New Delhi : केंद्रीय मंत्री और बिहार के कद्दावर नेताओं में से एक रामविलास पासवान ने आज सबको अलविदा कह दिया। रामविलास पासवान बिहार के सबसे कद्दावर नेताओं से एक थे। खासकर उत्तर बिहार में उनका नाम लोग बड़े भाई की तरह लेते थे। वे कांग्रेस, भाजपा समेत कई पार्टियों की मिलीजुली सरकारों में भी केंद्रीय मंत्री रहे। देश के वे इकलौते ऐसे नेता थे, जिनकी कभी किसी पार्टी में किसी से दुश्मनी नहीं हुई। इसी वजह से सरकार किसी की भी रही लेकिन मंत्रियों के लिस्ट में उनका नाम होता ही। हर प्रधानमंत्री के वे पसंदीदा सहयोगी बन कर रहे।
पापा….अब आप इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मुझे पता है आप जहां भी हैं हमेशा मेरे साथ हैं।
Miss you Papa… pic.twitter.com/Qc9wF6Jl6Z— युवा बिहारी चिराग पासवान (@iChiragPaswan) October 8, 2020
I am saddened beyond words. There is a void in our nation that will perhaps never be filled. Shri Ram Vilas Paswan Ji’s demise is a personal loss. I have lost a friend, valued colleague and someone who was extremely passionate to ensure every poor person leads a life of dignity. pic.twitter.com/2UUuPBjBrj
— Narendra Modi (@narendramodi) October 8, 2020
Shri Ram Vilas Paswan Ji rose in politics through hardwork and determination. As a young leader, he resisted tyranny and the assault on our democracy during the Emergency. He was an outstanding Parliamentarian and Minister, making lasting contributions in several policy areas. pic.twitter.com/naqx27xBoj
— Narendra Modi (@narendramodi) October 8, 2020
केंद्रीय मंत्री एवं लोकप्रिय राजनेता राम विलास पासवान जी के निधन से मुझे व्यक्तिगत तौर पर दुःख पहुंचा है। उनका निधन भारतीय राजनीति के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें। https://t.co/sZTRR0iH5N
— Nitish Kumar (@NitishKumar) October 8, 2020
यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी संवेदनाएं प्रकट करते हुये कहा- मैंने अपना यार खो दिया। रामविलास पासवान 74 साल के थे। पिछले तीन दशक में त्रिमूर्ति नेताओं का बोलबाला रहा। लालू प्रसाद, नीतीश कुमार और राम विलास पासवान इस त्रिमूर्ति का हिस्सा रहे। तीनों ने एक दूसरे के साथ मिलकर और अलग होकर भी काम किया। लेकिन व्यक्तिगत वैमनस्य कभी इनके बीच नहीं दिखा। जितनी जल्दी इनके बीच राजनैतिक झगड़ा होता उसी तेजी से राजनैतिक विवाद हल भी हो जाता। उन्होंने हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से सर्वाधिक मतों से जीतने का अपना ही रिकार्ड कई बार तोड़ा।
पहली बार पिछले दिनों जब रामविलास पासवान अस्पताल गये तो पासवान की पार्टी लोजपा राजग में रहते हुये बिहार चुनाव के लिये राजद द्वारा दरकिनार कर दी गई। हालांकि नीतीश कुमार ने जरूर कहा कि अगर आज रामविलास जी हॉस्पिटल में नहीं होते तो यह मनमुटाव ही नहीं होता।लेकिन रामविलास पासवान को इस बार कुछ अलग ही धुन सवार थी। इस बार वे नीतीश से मनमुटाव दूर करने के लिये हॉस्पिटल से बाहर ही नहीं निकले।
रामविलास पासवान जी के असमय निधन का समाचार दुखद है। ग़रीब-दलित वर्ग ने आज अपनी एक बुलंद राजनैतिक आवाज़ खो दी।
उनके परिवारजनों को मेरी संवेदनाएँ।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 8, 2020
A firebrand socialist in youth, mentored by the likes of Jayaprakash Narayan during anti-Emergency movement, Paswan ji had enviable rapport with masses and he ardently strove for their welfare. Condolences to his family and supporters.
— President of India (@rashtrapatibhvn) October 8, 2020
Extremely saddened by the demise of senior leader Sri Ram Vilas Paswan Ji. He was a towering leader who leaves behind a rich political legacy which will remain unparalleled for a long time. The nation will truly miss him and his selfless service! pic.twitter.com/lSCWCqCsZi
— N Chandrababu Naidu #StayHomeSaveLives (@ncbn) October 8, 2020
पिछले कुछ दिनों से रामविलास पासवान बीमार थे और दिल्ली के एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में भर्ती थे। उनके बेटे चिराग पासवान ने ट्वीट कर उनके रवानगी की जानकारी दी। रामविलास पासवान मोदी कैबिनेट में सबसे उम्रदराज मंत्री थे। पिता के निधन के बाद चिराग ने गुरुवार रात 8 बजकर 40 मिनट पर रामविलास पासवान और अपने बचपन की फोटो के साथ एक भावुक ट्वीट किया- पापा….अब आप इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मुझे पता है आप जहां भी हैं हमेशा मेरे साथ हैं।