New Delhi : अमेरिका के बाद अब ब्रिटेन ने भी कोरोना को लेकर चीन को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया है। ब्रिटेन ने स्पष्ट कर दिया है कि कोरोना के बाद चीन से पहले जैसे रिश्ते नहीं रहेंगे और चीन को कुछ कठोर सवालों के जवाब देने होंगे। ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमनिक रॉब ने कहा कि ब्रिटेन और उसके सहयोगी, चीन से कोरोना वायरस प्रसार के बारे में कठोर प्रश्न पूछेंगे। उन्होंने यह भी कहा – इस संकट के बाद हमारे बीच कामकाज पहले जैसा नहीं रहेगा। रॉब ने प्रेस वार्ता के दौरान चीन के साथ भावी संबंधों को लेकर पूछे गये सवाल के जवाब में कहा – हमें यह कठोर प्रश्न पूछना ही होगा कि यह कैसे आया और इसे पहले क्यों नहीं रोका जा सका।
ब्रिटेन सरकार ने गुरुवार को घोषणा की कि एक दूसरे से दूरी बनाये रखने के उपाय कम से कम और तीन सप्ताह, अर्थात सात मई तक लागू रहेंगे। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के कोरोना वायरस संक्रमित होने के बाद उनका कार्यभार देख रहे विदेशमंत्री डोमिनिक रॉब ने कैबिनेट आफिस ब्रीफिंग रूम्स की एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता की और उसके बाद लॉकडाउन बढ़ाने के कैबिनेट के निर्णय की घोषणा की।
रॉब ने कहा – ऐसे संकेत हैं कि हमारे उपाय कोरोना वायरस का प्रसार रोकने में सफल रहे हैं। एकदूसरे से दूरी बनाये रखने के हमारे उपायों में किसी भी बदलाव से इस वायरस के प्रसार में वृद्धि का जोखिम होगा। कानून के मुताबिक सरकार के लिए इस सप्ताह लॉकडाउन के प्रभाव की समीक्षा करना अनिवार्य था। लॉकडाउन 23 मार्च को जॉनसन द्वारा शुरूआत में 21-दिन की अवधि के लिए लागू किया गया था। इसे साइंटिफिक एडवाइजरी ग्रुप फॉर इमर्जेंसीज़ (एसएजीई) के मूल्यांकन के आधार पर लागू किया गया था।
मंत्री ने कहा कि नियमों में ढील देने से संक्रमण के मामलों में दूसरी बढ़ोतरी हो सकती है। इससे होने वाली मौतों की संख्या बढ़ सकती है। इस बीच ब्रिटेन की सरकार ने गुरुवार को कहा – सार्वजनिक स्वास्थ्य इंग्लैंड और एनएचएस इंग्लैंड भारतीय मूल के लोगों के साथ ही अश्वेत समूहों में कोरोना वायरस से अधिक मृत्यु दर और इसके गंभीर लक्षणों के कारणों की जांच करेगा। ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक ने कहा – यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य है जिसे मैंने शुरू किया है।