New Delhi : कोरोना आपदा और लॉकडाउन के बीच एक से एक दृश्य देखने को मिल रहे हैं। कल एक हृदय विदारक दृश्य मुम्बई में देखने को मिला जब एक 60 साल का बुजुर्ग अपने जर्जर कंधे पर 17 साल की जवान बेटी को बिठाये भरी दोपहरी पैदल चल रहा था। सब बंद है, सड़कों पर गाड़ियों से लेकर सरकारी बसों तक और बाजार से लेकर उद्योग धंधे तक। ऐसे में बेटी बीमार पड़ी तो मोहम्मद रफी उसे अपने कंधे पर बिठाकर 26 किमी तक पैदल चले और KEM हॉस्पिटल में भर्ती कराया और वापस भी इसी तरह पैदल चलकर आया।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के गोवंडी में एक झुग्गी बस्ती में रहने वाले मोहम्मद रफी रसोइया के रूप में काम करते थे लेकिन लॉकडाउन के चलते उनका यह काम भी बंद हो गया। उन्होंने बताया कि गुरुवार को बेटी के पेट में भयानक दर्द उठा जिस वजह से वह बिस्तर से उठ भी नहीं पा रही थी। बेटी को दर्द में देखकर रफी से न रहा गया तो उन्होंने अपने कमजोर कंधे पर ही बेटी को बैठा लिया और भरी दोपहरी पैदल चलते हुए गोवंडी से परेल तक का रास्ता नापा।
मोहम्मद रफी बेटी को कंधे पर बिठाए हुए 26 किमी तक चलते रहे और केईएम अस्पताल में भर्ती कराया। अस्पताल पहुंचते रफी बुरी तरह हांफ रहे थे। टूटी-फूटी आवाज में उन्होंने बताया कि उनके पास साधन के लिए पैसे नहीं थे। काम बंद पड़ा है, बड़ी मुश्किल से घर की जरूरत का सामान मिल पा रहा है।
मोहम्मद रफी केईएम में मुफ्त इलाज के लिए अपनी बेटी को कंधे पर ही बिठाकर चल दिए और फिर वापस घर तक भी पैदल ही आए। पूरे देश में इस वक्त लॉकडाउन जारी है ताकि जानलेवा कोरोना वायरस का संक्रमण और न फैल सके। लेकिन इस लॉकडाउन की कड़वी हकीकत भी है जिसके चलते कइयों को दिक्कतें उठानी पड़ रही है।