कानपुर
उत्तर प्रदेश के सबसे प्रमुख शहरों में से एक कानपुर, अब जल्द ही ‘मेट्रो सिटी’ का दर्जा हासिल करने वाला है। उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लि. (यूपीएमआरसी) के तत्वाधान में कानपुर मेट्रो परियोजना के सिविल निर्माण को आज एक साल पूरे हो गए हैं और इस एक साल की अवधि में यूपी मेट्रो ने शहरवासियों को तय समय में मेट्रो सेवाओं की सौगात देने की प्रतिबद्धता के साथ नवोन्मेष के बल पर निर्माण की असाधारण रफ़्तार को बरकरार रखा और कई उपलब्धियां अपने नाम कीं। वर्तमान में आईआईटी, कानपुर से मोतीझील के बीच 9 किमी. लंबे प्रयॉरिटी कॉरिडोर का निर्माण कार्य हो रहा है।
शहर की विस्तृत आबादी, जनसंख्या घनत्व और यातायात की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार के संयुक्त प्रयासों से कानपुर में 8 मार्च, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मा. मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ की गरिमामय उपस्थिति में कानपुर मेट्रो परियोजना का शिलान्यास हुआ था, जिसके बाद 15 नवंबर, 2019 को श्री हरदीप सिंह पुरी, केंद्रीय मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), आवास और शहरी कार्य मंत्रालय, भारत सरकार की मौजूदगी में मा. मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा आईआईटी, कानपुर से परियोजना के सिविल निर्माण कार्य का शुभारंभ हुआ। इस आग़ाज़ के बाद, यूपी मेट्रो ने तमाम चुनौतियों को बेमानी करते हुए, सिविल निर्माण को इस तरह से अंजाम दिया कि कानपुर मेट्रो परियोजना देश की अन्य मेट्रो परियोजनाओं के लिए एक मिसाल बनकर उभरी।
नए प्रयोगों ने बनाया कानपुर मेट्रो को ख़ास!
यूपी मेट्रो के प्रबंध निदेशक श्री कुमार केशव के कुशल नेतृत्व में मेट्रो इंजीनियरों की टीम ने कानपुरवासियों को निर्धारित समय-सीमा के अंतर्गत मेट्रो सेवाओं की सौगात देने के उद्देश्य के साथ कई नवोन्मेष किए और देश की अन्य मेट्रो मेट्रो परियोजनाओं के लिए नए प्रतिमान स्थापित किए। यूपी मेट्रो ने कानपुर मेट्रो परियोजना के अंतर्गत मेट्रो स्टेशनों के कॉनकोर्स (उपरिगामी स्टेशन का पहला तल) का आधार तैयार करने के डबल टी-गर्डर्स का प्रयोग किया, जो देश में पहली बार था। इन डबल टी-गर्डर्स का प्रयोग निर्माण कार्य की रफ़्तार को बढ़ाने और मेट्रो ढांचे की सुंदरता या फ़िनिशिंग को बेहतर बनाने के लिए किया गया। मेट्रो इंजीनियरों की टीम, लखनऊ मेट्रो परियोजना के अनुभवों के आधार पर कानपुर मेट्रो परियोजना के निर्माण को पहले से कहीं बेहतर ढंग से अंजाम दे रही है।
आमतौर पर मेट्रो स्टेशनों का कॉनकोर्स तैयार करने के लिए सिंगल टी-गर्डर का इस्तेमाल होता है, लेकिन कानपुर मेट्रो में एलिवेटेड (उपरिगामी) मेट्रो स्टेशनों के कॉनकोर्स फ़्लोर की स्लैब तैयार करने के लिए डबल टी-गर्डर का इस्तेमाल किया जा रहा है ताकी निर्माण कार्य में लगने वाले समय की बचल हो और साथ ही, स्ट्रक्चर की फ़िनिशिंग भी बेहतर हो सके।
ट्रैफ़िक न करे परेशान, इसके लिए सारे इंतज़ाम!
कानपुर मेट्रो की निर्माण गतिविधियों के चलते शहरवासियों को यातायात की समस्याओं से न जूझना पड़े, इसके लिए कानपुर में यूपी मेट्रो के इंजीनियरों ने एक और नया प्रयोग किया। कानपुर में आईआईटी से मोतीझील के बीच प्रयॉरिटी कॉरिडोर या प्राथमिक सेक्शन का निर्माण कार्य चल रहा है। इस कॉरिडोर के अंतर्गत, स्थान विशेष पर सड़क पर होने वाली निर्माण गतिविधियां पूरीं होने के बाद मेट्रो कॉरिडोर की बैरिकेडिंग को संकरा कर दिया जाता है और कॉरिडोर में पौधा रोपण के लिए लगाए जाने वाले कर्ब स्टोन की ढलाई के बाद बैरिकेडिंग को हटा लिया जाता है।
दिन-रात तैनात रहते हैं मेट्रो के मार्शल
9 किमी. लंबे प्रयॉरिटी कॉरिडोर पर दोनों शिफ़्टों में 25-30 ऐसे स्पॉट चयनित किए जाते हैं, जहां ट्रैफ़िक जाम की आशंका अधिक होती है और जहां पर ट्रैफ़िक डायवर्ज़न के चलते अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। इन सभी जगहों पर दिन-रात मेट्रो के लगभग 50 मार्शल्स तैनात रहते हैं, जो ट्रैफ़िक को सुचारू रूप से चालू रखने में मदद करते हैं।
कानपुर मेट्रो परियोजना का संक्षिप्त परिचयः
पहला कॉरिडोरः
आईआईटी से नौबस्ता
स्टेशनः 21
एलिवेटेडः 14
अंडरग्राउंडः 7
कॉरिडोर की लंबाई.- लगभग 23 किमी.
दूसरा कॉरिडोरः
चंद्रशेखर आज़ाद कृषि विश्वविद्यालय से बर्रा-8
स्टेशनः 8
एलिवेटेड-4
अंडरग्राउंड-4
कॉरिडोर की लंबाई- लगभग 8 किमी.
दोनों कॉरिडोर्स की अनुमानित लागतः 11076.48 करोड़ रुपए
अनुमानित समयः 5 साल
8 मार्च, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानपुर मेट्रो परियोजना का शिलान्यास किया था।
वर्तमान में आईआईटी से मोतीझील के बीच 9 किमी. लंबे प्रयॉरिटी कॉरिडोर या प्राथमिक सेक्शन का निर्माण कार्य जारी है। इस सेक्शन के सिविल निर्माण का कॉन्ट्रैक्ट मेसर्स एफ़कॉन्स और फ़िनिशिंग का कॉन्ट्रैक्ट मेसर्स सैम इंडिया बिल्टवेल प्राइवेट लि. के पास है। कानपुर मेट्रो का डिपो पॉलिटेक्निक परिसर के अंदर तैयार हो रहा है, जिसका कॉन्ट्रैक्ट मेसर्स केएसएम बशीर के पास है।
आइए अब नज़र डालते हैं कानपुर मेट्रो के पहले साल के सफ़र परः
15 नवंबर, 2019 को मा. मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ जी द्वारा कानपुर मेट्रो के सिविल निर्माण का शुभारंभ।
31 दिसंबर, 2019 को आईआईटी से मोतीझील के बीच बन रहे प्रयॉरिटी कॉरिडोर का पहला पियर (पिलर) तैयार हुआ। 9 किमी. लंबे प्राथमिक सेक्शन में कुल 506 पियर (पिलर) तैयार होने हैं, जिनमें से अभी तक 294 पियर तैयार हो चुके हैं।
20 जनवरी, 2020 को लखनपुर कास्टिंग यार्ड में यू-गर्डर्स की कास्टिंग शुरू हुई। एक यू-गर्डर 27 मीटर लंबा और लगभग 4 मीटर चौड़ा होता है, जिसका वज़न लगभग 150 टन होता है।
2 मार्च, 2020 को पियर कैप इरेक्शन (परिनिर्माण) की शुरुआत हुई। 9 किमी. लंबे प्राथमिक सेक्शन में कुल 300 पियर कैप रखे जाने हैं, जिसमें से 132 रखे जा चुके हैं। मेट्रो पियर (पिलर) के ऊपरी हिस्से में फिट होता है पियर कैप। इन पियर पर ही यू-गर्डर बिछाकर तैयार होता है मेट्रो ट्रैक का आधार।
कोविड-19 की वैश्विक महामारी के चलते 22 मार्च, 2020 को कानपुर मेट्रो का निर्माण कार्य बंद हुआ। सरकार और स्थानीय प्रशासन से अनुमति मिलने के बाद 29 अप्रैल, 2020 को मेट्रो के कास्टिंग यार्ड और डिपो में निर्माण कार्य शुरू हुआ और 15 मई, 2020 को सड़क पर तैयार हो रहे मेट्रो कॉरिडोर के निर्माण कार्यों की शुरुआत हुई। 29 अप्रैल के बाद सिर्फ़ 50 दिनों के भीतर मेट्रो निर्माण में लगे मजदूरों का आंकड़ा 1000 के पार पहुंच गया।
25 जुलाई, 2020 को यूपी मेट्रो ने आईआईटी मेट्रो स्टेशन के कॉनकोर्स के लिए पहला डबल टी-गर्डर रखा। सिर्फ़ 2.5 महीने के समय में यूपी मेट्रो ने 100 डबल टी-गर्डर्स का इरेक्शन पूरा कर लिया। प्रयॉरिटी कॉरिडोर के 9 मेट्रो स्टेशनों के लिए कुल 384 डबल टी-गर्डर रखे जाने हैं, जिनमें से अभी तक 165 रखे जा चुके हैं।
11 अगस्त, 2020 को मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन की उपस्थिति में प्रयॉरिटी कॉरिडोर में आईआईटी, कानपुर के नज़दीक से यू-गर्डर इरेक्शन की शुरुआत हुई। पहले ही दिन, रात में दो यू-गर्डर रखे गए। सिर्फ़ 67 दिनों के भीतर यू-गर्डर इरेक्शन की सेंचुरी पूरी की गई। प्राथमिक सेक्शन में कुल 638 यू-गर्डर रखे जाने हैं, जिनमें से अभी तक 142 यू-गर्डर्स रखे जा चुके हैं।