रघुवंश के इस्तीफे और पांच एमएलसी के पार्टी छोड़ जदयू में जाने के बाद राबड़ी की कुर्सी खतरे में

New Delhi : मंगलवार 23 जून को राजद को तीन झटके लगे। पहला पार्टी के कद्दावर नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। दूसरा, 5 एमएलसी ने राजद छोड़ जदयू का दामन थाम लिया। और तीसरा यह कि पांच एमएलसी के इस्तीफे के बाद अब विधान परिषद में राबड़ी देवी की नेता विपक्ष की कुर्सी जाना तय है। बिहार विधान परिषद में कुल 75 सीटें हैं। विपक्ष का नेता बनने के लिए 8 सीटें होनी चाहिए। 5 एमएलसी के पार्टी छोड़ने के बाद राजद के अब सिर्फ तीन एमएलसी बचे हैं। ऐसे में राबड़ी देवी की विपक्ष के नेता की कुर्सी जल्द जा सकती है।

पूर्व सांसद रामा सिंह को पार्टी में लाने की कोशिशों से नाराज राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। रामा सिंह ने पिछले दिनों ही लालू के लाल तेजस्वी यादव से मुलाकात की थी। इसके बाद यह तय माना जा रहा था कि वह राजद में शामिल हो जाएंगे। रामा के 29 जून को राजद ज्वाइन करने की बात कही जा रही है। इसी बात से रघुवंश प्रसाद सिंह काफी नाराज थे।
2014 में रघुवंश प्रसाद सिंह ने राजद और रामा सिंह ने लोजपा के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा था। इसमें रघुवंश चुनाव हार गए थे। उस चुनाव से पहले ही दोनों नेताओं के बीच सियासी दुश्मनी थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में लोजपा ने रामा सिंह को टिकट नहीं दिया था। तब राजद ने रामा सिंह को अपने पाले में लाने की कोशिश की थी लेकिन, रघुवंश प्रसाद के विरोध के आगे पार्टी को झुकना पड़ा था।
अब बिहार विधानसभा चुनाव सिर पर है और पार्टी जीतने वाले उम्मीदवार की तलाश कर रही है। यही वजह है कि राजद ने रामा सिंह को पार्टी में लाने की पूरी तैयारी कर ली है। यह बात रघुवंश प्रसाद सिंह को अखर रही है। इसी वजह से उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया। रघुवंश प्रसाद सिंह राजद में बड़े सवर्ण चेहरे हैं और ऊंची जातियों के वोट को अपने पाले में लाने वाले नेता हैं। वैशाली लोकसभा क्षेत्र में इनकी मजबूत पकड़ है।
राजद के पांच एमएलसी जदयू में शामिल हो गए। इनमें राधा चरण सेठ, संजय प्रसाद, रणविजय सिंह, कमरे आलम और दिलीप राय हैं। राजद के विधान परिषद में आठ एमएलसी थे और एक साथ दो तिहाई नेताओं ने पार्टी छोड़ दी। विधान परिषद के सभापति ने भी इस गुट को मान्यता दे दी है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि संजय प्रसाद जदयू के ललन सिंह के काफी करीबी थे। उनका जाना पहले से तय था। इसके अलावा जदयू ने कमरे आलम को तोड़कर मुस्लिम वोटों को भी अपने पाले में लाने की कोशिश की है। बाकी चार नेता भी लगातार तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर सवाल खड़े रहे थे और पार्टी के खिलाफ बयान दे रहे थे। ऐसे में उन चारों का भी राजद छोड़ना लगभग पहले से तय था।

राजद के पांच एमएलसी के पार्टी छोड़ने के बाद राबड़ी देवी की नेता विपक्ष की कुर्सी जानी तय मानी जा रही है। बिहार विधान परिषद में कुल 75 सीटें है और विपक्ष के नेता के लिए 8 सीटें होनी चाहिए। 5 एमएलसी के पार्टी छोड़ने के बाद राजद के अब सिर्फ तीन एमएलसी बचे हैं। ऐसे में राबड़ी देवी को जल्द विपक्ष के नेता की कुर्सी छोड़नी पड़ सकती है। अब बिहार विधान परिषद की कुल 75 सीटों में जदयू के 20, भाजपा के 16, राजद के तीन, लोजपा और हम के एक-एक, कांग्रेस के दो और निर्दलीय दो एमएलसी हैं। बाकी सभी सीट अभी खाली है।

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