New Delhi : चलने फिरने के लिए दृष्टिबाधितों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। रास्तों में चलते वक्त वो खंभे से या दीवार से टकरा जाते हैं या फिर कई बार गड्ढों में गिर जाते हैं। कई बार उन्हें इतनी गंभीर चोटें आती हैं कि उन्हें एक और शारीरिक विपत्ति से होकर गुजरना पड़ता है। वो छड़ी यानी वॉकिंग स्टिक के सहारे से ही चल फिर पाते हैं लेकिन छड़ी उनकी ज्यादा मदद नहीं कर पाती। उनकी इसी समस्या से व्यथित होकर अरुणाचल प्रदेश के एक 20 साल के युवा इंजीनीयर ने इस समस्या का शानदार हल ढ़ूंढ़ निकाला है। इनका नाम है अनंग तादर जिन्होंने दृष्टिबाधितों के लिए एक सेंसर वाले चश्में को बनाया। इसे पहनकर दृष्टिबाधित व्यक्ति किसी दीवार या किसी लटकती हुई चीज से नहीं टकराएंगे। टकराने से पहले ये चश्मा वाइबरेट होगा जिससे दृष्टिबाधित व्यक्ति को चलने में सहुलियत होगा। आइये जानते हैं इस चश्में और इसे बनाने वाले अनंग के बारे में।
One person holds the power to inspire many. Anang Tadar is one such inspiration who has the vision of helping blind people lead a better life. Let us support such talent from Arunachal Pradesh.#SkillIndia #YouthWithVision pic.twitter.com/scosJjt6lj
— MyGov Arunachal Pradesh (@MyGovArunachal) March 13, 2019
Anang Tadar, a student of #InnovationHub of Regional Science Centre, Guwahati won A.P.J Abdul Kalam IGNITE Award… https://t.co/aksB39SPbK
— National Council of Science Museums-NCSM (@ncsmgoi) January 22, 2018
Acknowledge the Wisdom of Anang Tadar who used his Knowledge of Science for the Betterment of Mankind👌#UnsungHeroes pic.twitter.com/VTwg1QNRNL
— DARKMATTER (@DARKMATTER1008) January 2, 2018
Innovation Goggles for Blind to navigate easily and Safely.. By Civil Engineering Student ANANG TADAR. pic.twitter.com/41DTkmhPsS
— Dejar Tamin (@DejarTamin) January 26, 2020
Our country is full of beautiful minds working towards empowering every citizen. Anang Tadar did exactly that. Read more on https://t.co/mJy93bGzn0
Bajaj Finserv salutes these innovative minds this #EngineersDay . Click https://t.co/uJMUiDJNF1 to know more pic.twitter.com/lgsJJ23zrh
— Bajaj_Finserv (@Bajaj_Finserv) September 16, 2018
अनंग मूल रूप से अरुणाचल प्रदेश के रहने वाले हैं लेकिन उन्होंने अपनी सिविल इंजीनीयरिंग की पढ़ाई छत्तीसगढ़ में बिलासपुर के सीवी रमन यूनिवर्सिटी कोटा से की है। उनको ये आईडिया 16 साल की उम्र में आया था तब वो स्कूल में थे। अपने स्कूल और आस पास ही उन्होंने कई बार दृष्टिबाधित छात्रों को इस तरह की समस्या का सामना करते देखा था। यहां से ही अनंग के मन में उनके लिए कुछ करने की प्रेरणा जगी। इसके बाद वो इस मॉडल को पूरा करने के लिए अपनी पढ़ाई के अलावा टाइम निकालने लगे। और 2 सालों की मेहनत से उन्होंने 18 साल की उम्र में इस चश्में का पहला मॉडल बना दिया। इसके लिए कॉलेज ही नहीं देश स्तर पर उनकी तारीफ की गई। अपने इस मॉडल में अनंग ने और सुधार किए जिसमें दो साल का समय और लग गया।
इस चश्में की खासियत ये है कि अनंग ने इसे दृष्टिबाधितों के जीवन को ध्यान में रखकर बनाया है। दृष्टिबाधित इसे पहनकर बिना डरे बिना किसी संकोच के कहीं भी आ-जा सकते हैं। अगर उनके सामने कोई खंबा या कोई गाड़ी आ जाए, तो ये गॉगल उसे सेंसर और वाइब्रेशन के जरिए सतर्क कर देगा। साथ ही उसे राइट या लेफ्ट जाने के लिए संकेत भी देगा। उन्होंने बताया कि ये चश्मा एक्वा लोकेशन तकनीक के जरीए तैयार किया गया है। ये तकनीक साउंड वेव्स को छोड़ती है जो सामने पड़ने वाली किसी भी चीज से टकराकर वापस आती हैं।
Met 2day Anang Tadar, class XI student who invented a gadget Goggle for Blind (G4B). Have assured all help to him. @drharshvardhan pic.twitter.com/pXxwOLwr0J
— Pema Khandu པདྨ་མཁའ་འགྲོ་། (@PemaKhanduBJP) March 17, 2017
Arunachal tech genius, who invented goggles for blind, wants to make world a better place | North East India News, The Indian Express #anang #tadar has salvaged old parts from mobile phone @honeybeenetwork @SRISTIORG @nifindia https://t.co/HcXHpGm9nW
— anil gupta (@anilgb) January 21, 2019
https://t.co/AlovsXaByp Anang Tadar 4m Arunachal pradesh received Dinanath Pandey Smart Idea Innovation Award 2017 pic.twitter.com/Bps9whJwP4
— SailendraPandey PRO 2 PS, GoA. M AP CBFC GoI. (@spsailendra) February 12, 2017
Arunachal: Tadar Anang received National Grassroots innovator award https://t.co/4QLLMT094e pic.twitter.com/mpMP69J7ud
— Arunachal24 (@Arunachal24in) March 16, 2019
ये वेव्स वापस आकर एक वाइब्रेशन पैदा करती है जिससे व्यक्ति को अलर्ट मिलता है। इसी तकनीक का इस्तेमान चमगादड़ और पनडुब्बियों में किया जाता है। ये चश्मा सामने की बाधाओं को तो डिटेक्ट करता ही है साथ ही दाएं बाएं की चीजों को भी डिटेक्ट कर वाइब्रेशन देता है। उनका ये मॉडल टेस्टिंग में भी कामयाब रहा है। अगर इसे राष्ट्रीय स्तर पर प्रमाणित कर बाजार में उतारा जाए तो हमारे देश के करीब 1 करोड़ 20 लाख लोग जो देख नहीं सकते उनके इस अविष्कार का फायदा उठा सकते हैं। हाथ में स्टिक और इस चश्में को पहनकर वो चलते समय पूरी तरह सुरक्षित महसूस कर सकते हैं।