New Delhi : अगर कोई बच्चा शारीरिक अक्षमता के साथ पैदा होता है, तो भगवान उसे कुछ विशेषता देकर भी भेजता है। बड़ा होने तक वो बच्चा अपने सारे काम अच्छे से कर लेता है। क्योंकि उसे अब इसका अभ्यास हो चुका होता है। लेकिन जब एक सामान्य इंसान किसी ऐसी दुर्घटना का शिकार होता है जिसमें वोे अपने शरीर का कोई अंग गंवा बैठता है तो उसके सामने दोहरी चुनौती होती है। सबसे बड़ा सवाल यही होता है कि अब वो कैसे जीवकोपार्जन करेगा।
#PresidentKovind presented the Nari Shakti Puraskar to Dr Malvika Iyer. A differently-abled rights activist, Dr Iyer lost her hands in a bomb explosion. Today she is a PhD scholar, an international motivational speaker and a fashion model #WomensDay pic.twitter.com/yYEgDBDkvc
— President of India (@rashtrapatibhvn) March 8, 2018
लेकिन कुछ लोगों के साथ जब ऐसा होता है तो वो हार मानने की बजाए दोहरे साहस और जज्बे के साथ अपने सभी सपनों को पूरा कर लेते हैं। ऐसी ही कहानी है डॉ. मालविका अय्यर की जिन्होंने 13 साल की उम्र में अपने दोनों हाथ खो दिए 2 साल तक वो बेड पर पड़ीं रहीं। लेकिन हार कभी नहीं मानी और ऐसी उड़ान भरी कि आज पूरी दुनिया उन्हें सलाम करती है। इस साल अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनसे प्रेरित हुए और #SheInspireUs की मुहीम के तहत उन्होंने एक दिन के लिए अपना शोसल मी़डिया अकाउंट उन्हें सौंपा था।
I truly believe that every cloud has a silver lining and my life has been one such example. I celebrated writing my PhD thesis and now I'm thrilled to share my website that I made with my very own extraordinary finger. https://t.co/o8gg1qHirp pic.twitter.com/d0zYj4wdrC
— Dr. Malvika Iyer (@MalvikaIyer) February 18, 2020
मालविका जन्म से बिल्कुल ठीक-ठाक और पढ़ाई लिखाई में बुत होशियार लड़की थीं लेकिन जब वो 13 साल की थीं तब उनकी जिंदगी में एक दर्दनाक हादसा हुआ। वो अपने घर के पास जब खेल रही थीं तो उन्हें ग्रेनेड दिखाई दिया जिसे उन्होंने कुछ बॉल जैसी दिखने वाली चीज समझ कर उठा लिया। ग्रेनेड उनके हाथों में ही फट गया। दरअसल जहां उनका घर था वहां से कुछ दूरी पर सरकारी गोला-बारूद का डिपो था। इस डिपो में आग लगने की वजह से इलाके में उसके शेल बिखर गए थे। मालविका का जन्म तो तमिलनाडू के कुमबाकोनम में हुआ था लेकिन पिता की पोस्टिंग राज्स्थान के बीकानेर में होने के करण अब उनका पूरा परिवार यहीं रहने लगा। इसी घर में उनके साथ ये हादसा हुआ था। इस हादसे में उनके हाथ तो चले ही गए थे साथ ही उनके पैर सुन्न हो गए थे जिससे उनके दोनो पैर पेरालाइज की स्थिति तक पहुंच गए। इलाज के दौरान मालविका पूरे दो साल बेड पर पड़ी रहीं। जब उनके साथ ये हादसा हुआ तब वो आठवीं कक्षा में पढ़ती थी।
हादसे के बाद उन्हें लगता था कि अब वो कुछ नहीं कर पाएंगी। मालविका 2 साल बाद धीरे धीरे रिकवर करने लगीं तो उन्होंने फिर से पढ़ाई शुरू करने का फैसला लिया। इलाज के दौरन बेड पर पड़े-पड़े वो अपनी अगली कक्षा की तैयारी करती थी। परीक्षा में लिखने के लिए उन्होंने राइटर का सहारा लिया। 10वीं की परीक्षा न केवल उन्होंने पास की बल्कि टॉपर्स की लिस्ट में उनका नाम रहा। इसके बाद तो उन्होंने उस पंक्ति को सच बना दिया कि पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है। आगे की पढ़ाई उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से की जहां से उन्होंने इकॉनमिक्स में ग्रेजुएशन की। इसके बाद तो मालविका ने पीएचडी तक की पढ़ाई की और उनके नाम के आगे डॉ. की उपाधि जुड़ गई।
Meet Dr Malvika Iyer, #NariShakti Puraskar 2017 awardee. She lost her hands to a freak bomb explosion in Bikaner. Today she is an international motivational speaker and a disability rights activist pic.twitter.com/QzJNsqqat6
— PIB India (@PIB_India) March 7, 2018
आज मालविका एक इंटरनेशनल मोटिवेशनल स्पीकर, डिसेबल्ड के हक के लिए लड़ने वाली एक्टिविस्ट, कई ग्लोबल समिट में भारत का पक्ष रखने वाली कार्यकर्ता। राष्ट्रपति द्वारा नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित और शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए एक एनजीओ की चेयर पर्सन हैं। प्रधानमंत्री ने जब इस साल उन्हें अपना सोशल मीडिया अकाउंट सौंपा तो वो सबकी नजरों में आईं और सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी। सभी ने उनकी सफलता और जज्बे को सलाम किया।