T-90 भीष्म टैंक को अभेद्य बनाने के लिये 537 करोड़ का सौदा, माइन्स भी कुछ न बिगाड़ पायेंगे

New Delhi : पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ एलएसी को लेकर जारी विवाद के बीच भारतीय सेना पूरी तरह से तत्पर और तैयारी में जुटी हुई है। भारतीय सेना पूरी तरह से एलर्ट पर है और अपनी कमजोरियों को दूर कर रही है। केंद्र सरकार ने भी भारतीय सेना को साजो सामान की खरीद के लिये पूरी छूट दी है। इसी प्रक्रिया में भारतीय सेना ने एलएसी पर तैनात भारतीय टैंक T-90 भीष्म टैंकों को और भी प्रभावशाली और दक्ष बनाने के लिये 557 करोड़ रुपये की एक डील साइन की है।

एजेंसी रिपोर्टस के मुताबिक इस डिफेंस डील के तहत भारत को 1512 माइन प्लाउ मिलेंगे। इसे बाद में T-90 भीष्म टैंक पर फिट किया जायेगा। इस नई डील के तहत माइन प्लॉव भारत अर्थ मूवर्स से खरीदने का निर्णय लिया गया है। डील के अनुसार 50 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री के साथ बनाये जायेंगे।
भीष्म टैंक के ऊपर माइन प्लाउ को लगाये जायेंगे। इसका फायदा यह होगा कि अगर किसी इलाके में शत्रु माइंस बिछा दे तो उसे टैंक के ऊपर रहकर ही खोदकर बाहर निकाला जा सकता है। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि साल 2027 तक यह डील पूरी कर ली जायेगी। यानी 2027 तक सारे भीष्म पर माइन प्लाउ लगा दिये जायेंगे। युद्ध् के समय यह बेहद मददगार साबित होंगे। अगले साल से इसकी आपूर्ति शुरू हो जायेगी।
इधर भारत और चीन के बीच लद्दाख में एलएसी को लेकर जारी तनाव के बीच 20 जुलाई को भारतीय नौसेना ने बंगाल की खाड़ी में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पास अमेरिकी नौसेना के युद्धक समूह के साथ सैन्य अभ्यास में भाग लिया।
परमाणु-संचालित विमान वाहक अमेरिकी फ्लोटिला, यूएसएस निमित्ज के नेतृत्व में भारतीय जहाजों ने दोनों बलों के बीच विश्वास के निर्माण के लिये पासिंग एक्सरसाइज पैसेक्स नामक युद्धाभ्यास किया। निमित्ज़ और यूएसएस आर-निमित्ज़ और यूएसएस रोनाल्ड रीगन विमानवाहक पोत नेविगेशन की स्वतंत्रता और चीन की विस्तारवादी योजनाओं को रोकने के लिये संघर्षरत दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में काम कर रहे हैं।

रोनाल्ड रीगन कैरियर स्ट्राइक समूह के लिए सार्वजनिक मामलों के अधिकारी शॉन ब्रोफी ने कहा- मैं पुष्टि कर सकता हूं कि यूएसएस निमित्ज़ और यूएसएस रोनाल्ड रीगन दक्षिण चीन सागर में एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक का समर्थन करने के लिये दोहरे वाहक संचालन और अभ्यास कर रहे हैं।

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