New Delhi : लद्दाख में भारत-चीन के बीच चल रही तनातनी की पहली बार रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पुष्टि की है। उन्होंने कहा – चीन ने पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएसी पर बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती की है। हालांकि, भारत ने इस हालात से निपटने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए हैं। सीमा विवाद के मामले में दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य अफसरों के बीच 6 जून को बैठक होनी है। हालांकि, उन्होंने साफ कर दिया कि भारत फिलहाल पीछे नहीं हटेगा।
रक्षा मंत्री ने न्य़ूज चैनल से कहा – पूर्वी लद्दाख में इस वक्त जो रहा है, वह सही है। चीन की सेना एलएसी पर है। वह दावा कर रहे हैं यह इलाका उनका है, जबकि हमारा दावा है कि यह भारतीय सीमा में आता है। इस पर ही दोनों के बीच असहमति है। बड़ी संख्या में पीपल्स लिबरेशन आर्मी के जवानों ने यहां डेरा डाला हुआ है। लेकिन भारत को इससे निपटने के लिए जो करना चाहिए, वह किया जा रहा है।
#Gravitas | Speaking exclusively to WION, Indian Defence Minister Rajnath Singh (@rajnathsingh) shared what India is doing to end the border standoff in Ladakh. @palkisu tells you more. @DefenceMinIndia pic.twitter.com/K1uNezNIa9
— WION (@WIONews) June 2, 2020
रक्षा मंत्री ने कहा – चीन को मुद्दे पर गंभीरता से सोचना चाहिए ताकि इसका जल्द समाधान किया जा सके। डोकलाम विवाद का समाधान कूटनीतिक और दोनों सेनाओं के बीच बातचीत के जरिए हुआ था। हमने इससे पहले भी ऐसे हालात का समाधान निकाला है। मौजूदा विवाद के समाधान के लिए भी सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है। हमारी नीति इस बारे में साफ है। भारत किसी देश के गौरव को नुकसान नहीं पहुंचाता है और न ही वह अपने सम्मान को नुकसान पहुंचाने की किसी देश की कोशिश को बर्दाश्त करेगा।
पैंगोंग त्सो के आसपास के फिंगर एरिया में भारत सड़क निर्माण कर रहा है। इसके अलावा गालवान घाटी में दारबुक-शायोक-दौलत बेग ओल्डी को जोड़ने वाली एक और रोड का काम चल रहा है। दोनों देशों के बीच ताजा विवाद की यही वजह है। चीन भी इसी फिंगर एरिया में सड़क निर्माण कर रहा है, जिसपर भारत ऐतराज जता रहा है। विवाद के बाद भारत यहां सैनिकों की तैनाती बढ़ाने के साथ ही आर्टिलरी गन और बाकी साजो सामान भेज रहा है।
पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के बीच 5 मई से ही हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। इसी दिन दोनों देशों के 200 से ज्यादा सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। जो अगले दिन भी जारी रही, जिसके बाद दोनों पक्ष अलग हुए। हालांकि, बातचीत के बाद दोनों सेनाएं पीछे हट गईं। हालांकि, इसके बाद भी तनातनी बनी हुई है।
इसी तरह की घटना उत्तरी सिक्किम में नाकूला दर्रे के पास 9 मई को भी हुई, जिसमें भारत और चीन के करीब 150 सैनिक आपस में भिड़ गए थे। दोनों देशों के सैनिकों के बीच 2017 में डोकलाम में 73 दिन तक गतिरोध चला था। भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर विवाद है।