New Delhi : इन दिनों भारत-चीन के बीच लद्दाख में चल रहे तनाव के दौरान दौलत बेग ओल्डी हवाई पट्टी का इस्तेमाल हुआ है। इस पर न्यूज एजेंसी एएनआई ने पूर्व वाइस चीफ एयर मार्शल प्रणब कुमार बारबोरा से बात की, जिन्होंने बिना सरकार की इजाजत के ही उस हवाई पट्टी को 43 साल बाद एक्टिवेट कर दिया था। दौलत बेग ओल्डी दुनिया के सबसे ऊंचे लैंडिंग ग्राउंड में से एक है, जो 16,800 फुट की ऊंचाई पर है। इस हवाई पट्टी पर एएन-32 और सी-130जे सुपर हरक्युलिस जैसे विमान उतारे जा सकते हैं।
#WATCH "Nothing was done in writing, the government was informed through proper channels only after I had landed and come back from there": Former IAF Vice Chief, Air Marshal (retd) PK Barbora on reactivating Ladakh's Daulat Beg Oldi airstrip in 2008 pic.twitter.com/InTg82HpGY
— ANI (@ANI) June 7, 2020
बारबोरा ने एएनआई को बताया – उनसे पूछा गया कि बिना सरकार की इजाजत के उन्होंने एयरफील्ड को एक्टिवेट कैसे किया। इस पर उन्होंने कहा कि कुछ भी लिखित में नहीं था, इसलिए सरकार को इस बारे में प्रॉपर चैनल के जरिये तब सूचित किया गया जब वह लैंडिंग कर के वापस लौट आये।
उन्होंने कहा – इस पर सरकार ने पूछा था कि ऐसा क्यों किया? हमने कहा कि ये एयरफोर्स की जिम्मेदारी है कि वह ट्रूप्स लॉजिस्टिक्स को मेंटेन करे। भारत में हवाई पट्टी को एक्टिवेट करने के बाद चीनी सरकार इसे लेकर एक बैठक करना चाहती थी। भारत ने इस बैठक के लिए हामी भी भर दी थी, लेकिन चीन ने कभी उस मुद्दे पर बात नहीं की।
उन्होंने कहा – रक्षा मंत्री ने उनसे पूछा था कि जब वह भूकंप राहत सामग्री लेकर चीन के दौरे पर जायेंगे तो वह चीन की सरकार को क्या जवाब देंगे। बारबोरा ने कहा कि चीन ने उस दौरे पर एक बार भी रक्षा मंत्री के सामने दौलत बेग ओल्डी हवाई पट्टी को एक्टिवेट करने का मुद्दा नहीं उठाया।
Government asked why did you do it? We said it is the Air Force's responsibility to maintain troops’ logistics support and it falls within our jurisdiction, within Indian territory, so we did it: Former IAF Vice Chief, Air Marshal (retd) PK Barbora https://t.co/vfooWj8deI
— ANI (@ANI) June 7, 2020
उन्होंने बिना इजाजत लिये ऐसा करने की वजह भी बताई। उन्होंने कहा – 1962 में वह हवाई पट्टी शुरू हुई थी, जिस पर 1965 तक विमान उतरे। उसके बाद उसे बंद करना था, क्योंकि हमारे पास कोई एयरक्राफ्ट नहीं था। उस दौर में 1965 के बाद दौलत बेग ओल्डी हवाई पट्टी को एक्टिवेट करने का प्रस्ताव खारिज कर दिया जा रहा था। 43 साल बीत गये, लेकिन वहां फिर से ऑपरेट करने की इजाजत नहीं मिली। मैंने पूरे प्रोजेक्ट को स्टडी किया और एक फील्ड ऑफिसर से आग्रह किया जो पैरा ड्रॉपिंग आदि करता था। काम हो गया। हर चीज का रिव्यू करने के लिये हेलिकॉप्टर से ही वहां का जायजा लिया।