New Delhi : चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि को नवरात्र के अलावा एक और महत्वपूर्ण त्यौहार मनाया जाता है जिसे गुड़ी पड़वा के नामसे जाना जाता है। हिंदू धर्म में इस पर्व को अधिक महत्व प्रदान है। हिंदू धर्म में इसे लेकर काफी मान्यताएं भी प्रचलित है। तो चलिएजानते हैं हिंदू धर्म के इस त्यौहार के महत्व के साथ–साथ इसका शुभ मुहूर्त, पूजन विधि आदि।
गुड़ी पड़वा का ये पर्व महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और गोवा सहित दक्षिण भारतीय राज्यों में बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है। जोप्रत्येक वर्ष चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को ही मनाया जाता है। यूं तो इसे लेकर हिंद धर्म में काफ़ी मान्यताएं प्रचलित हैं, लेकिन मुख्यरूप से जो मान्यता है वो ब्रह्मा जी से संबंधित है कि इसी दिन इन्होंने सृष्टि का निर्माण किया था।
गुड़ी पड़वा पर्व तिथि व मुहूर्त 2020
प्रतिपदा तिथि आरंभ – 14:57 (24 मार्च 2020)
प्रतिपदा तिथि समाप्त – 17:26 (25 मार्च 2020)
घर में लगाया जाता पताका और तोरण–
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाए जाने वाले गुड़ी पाड़वा के दिन घर में पताका और तोरण लगाने की परंपरा है। क्योंकि गुड़ी अर्थ “विजय” माना जाता है। यही कारण है कि इस दिन लोग अपने घरों में पताका आदि लगाते हैं जो उनकी और उनके परिवार की जीत को दर्शाताहै। परंतु बता दें कुछ लोग इसे घर की किसी भी दिशा व दशा में लगा देते हैं मगर धार्मिक और वास्तु शास्त्र के अनुसार इस लगाने केलिए दक्षिण–पूर्व कोना यानि आग्नेय कोण में लगाना चाहिए। तो वहीं इस दिन पताका कैसे लगाना चाहिए इस बात का भी ध्यान रखनाचाहिए। पांच हाथ ऊंचे डंडे में, सवा दो हाथ की लाल रंग की पताका लगानी चाहिए। काफ़ी लोग इस दिन ध्वजा भी लगाते हैं। दरअसलपताका तीन कोनों वाली होती हैं और ध्वजा चार कोनों वाली होती हैं। आप इनमें से कोई भी लगा सकते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ध्वजा या पताका लगाते समय सोम, दिगंबर कुमार और रूरु भैरव का ध्यान कर उनसे अपनी ध्वजा यापताका की रक्षा के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। उनसे अपने घर की सुख–समृद्धि के लिए भी प्रार्थना करें। कहा जाता है ऐसा करने से जहांएक तरफ जातक की जीत सुनिश्चित होती है तो वहीं दूसरी ओर जीवन में सुख–समृद्धि की बढ़ोत्तरी होती है तथा साथ ही साथ केतु केशुभ परिणाम भी प्राप्त होते हैं। इतना ही नहीं घर का वास्तु भी दुरुस्त हो जाता है।
यहां जानें गुड़ी पड़वा से जुड़ा श्लोक–
सूर्य संवेदना पुष्पे:, दीप्ति कारुण्यगंधने।
लब्ध्वा शुभम् नववर्षेअस्मिन् कुर्यात्सर्वस्य मंगलम्।।
अर्थात– जिस तरह सूर्य प्रकाश देता है, पुष्प देता है, संवेदना देता है और हमें दया भाव सिखाता है उसी तरह यह नव वर्ष हमें हर पल ज्ञानदे और हमारा हर दिन, हर पल मंगलमय हो।