New Delhi : अमिताभ बच्चन भले हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के मेगास्टार हो गये हों। लेकिन उन्होंने हमेशा ही अपने करीबी और आगे बढ़कर मदद करनेवालों का चाहे अनचाहे दिल ही दुखाया। चाहे वो उनके फिल्मी गॉडफादर महमूद हों, करीबी दोस्त कादर खान हों, सबसे बुरे दिनों में मदद करनेवाले अमर सिंह या फिर उनके बचपन के दोस्त पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का परिवार। सब उनसे नाराज हुये। एक गांधी परिवार को छोड़ दें तो बाकियों ने उनके खिलाफ सार्वजनिक बयानबाजी भी की और उनको खूब भला बुरा कहा। हिंदी फिल्मों के वेटरन कॉमेडियन महमूद और अमिताभ बच्चने ने तो खैर स्पेशल रिलेशनशिप भी शेयर किया। आज भी अमिताभ बच्चन कई मंच पर कहते हैं कि मैं आज जो कुछ हूं वो महमूद जी की वजह से। लेकिन महमूद दुनिया से अलविदा होते-होते अमिताभ बच्चन को एहसान फरामोश बताने लगे।
महमूद ने अंतिम दिनों में एक इंटरव्यू में अमिताभ बच्चन के बारे में बोला था – मैंने उसे काम दिया, मैं उसके पास काम मांगने जाऊं तो मुझे शर्म नहीं आयेगी? इसलिए मैं नहीं गया। मैंने अमित को अपने साथ में रखा। घर में। पिक्चरें दिलाईं। पिक्चरों में काम दिया। बहुत इज्जत करता है अमित मेरी। लेकिन आखिर में मुझे इतना फील हुआ जब मेरा बाइपास हुआ, ओपन हार्ट सर्जरी। उसके फादर बच्चन साहब गिर गये थे तो मैं उन्हें देखने के लिए अमित के घर गया, एक कर्टसी है। और उसके एक हफ्ते बाद जब मेरा बाइपास हुआ तो अमित अपने वालिद को लेकर वहां आये ब्रीच कैंडी (अस्पताल), जहां मैं भर्ती था, लेकिन अमित ने वहां ये दिखा दिया कि असली बाप असली होता है और नकली बाप नकली होता है। उसने आके मुझे हॉस्पिटल में विश भी नहीं किया। मिलने भी नहीं आया। एक गेट वेल सून का कार्ड भी नहीं भेजा। एक छोटा सा फूल भी नहीं भेजा। ये जानते हुए कि भाईजान भी इसी हॉस्पिटल में हैं। खैर, मैं बाप ही हूं उसका और कोई बद्दुआ नहीं दी। आई होप, दूसरों के साथ ऐसा न करे।
दरअसल महमूद का अमिताभ बच्चन से खास कनेक्शन था। महमूद के भाई अनवर अमिताभ के दोस्त थे। जब पहली बार वे अमिताभ से मिले तो उस वक्त वे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ थे। महमूद उस वक्त नशे में थे। राजीव गांधी को देखकर उन्होंने कहा ये मेरी अगली फिल्म का हीरो है और 5 हजार रुपए भाई अनवर को देकर बोले, इस लड़के से कह दो परसों से शूटिंग पर आ जाए। अनवर ने राजीव से दोबारा महमूद का परिचय करवाया और बताया कि ये प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे हैं। तब फिर उन्होंने कहा अमिताभ मेरी फिल्म का हीरो है। अमिताभ को बतौर सोलो हीरो सबसे पहले महमूद ने ही ‘बॉम्बे टू गोवा’ में पेश किया। उन दिनों अमिताभ अनवर के साथ उनके फ्लैट में महीनों रहे। महमूद ने अमिताभ को लंबे समय तक अपने घर पर आसरा दिया। और अंतिम दिनों में अमिताभ ने उन्हें नाराज कर दिया। महमूद चले तो गये लेकिन जाते जाते अमिताभ बच्चन के लिये मन में मवाद भरे गये।
कादर खान और उनके परिवार को भी अमिताभ बच्चन से कुछ इसी तरह की शिकायत रही। कादर खान ने भी कहा था – मैं और अमिताभ इतने अच्छे दोस्त रहे, सालों साथ काम किया, दो दर्जन से ज्यादा फिल्मों में एकसाथ काम किया लेकिन जब मैं बीमार पड़ा, जब मुझे उनकी जरूरत महसूस हुई तो वे गायब हो गये। एकबार मिलने तक नहीं आये। उनके जाने के बाद कादर खान के बेटे ने भी सार्वजनिक बयान जारी कर कहा कि कादर खान को अंत अंत तक यह भरोसा था कि अमिताभ एकबार मिलेंगे, लेकिन नहीं आये, उन्हें अमिताभ बच्चने से बहुत नाराजगी हुई और वे अपनी नाराजगी लिये ही रवाना हो गये।
अमिताभ बच्चन जब सबसे बुरे दौर में थे तो पूर्व सांसद अमर सिंह ने उनकी बहुत मदद की। खासकर इंडस्ट्री में खड़ा होने में। लेकिन जब अमिताभ बच्चन केबीसी और बाकी फिल्मों के जरिये दोबारा मेगास्टार के रूप में स्थापित हो गये तो कुछ ऐसा हुआ कि अमर सिंह खुलेआम उनके और उनकी पत्नी जा बच्चन के बारे में अनाप शनाप बयान देने लगे। जया बच्चन को समाजवादी पार्टी का राज्यसभा सांसद बनाने में उनकी बड़ी भूमिका रही। बहरहाल कई सालों के बाद अमर सिंह और अमिताभ बच्चन के रिश्ते फिर से नार्मल हो गये हैं।