते थे। इस कारण धीरज को अक्सर बनारस से अपने गांव का सफर करना पड़ता था, इस वजह से उन्हें कई बार तो हर हफ्ते घर आना होता था और पढ़ाई बहुत प्रभावित होती थी। इसका हल उन्होंने सोचा कि अगर वो बड़े अफसरों से गुजारिश कर अपने पापा का ट्रांसफर अपने ही शहर में करा लें तो काफी अच्छा रहेगा। लेकिन जब उन्होंने इस बाबत अधिकारियों से बात की तो उनका काम करने की बजाए उनके साथ बेहद खराब ढ़ंग से बात की। उन्होंने सोचा कि अगर मैं एक पढ़ा लिखा डॉक्टर होकर अपने एक छोटे से काम को नहीं करा पा रहा हूं तो आम आदमी की क्या हालत होती होगी। ये बात उनके मन में बैठ गई। उन्होंने अपनी मेडिकल की पढ़ाई वहीं छोड़कर सिविल सेवा परीक्षा में बैठने का और आईएएस अफसर बनने का निर्णय ले लिया।
उनके इस फैसले से उनके घरवालों से लेकर उनके दोस्त तक अचंभित थे। उनके माता-पिता और कई दोस्तों ने उन्हें समझाया भी कि एक बना बनाया करियर छोड़ दूसरी लाइन में जाना सही नहीं होगा। ये मानकर धीरज ने फैसला किया कि अगर पहले प्रयास में परीक्षा वो पास नहीं कर पाए तो वो मेडिकल फील्ड में ही वापस आ जाएंगे।

उन्होंने पूरी मेहनत के साथ परीक्षा की तैयारी की। इसके लिए उन्होंने हर विषय को महत्वपूर्ण मानकर उसका बारीकी से अध्ययन किया। उन्होंने कोचिंग भी ली। इसका परिणाम ये रहा कि उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में इस परीक्षा को 64वीं रेंक के साथ पास कर लिया। आज उनके पिता और दोस्तों को उनपर गर्व है।

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