New Delhi : जम्मू-कश्मीर में बुधवार को बीएसएफ के दो जवान आतंकी हमले में शहीद होने से कुछ ही मिनट पहले इफ्तार के लिये रोटी लेने गये थे। इस दौरान एक व्यस्त बाजार में बेकरी से गुजर रहे मोटरसाइकिल सवार आतंकियों ने ताबड़तोड़ गोलीबारी की। इसमें बीएसएफ जवान जिया-उल-हक और राणा मंडल ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। हमला बुधवार की शाम श्रीनगर के सूरा में हुआ था।
DG & all ranks #BSF salute supreme sacrifice of Constable Jiaul Haque and Constable Rana Mondol.
They were injured, later succumbed to injuries when they received fire by terrorists while on ROP duty in Gandarbal dist J&K.
Prahari Pariwar stands firm with bereaved families. pic.twitter.com/YVPYTmAgwe
— BSF (@BSF_India) May 20, 2020
पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े द रेजिस्टेंस फ्रंट ने हमले की जिम्मेदारी ली है। अधिकारियों ने कहा कि आतंकवादियों ने बेहद नजदीक से जवानों को गोलियां मारीं और भीड़भाड़ वाले इलाके की गलियों से निकलते हुए भाग गए। उन्होंने कहा कि हक और मंडल पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के निवासी थे, लेकिन अम्फान चक्रवात के चलते राज्य में हवाई अड्डे बंद होने की वजह से उनके पार्थिव शरीर उनके घर नहीं भेजे जा सके।
34 वर्षीय हक (34) और 29 साल के मंडल के सिर में गंभीर चोटें आई थीं। अधिकारियों ने बताया कि दोनों दोस्त सीमा सुरक्षा बल की 37वीं बटालियन से थे और पंडाक कैंप में तैनात थे। उनका काम नजदीकी गंदेरबल जिले से श्रीनगर के बीच आवाजाही पर नजर रखना था। उन्होंने बताया कि मौत से कुछ ही मिनट पहले वे रोजा खोलने (इफ्तार) के लिए रोटी लेने गये थे। लेकिन वे इफ्तार नहीं कर सके और रोजे की हालत में ही शहीद हो गये।
बीएसएफ की 37वीं बटालियन के जवानों ने कहा कि वे रोजा होने की वजह से पूरे दिन पानी की एक बूंद पिये बिना ही इस दुनिया से रुख्सत हो गये। जवानों ने अपने साथियों की मौत पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वह बहुत जल्दी हमेशा के लिए अलविदा कह गये। साल 2009 में बीएसएफ में शामिल हुए हक के परिवार में माता-पिता, पत्नी नफीसा खातून और दो बेटियां…पांच साल की मूकबधिर बेटी जेशलिन जियाउल और और छह महीने की जेनिफर जियाउल हैं।
वह मुर्शिदाबाद कस्बे से लगभग 30 किलोमीटर दूर रेजिना नगर में रहते थे। मंडल के परिवार में माता-पिता के अलावा एक बेटी और पत्नी जैस्मीन खातून है। वह मुर्शिदाबाद में साहेबरामपुर में रहते थे। दोनों जवान केन्द्र सरकार द्वारा 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लेकर उसे दो केन्द्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने के बाद से कश्मीर में तैनात थे।