कूड़ा बिनने से अफसर बनने तक का सफर- जुआ-नशे की लत से उबरा, पढ़ने लगा और पलटी किस्मत

New Delhi : दिल्ली की झुग्गी झोपडियों में पला बढ़ा लड़का जिसने आवारागर्दी की, नशे की लत में पड़ा जुएं में पैसा लगाने के लिए चोरी की भीख मांगी, लेकिन आज वही लड़का एक सरकारी बैंक में कैशियर है। आज उसके घर के आस पास गंदी बदबूदार नालियां नहीं है, आज उसके घर की छत टीन की नहीं है जो बरसात में टपकती हो बल्कि एक अच्छा पक्का घर है। अगर आप सोच रहे हैं ऐसा कैसे हुआ क्या लड़के के हाथ कोई खजाना लगा या रातों रात उसकी किस्मत पलट गई। लेकिन जवाब न में है।

संदीप कुमार नाम के इस लड़के की जिंदगी में ये सब रातों रात नहीं हुआ न ही ये किस्मत का कमाल है। संदीप ने मेहनत और अच्छे कर्मों के दम पर आज अपने जीवन में ये मुकाम खुद हासिल किया। आइये जानते हैं सदीप के संघर्ष से भरी उसकी कहानी के बारे में।
संदीप तब 6 साल का था जब उसके माता पिता उसे गांव से दिल्ली ले आए। गांव में खेती के लिए जमीन थी नहीं तो मां-बाप रोजगार की तलाश में दिल्ली आ गए। दिल्ली आने के बाद न तो कोई रोजगार था न ही रहने को सर पर छत तो परिवार ने दिल्ली की झुग्गी बस्ती में शरण ली। मां-बाप पढ़े-लिखे थे नहीं तो उन्हें मजदूरी ही करनी पड़ी। शुरूआत में उन्हें पेट पालने के लिए कूड़ा बीनना पड़ा। लेकिन बाद में पिता ने पेशे के तौर पर पेंटर का काम चुना और मां ने दूसरों के घर खाना बनाने का काम किया। मां-बाप अनपढ़ होने के बावजूद चाहते थे कि उनका बच्चा पढ़ लिखकर अच्छा अफसर बने। संदीप को स्कूल भेजा गया लेकिन जैसे जैसे संदीप बड़ा हुआ उसका पढ़ने की बजाए गलत कामों में ध्यान लगने लगा।
संदीप गलत संगत में पड़ गया। जो माता पिता संदीप को ये सोचकर स्कूल भेजते थे कि बेटा स्कूल में पढ़ता होगा लेकिन संदीप स्कूल न जाकर अपना समय आवारा गर्दी में बिताने लगा। स्लम्स एरिया के वातावरण का प्रभाव संदीप पर पड़ा और वो नशे और जुएं की लत में पड़ गया। 8-10 साल की उम्र में गाली देना मार पिटाई करना संदीप की आदत बन गई। 14-15 साल का होते होते संदीप नशे की लत में पड़ गया और नशा करने को पैसा जुटाने के लिए संदीप ने दूसरे तरीके अपनाए। जैसे भीख मांगना, चोरी करना।
संदीप की जिंदगी एक स्पोर्ट्स मास्टर ने बदली जो स्लम एरिया के बच्चों को पढ़ाने लिखाने के साथ-साथ खेल भी सिखाया करता था। संदीप रोज उन्हें बच्चों को नए नए खेल खेलता देखता तो उसका भी मन होता। एक दिन वो भी उनकी इस मंडली में शामिल हो गया। खेल मास्टर ने शर्त रखी कि वो उसे तभी खेलना सिखाएंगे जब वो बुरे लोगों का साथ छोड़ेगा। संदीप को रोज एक गंदी आदत छोड़ने के लिए नया खेल सिखाया जाता। धीरे धीरे उसे इसमें रुचि होने लगी। यहां संदीप ने पढ़ाई भी शुरू कर दी। संदीप की पढ़ाई शुरू हुई और फिर उन्होंने एक बाल संस्था से जुड़कर सरकारी नौकरी की तैयारी की। संदीप को मैथ्स में काफी रूचि थी जिसे करने में उसे मजा आता था। धीरे-धीरे बाकी सब्जेक्ट भी बेहतर होते गए।
संदीप ने घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होते हुए भी जैसे तैसे 10वीं और 12वीं पास कर ली। इसके बाद उन्होंने अपने खर्च के लिए पिज्जा हट और चार्टेड अकाउंटेंट के साथ काम किया। इसके बाद उन्होंने सरकारी नौकरियों की तैयारी शुरू कर दी। मैथ्स बैग्राउंड होने के कारण बैंक में नौकरी के लिए एप्लाई किया। मेहनत कर संदीप ने बैंक परीक्षा पास की और आज बैंक ऑफ इंडिया में चीफ कैशियर के रूप में काम करते हैं।

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