कानपुर मेट्रो निर्माण कार्य ने पकड़ी रफ्तार, प्रबंध निदेशक बोले- तय समय में पूरी होगी परियोजना

उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (यूपीएमआरसी) के इंजीनियर लॉकडाउन की वजह से पिछड़े हुए मेट्रो के निर्माण कार्य को फिर से रफ़्तार देने में क़ामयाब हो रहे हैं। कास्टिंग यार्ड में पियर कैप्स और यू-गर्डर्स की ढलाई का काम तेज़ी के साथ किया जा रहा है। आईआईटी से मोतीझील के बीच तैयार हो रहे लगभग 9 किमी. लंबे प्रयॉरिटी कॉरिडोर के अतंर्गत सड़क पर तैयार हो चुके पिलर्स पर पियर कैप्स रखने का काम शुरू हो चुका है। मेट्रो इंजीनियरों की कुशल रणनीति की बदौलत पहले की अपेक्षा सीमित श्रमबल होते हुए भी काम की रफ़्तार लगातार बढ़ रही है। इस संबंध में यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक श्री कुमार केशव का कहना है, “अब फिर से कानपुर में मेट्रो निर्माण कार्य रफ्तार पकड़ रहा है और यूपीएमआरसी की पूरी कोशिश है कि लॉकडाउन की वजह से हुए समय के नुकसान की भरपाई हो और निर्माण कार्य अपनी समय सीमा में पूरा हो।”

हाल ही में, लॉकडाउन के बाद कास्टिंग यार्ड के अंदर पहले पियर-कैप की कास्टिंग पूरी हुई और यू-गर्डर्स की ढलाई का काम भी पुनः शुरू कर दिया गया। लॉकडाउन के पूर्व 20 पियर कैप्स की कास्टिंग पूरी हो चुकी थी और दोबारा काम शुरू होने के बाद 19.06.2020 को कास्टिंग यार्ड में 21वें पियर कैप की कास्टिंग भी पूर्ण हुई। यूपीएमआरसी के इंजीनियर जल्द ही यू-गर्डर्स को पियर कैप्स के ऊपर रखने (इरेक्ट करने) की तैयारियों में जुटे हुए हैं और उन्हें पूरी उम्मीद है कि जुलाई में इस काम की भी शुरुआत हो जाएगी।
सीमित श्रमिकों की उपलब्धता की चुनौती को हराते हुए यूपीएमआरसी ने अधिकांश रूप से प्रदेश के ही कामगारों से काम करवाने की रणनीति अपनाई है और फ़िलहाल काम पर लगे 600 मजदूरों में से 400 मजदूर प्रदेश के ही हैं। अन्य जगहों से भी कामगारों को वापस लाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।
30 अप्रैल को सरकार और ज़िला प्रशासन से कास्टिंग यार्ड परिसर के भीतर निर्माण कार्य और संबद्ध गतिविधियों की फिर से शुरुआत करने की अनुमति मिलने के बाद से यूपीएमआरसी सीमित कामगारों के साथ ही काम को पटरी पर लाने के लिए प्रयासरत है और अब यूपीएमआरसी इंजीनियरों के प्रयासों ने रंग लाना शुरू कर दिया है।

क्या है पियर कैप और यू-गर्डर?
यह मेट्रो के ढांचे का वह हिस्सा होता है, जिसे पियर या पिलर के ऊपर रखा जाता है। इन्हें कास्टिंग यार्ड में तैयार किया जाता है और उसके बाद क्रेन की सहायता से सड़क पर बने पियर्स या पिलर्स के ऊपर लाकर रखा जाता है। पियर पर पियर कैप रखने के बाद, उनपर यू-गर्डर रखे जाते हैं, जिनपर पटरियां बिछाई जाती हैं।

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