New Delhi : रजनीकांत को आज उत्तर से लेकर दक्षिण तक बच्चा बच्चा जानता है। फिल्मी दुनिया में रजनीकांत जितना फेमस शायद ही दूसरा कोई एक्टर हो जिसने 10 भाषाओं में फिल्में बनाई। जिसने भारतीय सिनेमा जगत में दक्षिण और उत्तर की दूरियां अपने अभिनय कौशल से खत्म कर दी। आज उनकी फिल्में उत्तर भारत में भी उतने ही आनंद से देखी जाती हैं जितना कि दक्षिण में। रजनीकांत ने अपने जीवन में इतनी सफलता हासिल की कि आज वे सिर्फ फिल्मी दुनिया के हीरों नहीं हैं असल दुनियां में भी लोग उन्हें अपना हीरो मानते हैं। तमिलनाडु में तो उन्हें लोग भगवान की तरह आदर देते हैं। इस अभिनेता की इतनी प्रशिद्धि है कि आज लोग रजनीकांत के संघर्षों को जानकर हैरानी में पड़ जाते हैं।
45 Years! An Icon of Indian Cinema. Our beloved Superstar #Rajinikanth’s #45YearsOfRajinismCDP is superb. @Rajinikanth Sir’s contribution towards Indian Cinema Is Magical & Phenomenal…Congrats Sir! Many more to come💐💐💐 pic.twitter.com/r9IOO44Qte
— Dr. Dhananjayan BOFTA (@Dhananjayang) August 9, 2020
रजनीकांत जिनके फैन्स भारत ही नहीं विदेशों में भी हैं उन्हें ये नेम और फेम विरासत में नहीं मिला बल्कि अपनी कड़ी मेहनत से उन्होंने खुद कमाया है। इस दिलदार एक्टर ने कभी भी किसी काम को छोटा नहीं समझा। आज लोग कल्पना भी नहीं कर सकते कि रजनीकांत जैसे सुपर स्टार ने अपने करियर की शुरुआत एक मामूली सी कारपेंटर की नौकरी से की। कारपेंटर से कुली, और कुली से बी.टी. बस के कंडेक्टर और कंडेक्टर के बाद उन्होंने विश्व के सबसे अधिक लोकप्रिय सुपर स्टार बनने का सफ़र तय किया। ये कितना परिश्रम और कठिनाइयों से भरा होगा, इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं।
रजनीकांत का जन्म एक महाराष्ट्रीयन मराठा हेन्द्रे पाटील मराठा समाज के परिवार में कर्नाटक के बेंगलुरू में 1950 को हुआ। रजनीकांत का पूरा नाम जो कम ही लोग जानते हैं, शिवाजीराव गायकवाड है। रजनीकांत मराठी पृष्ठभूमि से नाता रखते थे इसलिए उनका नाम उनके पिता जी ने महान वीर योद्धा “छ्त्रपति शिवाजी” के नाम पर रखा था। रजनीकांत ने बचपन में ही महज 5 साल की उम्र में अपनी माँ को खो दिया था। रजनीकांत ने जैसे तैसे अपनी शिक्षा पूरी की और परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए कमाना शुरू कर दिया।
रजनीकांत ने कुली, कारपेंटर से लेकर बस कंडक्टर की नौकरी की। बस कंडक्टर की नौकरी एक स्थायी नौकरी थी जिस दौरान वे ठीक-ठाक कमा भी लेते थे और अपने शौक को भी पूरा करते रहते थे। उनका शौक था फिल्में देखना और नाटक वगरह में अभिनय करना। वे शुरूआत से ही अभिनय में कुशल थे। उनकी डायलॉग डिलिवरी जिसकी वजह से आज भी वो जाने जाते हैं, इसी ने उनको पहचान दिलाई। स्कूल कॉलेज में या नाटक वगेरह में जब भी वो अभिनय करते तो लोग देखते रह जाते।
ऐसे ही एक दिन किसी कॉलेज में रजनीकांत नाटक में अभिनय कर रहे थे। अभिनय के दौरान उन पर फिल्म निर्देशक के. बालाचंदर की नजर पड़ी, जो कि उस समय के बहुत ही मशहूर निर्देशकों में शामिल थे। वे भी उस वक्त नाटक देखने आए हुए थे। सच ही है कि एक हीरे की परख जौहरी को ही होती है। बालाचंदर जी रजनीकांत के अभिनय से बहुत अधिक प्रभावित हुए।
The borders are blurring through art!#tamilcinema @directorshankar #rajnikant #india https://t.co/kbED926VqH
— A.R.Rahman (@arrahman) August 9, 2020
इतना ही नहीं उन्होंने रजनीकांत को अपनी फिल्म में एक अभिनय का प्रस्ताव भी दे डाला। जिसे रजनीकांत ने तुरंत स्वीकार कर लिया। फिल्म थी “अपूर्वा रागंगाल” ये रजनीकांत की पहली फिल्म थी। रजनीकांत को किरदार भले ही छोटा मिला लेकिन उन्होंने इसे निभाने के लिए पूरी मेहनत की जो कि सार्थक हो गई। फिल्म में उन्हें अलग से पहचाना गया। इसके बाद तो बालाचंदर जी को रजनीकांत ने अपना गुरू बना लिया। एक बार रजनीकांत को अपना हुनर दिखाने का मौका चाहिए था जो कि उन्हें मिला इसके बाद तो रजनीकांत कुछ ही सालों बाद फिल्मी जगत के बॉस बन गए।