New Delhi : कोरोना आपदा की रोकथाम के लिए लागू किया गया लॉकडाउन का तीसरा चरण 17 मई को खत्म होने वाला है। अब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लॉकडाउन के बाद उद्योगों को फिर से शुरू किये जाने को लेकर कुछ गाइडलाइन जारी की हैं। इन गाइडलाइन में बताया गया है लॉकडाउन के बाद के एक हफ्ते को ट्रायल पीरियड मानें।
गृह मंत्रालय द्वारा लॉकडाउन के बाद विनिर्माण उद्योगों को फिर से शुरू करने के लिए जारी गाइडलाइन में कहा गया है – फैक्ट्री को फिर से शुरू करते समय, पहले सप्ताह को टेस्ट रन पीरियड के रूप में मानें। सभी सुरक्षा और प्रोटोकॉल सुनिश्चित करें और ज्यादा प्रोडक्शन करने का लक्ष्य हासिल करने की कोशिश न करें।
Ministry of Home Affairs (MHA) issues guidelines for restarting manufacturing industries after lockdown. "While restarting the unit, consider the first week as the trial or test run period; ensure all safety & protocols, & don't try to achieve high production targets", says MHA. pic.twitter.com/WC1l55LkVx
— ANI (@ANI) May 10, 2020
गाइडलाइन में कहा गया है – कम से कम जोखिम के लिए यह जरूरी है कि इंडस्ट्री में उपकरण पूरी तरह से सैनिटाइज किये गये हों। इस गाइडलाइन में फैक्ट्री के रखरखाव और तकनीकी दक्षता पर फोकस किया गया है। विशेषरूप से केमिकल आदि के स्टोरेज और इस्तेमाल को लेकर।
इधर, गुजरात, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की राज्य सरकारों ने श्रम कानूनों में कई तरह के बदलाव किये हैं। वैसे इस बदलाव का मकसद केवल प्रोडक्शन बढ़ाना नहीं है। बल्कि चीन छोड़कर भारत आने की इच्छुक कंपनियों को प्रलोभन देना भी है कि वे सरकार के लचीले सिस्टम से प्रभावित होकर अपनी मैनुफैक्चरिंग यूनिट या ऑफिस इन राज्यों में ही खोलें। तीनों राज्यों ने तीन वर्ष के लिए उद्योगों को न केवल लेबर कानून से छूट दी है, बल्कि उनके रजिस्ट्रेशन और लाइसेंसिंग प्रक्रिया को भी ऑनलाइन व सरल कर दिया है। नये उद्योगों को अभी लेबर कानून की विभिन्न धाराओं के तहत पंजीकरण कराने और लाइसेंस प्राप्त करने में 30 दिन का वक्त लगता था, अब वह प्रक्रिया 1 दिन में पूरी होगी। इसके साथ ही उद्योगों को उत्पादन बढ़ाने के लिए शिफ्ट में परिवर्तन करने, श्रमिक यूनियनों को मान्यता देने जैसी कई छूट दी गई हैं। राज्य सरकारों की इन घोषणाओं से एक तरफ उद्योग जगत राहत महसूस कर रहा है तो वहीं श्रमिक संगठन आशंका जता रहे हैं कि इससे कर्मचारियों पर काम का दबाव और बढ़ेगा।