New Delhi : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे को नहीं भाया है। योगी के बयान के जवाब में राज ठाकरे ने ट्वीट कर कहा – अब उत्तर प्रदेश से यहां आनेवाले श्रमिकों को भी हमसे, महाराष्ट्र सरकार से और यहां की पुलिस से अनुमति लेनी पड़ेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है- अन्य राज्य अब यूपी सरकार की अनुमति के बाद ही वहां के श्रमिकों को वापस बुला सकेंगे।
Also, the migrant workers from UP will have voting rights only in UP. As per rules laid down, a voter can only vote from one place and cannot exercise their voting rights in two places. This fact needs to be realised by CM Adityanath, by Maharashtra and other states too.
— Raj Thackeray (@RajThackeray) May 25, 2020
राज ठाकरे ने अपने ट्वीट में कहा है – महाराष्ट्र सरकार को योगी आदित्यनाथ के इस बयान का गंभीरता से संज्ञान लेना चाहिए। भविष्य में जब भी प्रवासी महाराष्ट्र में प्रवेश करें, तो उनका रजिस्ट्रेशन पुलिस थाने में किया जाना चाहिए। इसमें उनकी पहचान, उनका पूरा विवरण लिया जाना चाहिए। ये सारी चीजें मिलने के बाद ही उन्हें महाराष्ट्र में प्रवेश मिलना चाहिए। महाराष्ट्र सरकार को इन नियमों का कड़ाई से पालन करना चाहिये।
अपने अगले ट्वीट में राज ठाकरे ने कहा – उत्तर प्रदेश के प्रवासी श्रमिकों को मतदान का अधिकार सिर्फ गृह राज्य में होना चाहिये। कानूनन एक मतदाता एक ही जगह मतदान का अधिकार रख सकता है। इस तथ्य की जानकारी मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के साथ-साथ अन्य राज्यों को भी होनी चाहिये। योगी आदित्यनाथ ने श्रमिकों के लिए माइग्रेशन कमीशन बनाने की घोषणा करते हुए कहा था कि कुछ राज्यों ने उत्तर प्रदेश के प्रवासी श्रमिकों के लिए उचित व्यवस्था नहीं की। इसी वजह से उन्हें वहां से पलायन करना पड़ा है।
योगी और राज ठाकरे के विवाद में कूदते हुए महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने भी जहां एक ओर प्रवासी श्रमिकों का पक्ष लिया है, वहीं योगी पर हमला भी बोला है। उन्होंने कहा कि प्रवासी श्रमिक देश के नागरिक हैं। उन्हें देश में कहीं भी काम करने के लिए अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ पर हमला बोलते हुए सावंत ने उन्हें अक्षम और हृदयहीन मुख्यमंत्री करार दिया। उन्होंने कहा कि आदित्यनाथ के पास उत्तर प्रदेश को बेहतर बनाने के लिए दूरदृष्टि नहीं है, जिससे वहां के लोगों को पलायन करने की जरूरत ही न पड़े।
महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यमंत्री एवं प्रमुख उत्तर भारतीय नेता कृपाशंकर सिंह के अनुसार कोरोना संकट के दौरान इस प्रकार की चर्चाएं होनी ही नहीं चाहिये। किसी राज्य में काम करने के लिए जाने पर रोकटोक भारतीय संविधान में नहीं है। इस समय तो सभी को मिलकर एक-दूसरे का सहयोग करना चाहिये और श्रमिकों के हित में सोचना चाहिये।