New Delhi : देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने ऐसे समय में देश का कार्यभार संभाला था जब देश आर्थिक, राजनैतिक और सुरक्षा के संकटों से जूझ रहा था। 1962 में चीन से युद्ध के बाद कई सालों तक भारत में भुखमरी अपने चरम पर रही। कुछ सालों बाद ही इधर पाकिस्तान ने भी आक्रमण कर दिया और पाकिस्तान के साथ 1965 में फिर से युद्ध शुरू हो गया। ऐसे समय में शास्त्री जी दिन रात देश के बारे में ही सोचते रहते।
Not just Nirav Modi, PNB had such customers too: Car loan taken by former PM Lal Bahadur Shastri from same bank was repaid by his widow Lalita from her pension. https://t.co/pdrhZKXwab @anilkshastri @SanjayNathSing2 @SidharthNSingh @MahimaShastri @vivekagnihotri @sunilshastri pic.twitter.com/ELnyMOYBFx
— Anuj Dhar (@anujdhar) February 21, 2018
उनका पूरा जीवन बड़ी कठिनाई में बीता लेकिन अपने नेतिक मूल्यों से उन्होंने कभी समझौता नहीं किया। देश के प्रधानमंत्री बनने के बाद भी उनके मन में किसी तरह के सुख की लालसा नहीं रहती थी। उनके सीधे-सादे जीवन में कोई बदलाव नहीं आया। आज भी देश ही नहीं शास्त्री जी पूरी दुनिया में सबसे इमानदार और सादा जीवन जीने वाले प्रधानमंत्री के रूप में जाने जाते हैं।
प्रधानमंत्री बनने के बाद जब उनके परिवार वालों ने उन पर उलाहना देते हुए कहा कि अब आप देश के प्रधानमंत्री हो गए हैं, अब हमारे पास कम से कम एक कार होनी चाहिए। शास्त्री जी को शुरुआत से ही किसी भी विलासिता का शौक नहीं रहा था लेकिन अपने परिवार की बात को रखने के लिए उन्होंने जीवन में पहली बार कार लेने का मन बनाया। उन्होंने अपने सचिव से अपने खाते को देखने के लिए कहा उनके खाते में उस वक्त मत्र सात हजार रुपये ही थे। उस जमाने में फिएट कार 12 हजार रुपये की आती थी। इसलिए उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक से अपनी कार के लिए 5 हजार रुपये का लोन लिया। लेकिन इस लोन को चुकाने से पहले ही उनकी ताशकंद में अचानक मृत्यु हो गई। लालबहादुर शास्त्री के बाद प्रधानमंत्री बनीं इंदिरा गाँधी ने सरकार की तरफ़ से लोन माफ़ करने की पेशकश की लेकिन उनकी पत्नी ललिता शास्त्री ने इसे स्वीकार नहीं किया। उनकी मौत के चार साल बाद तक अपनी पेंशन से उस लोन को चुकाया।
उनकी नैतिकता और ईमानदारी से जुड़े उनके जीवन में ऐसे ढेरो किस्से हैं। स्वतंत्रता की लड़ाई में जब वह जेल में थे तब उनकी पत्नी चुपके से उनके लिए दो आम छिपाकर ले आई थीं। इस पर खुश होने की बजाय उन्होंने उनके खिलाफ ही धरना दे दिया। शास्त्री जी का तर्क था कि कैदियों को जेल के बाहर की कोई चीज खाना कानून के खिलाफ है।
There are no files, or documents with the Govt. They are all gone. That’s why we researched all over the world for last 3 years, crowd-sourced info, spoke to all concerned – direct/indirect and soon we will reveal the real mystery in our film – #TheTashkentFiles pic.twitter.com/3obytSwKjZ
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) September 25, 2018
उनकी सादगी के बारे में बात करते हुए वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैय्यर ने एक इंटरव्यू में बताया था, ”वो एक आम आदमी की तरह एक सीधे-सादे भारतीय थे. लिबास में ही नहीं, बल्कि बातों में भी सादा और सरल व्यक्तित्व था उनका। उनके गृहमंत्री बनने के बाद और फिर प्रधानमंत्री बनने के बाद लंबे समय तक मैंने उनके साथ काम किया था। उनके व्यक्तित्व में कोई चालाकी वाली बात नहीं थी। दिल में बस यही था कि देश के लिए कुछ करूँ।