New Delhi : महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने बुधवार को बड़ा विवादित फैसला लिया। राज्य में मामलों की जांच के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा केंद्रीय जांच ब्यूरो को भारतीय संविधान के तहत दी गई आम सहमति को वापस ले लिया। इस फैसले का मतलब यह है कि महाराष्ट्र में किसी भी मामले की जांच के लिये सीबीआई को महाराष्ट्र सरकार और महाराष्ट्र पुलिस की हामी लेनी होगी, उसके बाद ही सीबीआई वहां कोई कार्रवाई कर सकेगी। अगर महराष्ट्र सरकार परमिशन नहीं देती है तो सीबीआई चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती है। उद्धव सरकार ने यह फैसला लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को खुली चुनौती दे दी है।
Maharashtra: Uddhav Thackeray government blocks CBI from investigating cases in the state, withdraws general consenthttps://t.co/qzzX1p3V3Z
— OpIndia.com (@OpIndia_com) October 21, 2020
#BREAKING on #TargetArnabPlot | Mumbai Police Commissioner instructing to file fresh FIRs on Republic: Sources.
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#TargetArnabPlot | WATCH: Union Minister and former Home Secretary of India RK Singh slams Mumbai CP Param Bir Singh and Maharashtra govt; warns that 'false & malicious prosecution' case can be filed @RajKSinghIndia @prakash_singh7 pic.twitter.com/waV4fwSQ9D
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#TargetArnabPlot | The minute this Maha govt circular came out withdrawing consent for CBI investigation, I knew they were fully trapped: @ishkarnBHANDARI, Lawyer pic.twitter.com/SUOPtYejoa
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#TargetArnabPlot | MVA govt Minister stung; 'Target Arnab' plot exposed. Tune in to watch and share your views using the hashtag – https://t.co/rGQJsiKgt2 pic.twitter.com/2Hxs4uPxQR
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इससे पहले तीन गैर-भाजपा शासित राज्यों – राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल ने पहले ही अपनी सामान्य सहमति वापस ले ली है ताकि सीबीआई को उनके अधिकार क्षेत्र में आकर मामलों की जांच करने से रोका जा सके। चूंकि महाराष्ट्र में सुशांत प्रकरण गरम है और अरनब गोस्वामी प्रकरण भी चल रहा है। ऐसे में महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले से राजनीति गरम हो गई है।
वैसे अधिकारियों का कहना है कि महाराष्ट्र सरकार का फैसला सुशांत सिंह राजपूत मामले में सीबीआई जांच को प्रभावित नहीं करेगा क्योंकि यह जांच उच्चतम न्यायालय के आदेशों पर की जा रही है और उन प्रावधानों के तहत नहीं है जिनमें राज्य को इसकी सहमति देने की आवश्यकता है। बुधवार को महाराष्ट्र के गृह विभाग ने यह आदेश तब जारी किया जब मंगलवार को न्यूज चैनल्स की टीआरपी रेटिंग मामले में एक एफआईआर के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने मामले की जांच की अनुशंसा सीबीआई से कराने की अनुशंसा कर दी।
महाराष्ट्र सरकार ने इस कदम को यूपी सरकार द्वारा रिपब्लिक टीवी के खिलाफ मुंबई पुलिस द्वारा की जा रही जांच को खत्म करने के लिए सीबीआई की नींव रखने के प्रयास के रूप में देखा था। महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं ने सीबीआई को टीआरपी घोटाले में रिपब्लिक टीवी के खिलाफ मामले को समाप्त करने के प्रयास के रूप में दर्ज किया था।
इस महीने की शुरुआत में रिपब्लिक टीवी के खिलाफ शुरू की गई मुंबई पुलिस की जांच ने कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के महाराष्ट्र विकास अघडी और भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए के साथ ठाकरे के नेतृत्व वाले गठबंधन के बीच एक नया चेहरा बना दिया है। इस मामले में, मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी को गड़बड़ी करनेवाले तीन टेलीविजन चैनलों में से एक माना है। वैसे रिपब्लिक टीवी के अर्नब गोस्वामी ने आरोपों से इनकार किया है।
BREAKING n SHOCKING
So @OfficeofUT @CMOMaharashtra withdraws consent to Delhi Special Police Establishment i.e #CBI to investigate cases in Maharashtra. pic.twitter.com/cSN9TuVEXk— Adv.Vivekanand Gupta 🇮🇳 (@vivekanandg) October 21, 2020
Maharashtra withdraws 'general consent' to CBI
The CBI and all other agencies under the Delhi Special Police Establishment Act, 1946 will now have to take permission from the state government for investigations on case to case basis
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— The Times Of India (@timesofindia) October 21, 2020
यह घोटाला तब सामने आया था जब रेटिंग एजेंसी ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) ने शिकायत की थी कि कुछ चैनल विज्ञापनदाताओं को लुभाने के लिए TRP नंबरों में धांधली कर रहे हैं। एक चैनल या कार्यक्रम की टीआरपी का उपयोग विज्ञापन एजेंसियों द्वारा चैनलों की लोकप्रियता को मापने के लिए किया जाता है जो मूल्य निर्धारण को प्रभावित करते हैं। भारत में BARC द्वारा “बार-ओ-मीटर” नामक देश के 45,000 से अधिक घरों में स्थापित डिवाइस का उपयोग करके अंकों की गणना की जाती है।