New Delhi : हिन्दू धर्म में तुलसी को बहुत पूजनीय माना जाता है। तुलसी की विधिवत पूजा करने पर श्रीहरि और लक्ष्मी जी की विशेष कृपा मिलती है। तुलसी को विष्णुप्रिया भी कहा जाता है। तुलसी का पौधा घरों में और मंदिरों में लगाया जाता है। इसकी पत्तियां भगवान विष्णु को अर्पित की जाती हैं।लेकिन क्या आपको मालूम है कि इतनी पवित्र मानी जाने वाली तुलसी के पत्तों को शिवलिंग पर क्यों नहीं चढ़ाया जाता है?
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक जालंधर नाम का एक असुर था जिसे अपनी पत्नी की पवित्रता और विष्णु जी के कवच की वजह से अमर होने का वरदान मिला हुआ था। जिसका फायदा उठा कर वह दुनिया भर में आतंक मचाता रहा। भगवान विष्णु और भगवान शिव ने उसे समाप्त करने की योजना बनाई। पहले भगवान विष्णु ने जालंधर से अपना कृष्णा कवच माँगा, फिर भगवान विष्णु ने उसकी पत्नी की पवित्रता भांग की जिससे भगवान शिव को जालंधर को मरने का मौका मिल गया।
जब वृंदा को अपने पति जालंधर की मृत्यु का पता चला तो उसे बहुत दु:ख हुआ। जिसके चलते गुस्से में उसने भगवान शिव को शाप दिया कि उन पर तुलसी की पत्ती कभी नहीं चढ़ाई जायेगी। यही कारण है कि शिव जी की किसी भी पूजा में तुलसी की पत्ती नहीं चढ़ाई जाती है।
तुलसी के पौधे को घर के अंदर नहीं लगाया जाता ऐसा कहा जाता है कि तुलसी के पति के मृत्यु के बाद भगवान विष्णु ने तुलसी को अपनी प्रिये सखी राधा की तरह माना था। इसलिए तुलसी ने उनसे कहा कि वे उनके घर जाना चाहती हैं। लेकिन भगवान विष्णु ने उन्हें मना कर दिया और कहा कि मेरा घर लक्ष्मी के लिये है लेकिन मेरा दिल तम्हारे लिये है। तुलसी ने कहा कि घर के अंदर ना सही बाहर तो उन्हें स्थान मिल सकता है, जिसे भगवान विष्णु ने मान लिया। तब से आज तक तुलसी का पौधा घर और मंदिरों के बाहर लगाया जाता है।