New Delhi : जो लोग जीवन का अंदाजा परीक्षा में पास और फेल से लगाते हैं आज उन्हें अंजनी गांगुली के बारे में जान लेना चाहिए। हालांकि छत्तिसगढ़ के रायपुर में ये नाम परिचय का मोहताज नहीं है। उनकी आवाज सुबह से ही रेडियो पर घर घर में गूंजने लगती है। अंजनी रायपुर के रेडियो माई एफएम में रेडियो जॉकी हैं। इससे पहले वे रेडियो सिटी और रेडियो मिर्ची में भी काम कर चुकी हैं। वैसे उनको रेडियो जाकी का ब्रेक रेडियो मिर्ची ने ही दिया। उनके बारे में आज हम इसलिए बता रहे हैं क्योंकि उन्होंने रेडियो जॉकी बनने का ये सफर फेलियर और असफलताओं के बूते पर तय किया।
हर इंसान से सीखो! | RJ Anjani Ganguly | Radio Mirchi
हम चाहें तो अपने आस-पास के प्रत्येक इंसान से कुछ सीख सकते हैं।RJ Anjani
Posted by जोश Talks on Wednesday, June 20, 2018
आज जिस लड़की की आवाज रायपुर में हर गली नुक्कड़ में रखे रेडियो पर गूंजती है, वो लड़की 12वीं में एक नही दो नहीं तीन-तीन बर फेल हुई थी। यही नहीं अपने सपने का पाने के लिए वो बार बार रिजेक्ट की गईं। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपनी हर असफलता को ही उन्होंने अपनी सफलता का ईंधन बना लिया और कामयाबी हासिल की।
जब अंजनी 12वीं में लगातार फेल होती गईं तो आस पास के लोगों ने उनका इतना मजाक उड़ाया कि वो डिप्रेशन में चली गईं। वो बताती हैं कि वो महीनों घर से बाहर नहीं निकलती थीं। उनको उनके घर के आस पास रहने वाले लोगों के ताने मिले। दोस्तों ने रिश्तेदारों ने इसे लेकर उनका मजाक उड़ाया। हर तरफ से अंजनी अपने आपको हारा हुआ महसूस कर रही थीं। जब भी वो कुछ करने का सोचती तो उन्हें कहा जाता तुमसे कुछ नहीं होगा। अंजनी इस स्थिति से अपने आपको उबारने के लिए अपनी एक दोस्त का शुक्रिया करते हुए कहती हैं कि उसी दोस्त ने उनमें फिर से आत्मविश्वास भरा। उनकी इसी दोस्त ने उन्हें उनकी आवाज के लिए रेडियो में ट्राई करने की सलाह दी।
इसके बाद उन्होंने पत्रकारिता की पढ़ाई की जिसके बाद जॉब के लिए उन्होंने कई छोटी मेग्जीन में काम किया। मीडिया चैनल और रेडियों स्टेशन्स पर इंटर्न्शिप की। इसके बाद उन्होंने एक स्थानीय रेडियो पर इंटरव्यू दिया और वो सिलेक्ट हो गईं। इसके बाद उन्होंने अपनी पर्सनेलिटी, अपनी भाषा और बोलने के लहजे पर काम किया बाद में 2010 में वो रेडियो मिर्ची में रेडियो जॉकी के लिए चुनी गईं।
अंजनी कहती हैं ” आप अगर दिल से किसी चीज़ को चाहते हैं तो आपको वो मिलकर ही रहेगी। रिजेक्शन और फेलियर को हमेशा एक क्राउन की तरह समझिये। हम आज जो भी हैं, अपने रिजेक्शन्स और फेलियर की वजह से हैं, अगर ये नहीं होते तो शायद हम आज इस मुकाम पर नहीं पहुँच पाते।” आज वो लाखों युवाओं को अपनी न हारने वाले इच्छा शक्ति से प्रेरित कर रही हैं।