सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सीबीआई जांच से बदनाम करने की मुहिम के शिकार बेकसूरों को इंसाफ मिलेगा

New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने सुशांत प्रकरण की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने आज बुधवार 19 अगस्त को 35 पेजों में इस आशय का आदेश जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा – इस मामले में बिहार पुलिस द्वारा पटना में की गई एफआईआर एकदम सही थी। उसमें किसी तरह की परेशानी किसी को नहीं होनी चाहिये थी। सुशांत की गर्लफ्रेंड और लिव-इन पार्टनर रिया चक्रवर्ती ने पटना में की गई एफआईआर को मुंबई ट्रांसफर करने की अपील सुप्रीम कोर्ट में की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को फैसला रिजर्व रखते हुए सभी पक्षों से लिखित जवाब मांगा था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा – निष्पक्ष जांच के जरिये सही बातें सामने आयेंगी। बदनाम करने की मुहिम के शिकार बेकसूरों को इंसाफ मिलेगा। सीबीआई जांच के फैसले से रिया चक्रवर्ती को भी न्याय मिल पायेगा। आखिर उन्होंने खुद भी इसकी मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है- बिहार पुलिस ने जो एफआईआर दर्ज की, वह सही थी। सीबीआई जांच की सिफारिश भी कानून के मुताबिक की गई। मुंबई पुलिस जांच में सहयोग करे, जो भी सबूत जुटाए हैं, उन्हें सीबीआई को सौंपे। कोई और एफआईआर दर्ज होती है तो, उसकी जांच भी सीबीआई करेगी। सुशांत टैलेंटेड एक्टर थे। उनके परिवार के लोग, दोस्त और फैन्स जांच के नतीजों का इंतजार कर रहे हैं, ताकि अटकलें खत्म हो सकें। इसलिए, निष्पक्ष और प्रभावी जांच जरूरी है।

बिहार सरकार ने ही इस केस की जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा केंद्र सरकार से की थी। बिहार सरकार की इस अनुशंसा को केंद्र सरकार ने मान लिया था। इस मामले की जांच सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज शुरू भी कर दी है। लेकिन ऐसी आशंका थी कि अगर सुप्रीम कोर्ट पटना में दर्ज एफआईआर को टेक्निकली गलत मान कर उसे मुम्बई ट्रांसफर कर देता है तो फिर सीबीआई जांच की प्रक्रिया थम जायेगी। लेकिन आज कोर्ट में ऐसा कुछ नहीं हुआ।

बता दें कि जुलाई में खुद ही सीबीआई जांच करने की मांग कर रही रिया चक्रवर्ती एकाएक मुम्बई से फरार हो गई थी जब पटना पुलिस ने एफआईआर दर्ज की। रिया चक्रवर्ती को बचाने के लिये मुम्बई सरकार ने भी सारे घोड़े खोल दिये। न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में बिहार पुलिस के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी की बल्कि पटना से मुम्बई पहुंचे आईपीएस विनय तिवारी को क्वारैंटाइन के बहाने हाउस अरेस्ट कर लिया। जांच के लिये पहुंचे दूसरे अफसरों को भी जांच बंद कर छिपना पड़ा।

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