New Delhi : मध्य प्रदेश के राज्यपाल का आज निधन हो गया। वे 85 वर्ष के थे। वे भाजपा की उत्तर प्रदेश सरकार में वर्ष 1991-92 में और फिर 97 में मंत्री रहे। वे दो बार विधान परिषद् के सदस्य भी रहे तो कई बार विधानसभा चुनाव भी जीता। उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी लखनऊ संसदीय सीट छोड़ने के बाद उन्हें सौंप दी। लालजी टंडन ने जेपी आंदोलन में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया और उत्तर प्रदेश पॉलिटिक्स में कई प्रयोग के वाहक भी बने। जिसमें से सबसे अहम था भाजपा का बसपा के साथ मेल और फिर सरकार बनाया।
Shri Lalji Tandon was well-versed with constitutional matters. He enjoyed a long and close association with beloved Atal Ji.
In this hour of grief, my condolences to the family and well-wishers of Shri Tandon. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) July 21, 2020
उनके निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत सभी कैबिनेट मंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व उनके मंत्रियों ने लालजी टंडन के निधन पर शोक प्रकट किया है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने लालजी टंडन के निधन पर तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है।
कल 20 जुलाई की शाम में तबीतय बिगड़ने के बाद उन्हे लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया। उन्हें ट्रेकोस्टॉमी के माध्यम से फिर क्रिटिकल केयर वेंटिलेटर पर लिया गया। मंगलवार सुबह उनका अस्पताल में निधन हो गया।
लालजी टंडन का जन्म 12 अप्रैल 1935 को लखनऊ में हुआ था। स्नातक तक की पढ़ाई करनेवाले लालजी टंडन के बेटे गोपाल जी टंडन इस समय उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में मंत्री हैं। उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत 1960 में हुई। टंडन दो बार पार्षद चुने गये।
1978 से 1984 और 1990 से 96 तक लालजी टंडन दो बार उत्तर प्रदेश विधानपरिषद के सदस्य रहे। 19991 से 92 की यूपी सरकार में वह मंत्री भी बने। इसके बाद लालजी टंडन 1996 से 2009 तक लगातार तीन बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। 1997 में फिर से वह विकास मंत्री बने।