New Delhi: मध्य प्रदेश के रहने वाले यश सोनकिया (Yash Sonkia) की कहानी बेहद दिलचस्प है। यश आठ साल की उम्र में अपने आंखों की रौशनी खो चुके थे। उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा। वह जन्म से ही ग्लूकोमा जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। इसकी वजह से उन्होंने 8 वर्ष की उम्र में अपनी आंखों की रोशनी गंवा दी। बावजूद इसके उन्होंने शिक्षा का दामन नहीं छोड़ा और साल 2021 में इंदौर के प्रतिष्ठित श्री गोविंदराम सेकसरिया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (SGSITS) से बी।टेक की डिग्री हासिल की।
यश के पिता यशपाल सोनकिया एक कैंटीन चलाते हैं। शुरुआत में यश पांचवी कक्षा तक दृष्टिबाधित स्पेशल स्कूल से पढ़ाई की। इसके बाद वह साधारण स्कूल में चले गए। अपनी दृष्टिबाधिता के बावजूद यश के दृढ़ संकल्प ने उन्हें सफलता की ओर प्रेरित किया, और हाल ही में उन्हें दुनिया की सबसे बड़ी आईटी कंपनियों में से एक माइक्रोसॉफ्ट से नौकरी का ऑफर मिला है।
बी.टेक के बाद कंपनी की तरफ से उन्हें सालाना 47 लाख रुपए का पैकेज मिला है। उन्हें उनके बैंगलोर ऑफिस के लिए एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में नियुक्त किया गया है। बता दें कि एक स्क्रीन रीडर की सहायता से अपना कोर्सवर्क पूरा करने के बाद, यश ने नौकरी की तलाश शुरू की, और कोडिंग कौशल हासिल करने के बाद माइक्रोसॉफ्ट में आवेदन करने का फैसला किया।
ऑनलाइन परीक्षण और साक्षात्कार प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद, यश को कंपनी की बेंगलुरु शाखा के लिए एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में चयन किया गया है। दृढ़ संकल्प सफलता प्राप्त करने की कुंजी है। कई व्यक्ति अपनी कमजोरियों को अपने सपनों के आगे बाधा नहीं बनने देते और जीवन की उन बाधाओं पर विजय प्राप्त करते हुए अपनी मंजिल को हासिल कर लेते हैं।