New Delhi : सावन के कृष्णपक्ष की पंचमी तिथि पर मौना पंचमी व्रत रखा जाता है। 10 जुलाई शुक्रवार को मौना पंचमी है। भगवान शिव की आराधना कर मौन रहकर यानी बिना बोले व्रत रखने का महत्व है। इसलिये इस व्रत को मौना पंचमी कहा जाता है। पंचमी तिथि के स्वामी नागदेवता होने से इस दिन नागदेवता को सूखे फल, खीर और अन्य सामग्री चढ़ाकर उनकी पूजा की जाती है। देश के कुछ हिस्सों में इस दिन नागपंचमी भी मनाई जाती है। कई क्षेत्रों में इसे सर्प से जुड़ा पर्व भी मानते हैं। इस तिथि के देवता शेषनाग हैं इसलिए इस दिन भोलेनाथ के साथ-साथ शेषनाग की पूजा भी की जाती है।
आज दिनाँक 09-07-2020 को श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में शयन आरती के दर्शन।#ShriKashiVishwanath #Shiv #Mahadev #Baba #ShayanAarti #Temple #Nyas #Varanasi #Kashi #Trust #Jyotirlinga #shrawan2020 pic.twitter.com/U4neIkr3Sf
— Shri Kashi Vishwanath Temple Trust (@ShriVishwanath) July 9, 2020
भारत में कुछ जगहों पर सावन माह की कृष्ण पक्ष की पंचमी को मौना पंचमी का व्रत रखा जाता है। यह पर्व बिहार में नागपंचमी के रूप में मनाया जाता है। झारखंड के देवघर के शिव मंदिर में इस दिन श्रवणी मेला लगता है, मंदिरों में भगवान शिव और शेषनाग की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में नवविवाहताओं के लिए यह दिन विशेष महत्वपूर्ण होता है। इस दिन से नवविवाहित महिलाएं 15 दिन तक व्रत रखती हैं और हर दिन नाग देवता की पूजा करती हैं। मौना पंचमी के दिन विधि विधान से व्रत करते हुये पूजा और कथा सुनने से सुहागन महिलाओं के जीवन में किसी तरह की बाधा नहीं आती हैं।
मौना पंचमी को शिवजी और नाग देवता की पूजा सांसारिक जहर से बचने का संकेत हैं। मौन व्रत न केवल व्यक्ति को मानसिक रूप से संयम और धैर्य रखना सिखाता है वहीं इससे शारीरिक ऊर्जा भी बचती है। कई क्षेत्रों में इस दिन आम के बीज, नींबू तथा अनार के साथ नीम के पत्ते चबाते हैं। ये पत्ते शरीर से जहर हटाने में काफी हद तक मदद करते हैं।