New Delhi : Corona आपदा के बीच हजारों देसी-विदेशी मुसलमानों का जमात जुटाकर देशभर में वायरस का खतरा बढ़ाने वाले मौलाना साद का पूरा नाम मौलाना मुहम्मद साद कंधलावी है। वह भारतीय उपमहाद्वीप में सुन्नी मुसलमानों के सबसे बड़े संगठन तबलीगी जमात के संस्थापक मुहम्मद इलियास कंधलावी के पड़पोते हैं। साद के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने महामारी अधिनियम 1897 और आईपीसी की दूसरी धाराओं के तहत केस दर्ज कर किया है और वे अब फरार हैं।
मौलाना साद का जन्म 10 मई 1965 को दिल्ली में हुआ। साद ने हजरत निजामुद्दीन मरकज के मदरसा काशिफुल उलूम से 1987 में आलिम की डिग्री ली। मौलाना साद का विवादों से पुराना नाता है। जब उन्होंने खुद को तबलीगी जमात का सर्वोच्च नेता घोषित कर दिया तो जमात के वरिष्ठ धर्म गुरुओं ने उनका जबर्दस्त विरोध किया। हालांकि, मौलाना पर इसका कोई असर नहीं पड़ा और सारे बुजुर्ग धर्म गुरुओं ने अपना रास्ता अलग कर लिया। बाद में साद का एक ऑडियो क्लिप भी शामिल हुआ जिसमें वह कहते सुने गए, ‘मैं ही अमीर हूं… सबका अमीर… अगर आप नहीं मानते तो भाड़ में जाइए।’
अब मौजूदा विवाद में भी मौलाना साद के कई आपत्तिजनक और भड़काने वाले बयान सामने आए हैं, वीडियो के जरिये वायरल हैं और वह भी बेहद खतरनाक। जून, 2016 में मौलाना साद और मौलाना मोहम्मद जुहैरुल हसन ने नेतृत्व वाले तब्लीगी जमात के दूसरे ग्रुप के बीच हिंसक झड़प हो गई थी। इस दौरान पक्ष के लोगों ने एक दूसरे पर पथराव तक किया था और इसमें कई लोग घायल भी हुए थे। इस हादसे के बाद दोनों गुटों के बीच दूरी बढ़ गई जो अब भी जारी है।
दारु उलूम देवबंद भी पिछले तीन साल से मौलाना साद से नाराज है और उसने इस बाबत साद के खिलाफ फतवा तक जारी किया था। फतवे के मुताबिक, मौलाना साद अपने ब्याख्यानों में कुरान की गलत व्याख्या करते हैं।
2017 की फरवरी महीने में दारुल उलूम देवबंद ने तबलीगी जमात से जुड़े मुसलमानों को फतवा जारी कर कहा कि साद कुरान और सुन्नत की गलत व्याख्या करते हैं। देवबंद का यह फतवा मौलाना साद के भोपाल सम्मेलन में दिए गए बयान के बाद आया जिसमें उन्होंने कहा कि निजामुद्दीन मरकज मक्का और मदीना के बाद दुनिया का सबसे पवित्र स्थल है। दारुल उलूम देवबंद ने मौलान साद के इस बयान को पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ बताया।