Hindi Medium- मिलिये हिंदी मीडियम के IAS टॉपर्स से- हिंदी के प्रति बदल जायेगा नजरिया

New Delhi : भारतीय प्रशासनिक सेवा यानी आईएएस में जाने का सपना ज्यादातर युवा रखते हैं लेकिन इसकी कठिन परीक्षा के कारण ज्यादातर इसमें असफल रहते हैं। इस सेवा में जाने के लिए सिविल सेवा परीक्षा यानी कि यूपीएससी को क्लियर करना होता है। परीक्षा का सिलेबस लंबा होने के कारण ज्यादातर उन्हीं विद्यार्थियों को सफलता मिलती है जो एक स्ट्रेटजी के तहत पढ़ाई करते हैं। इस परीक्षा को देने वाला एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है जो हिंदी पट्टी से संबंध रखता हैं यानी वे जिनकी शिक्षा हिंदी माध्यम में हुई हो।

यूपीएससी की परीक्षा में भी माध्यम को चुनने और उसमें परीक्षा देने का विकल्प होता है। यूपीएससी परीक्षा जब से शुरू हुई है तभी से ही अंग्रेजी माध्यम वाले विद्यार्थी आगे रहें हैं। यही हाल लगभग आज भी है, तो क्या टॉपर्स सिर्फ इंगलिश मीडियम से होने मात्र से ही परीक्षा पास कर जाते हैं। इस बारे में विशेषज्ञों का मानना है कि दिक्कत भाषा में न होकर पढ़ाई करने के तरीके में होती है। मसलन ऐसे विद्यार्थी जो हिंदी माध्यम से परीक्षा देते हैं लेकिन इंगलिश में पकड़ अच्छी न होने के कारण वो उस ज्ञान से चूक जाते हैं जो अंग्रेजी में ही उपलब्ध है। आज हम आपको कुछ ऐसे ही आईएएस अधिकारियों के बारे में पताएंगे जिन्होंने हिन्दी माध्यम से इस परीक्षा को पास किया।

1. निशांत जैन– इन्होंने 2014 में यूपीएससी की परीक्षा दी थी। हिंदी माध्यम के बारे में नकारात्मक सोच रखने वालों के लिए निशांत एक उम्मीद बनकर आए। सभी धारणाओं को झुठलाते हुए उन्होंने यूपीएएसी परीक्षा में 13वां रैंक हासिल किया था। उनके कई साथियों ने हिंदी को लेकर उन्हें कई बार टोका कि अंग्रेजी में परीक्षा दे सकते तो हो तो अंग्रेजी में ही दो। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने पूरी मेहनत से हिंदी में ही तैयारी की। निशांत कहते हैं कि मैंने हिंदी को अपनी कमजोरी नहीं बल्कि अपनी मजबूती माना। अंग्रेजी के बारे में निशांत कहते हैं कि अंग्रेजी पर पकड़ होना भी जरूरी है लेकिन अंग्रेजी ही सफलता की सीढ़ी है ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है। उन्होंने बताया कि जब वो तैयारी कर रह थे तो अच्छे नोट्स अंग्रेजी में ही मिलते थे जिन्हें पढ़ने में उन्होंने कभी गुरेज नहीं किया।

2. अनुराधा पाल– अनुराधा पाल 2015 की यूपीएससी परीक्षा में हिंदी माध्यम से सबसे ज्यादा स्कोर करने वाली केंडीडेट रहीं। उन्हें ऑल ओवर 62वीं रेंक प्राप्त हुई थी। अनुराधा ने हिंदी माध्यम से परीक्षा देना और इसे पास करना और भी आसान बताया, बशर्ते विद्यार्थी अपने विषय में पकड़ रखे। वो कहती हैं कि जो विद्यार्थी ये कहते हुए कि अंग्रेजी माध्यम से परीक्षा देने से ही वो सफल हो सकते हैं, वो ज्यादातर असफल ही रहते हैं। इसके पीछे कारण ये रहता है कि वो भाषा में ही उलझे रहते हैं और विषय के ज्ञान से अपनी पकड़ खोते चले जाते हैं, जिस कारण वो अक्सर असफल होते रहते हैं। वो अंग्रेजी को सिर्फ एक भाषा मानती हैं जिसमें वो बेहद अच्छी पकड़ रखने की बात कहती हैं। ये इसलिए ताकि इंगलिश कंटेंट में जो बेहतरीन जानकारियां हैं उन्हें पढ़ सकें।
3. अनिरुद्ध कुमार– 2017 की परीक्षा में अनिरुद्ध हिन्दी माध्यम से परीक्षा देने वाले केंडीडेट्स में सबसे आगे रहे। उन्हें 146वां रेंक मिला था। अनिरुद्ध ये बात मानते हैं कि हिन्दी माध्यम में तैयारी करने वाले विद्यार्थियों को दोहरी मेहनत करनी होती है एक तो अंग्रेजी भाषा को समझने में और दूसरा फिर उसमें छिपी जानकारियों को निकालने में। अनिरुद्ध का कहना कि यूपीएससी एक व्यापक सिलेबस वाला एग्जाम है जिसमें काफी जगह से और काफी विषयों की जानकारी होनी चाहिए और वो जानकारी आपको जरूरी नहीं कि हिन्दी माध्यम में ही मिल जाएगी।

इसके लिए हिन्दी माध्यम से परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों को अपने आपको अंग्रेजी में इतना कुशल तो बनाना ही होगा कि वो भले ही अंग्रेजी में लिखे न लेकिन उन्हें पूरी तरह अंग्रेजी को समझनी आनी चाहिए। असल में वो अंग्रेजी की काट अंग्रेजी से ही मानते हैं।

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