असंभव से आगे- सिर्फ 5 महीने की तैयारी और पहले ही प्रयास में IAS बना गांव का लड़का, 62वीं रैंक हासिल की

New Delhi : यूपीएससी परीक्षा जिसे पास करने में छात्रों को अमूमन 2 या 3 साल का समय लग जाता है। खुद यूपीएससी ने भी प्रयासों की सीमा 6 से 10 कर रखी है। लेकिन जिस केंडिडेट के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं उन्होंने इस परीक्षा की तैयारी सिर्फ 5 महीनों में कर के परीक्षा को न सिर्फ पहले प्रयास में पास किया बल्कि 62वीं रेंक लाकर अपनी प्रतिभा का भी परिचय दिया। इनका नाम है अवध सिंहल जिन्होंने 2019 की यूपीएससी परीक्षा जिसका रिजल्ट इस साल आया है, उसे 62वीं रेंक के साथ पास किया है। जब वो मीडिया में आए तो उन्होंने इस बात का खुलासा किया कि उन्होंने तैयारी में सिर्फ 5 महीने ही ढंग से दिए हैं। तो आइए जानते हैं उन्होंने किस तरह से इतनी कठिन परीक्षा को इतने कम समय में कैसे पास किया।

अवध सिंहल मूल रूप से पंजाब के फाजिल्का जिले के रहने वाले हैं। उनकी प्राथमिक शिक्षा भी यहीं से हुई। 12वीं पास करने के बाद उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन इलेक्ट्रीकल पॉवर इंजीनीयर विषय में आईआईटी दिल्ली से पूरी की। इसके बाद उन्होंने एक मेनेजमेंट कंसल्टेंट के तौर पर एक कंपनी में काम किया। क्योंकि उन्हें जॉब चाहिए थी तो जैसे ही उन्हें ये जॉब ऑफर हुई तो उन्होंने इसे जॉइन कर लिया। यहीं से उन्हें सिविल सेवा में जाने की प्रेरणा मिली। यहां उन्हें प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर दोनों में ही काम करने का मौका मिला यहां वो आए दिन आईएएस ऑफिसर्स से मिलते। उनके काम से वो प्रभावित होते और फिर उन्होंने भी तय कर लिया कि उन्हें इस सेवा में ही जाना है। फिर 2018 में जब उनकी जॉब का एक साल हुआ तो उन्होंने कंपनी से कुछ महीनों की छुट्टी लेकर यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की।
उन्होंने दिसंबर 2018 में तैयारी शुरू की जो कि एक बहुत ही थोड़ा समय होता है इतनी बड़ी परीक्षा को पास करने के लिए। तो इसके पीछे कोई चमत्कार नहीं एक टाइम टेबल और स्ट्रेटजी थी जिसे उन्होंने खुद बनाया और उसे पूरे नियम के साथ फॉलो किया। अपनी इसी स्ट्रेटजी के बारे में बताते हुए वो कहते हैं कि अगर आप इस परीक्षा की तैयारी करना चाहते हैं तो इसके लिए भटकाव अच्छी बात नहीं है। किताबों, नोट्स या कोचिंग सेंटर के लिए ज्यादा दिनों तक सिर्फ भटकते रहना न सिर्फ हमारे टाईम को खराब करता है बल्कि इससे हमने जो कॉंन्सेप्ट समझे भी होते हैं उनमें भी हम भ्रमित होने लगते हैं। इसलिए वो कहते हैं कि मार्गदर्शक अच्छा चुनो और उन्हीं के सानिध्य में रहो। वो अपनी सक्सेस के पीछे दूसरी चीज अपनी रिविजन स्ट्रेटजी को मानते हैं। वो जब पढ़ते थे तो साथ ही वो नोट्स के रूप में वो एक विषय की समरी बना लेते थे। जो बाद के समय में उन्हें बहुत काम आई।
जिस कोचिंग सेंटर में वो तैयारी करते थे वहां उन्होंने पूरी परीक्षा के लिए पूरे सिलेबस को कवर करने वाले 12 मॉक टेस्ट दिए जिससे उन्हें अपनी खूबियों और खामियों का पता लगा। जब वो प्रीलिम्स की तैयारी कर रहे थे तो उन्होंने किसी भी विषय या कॉन्सेप्ट को रटने की बजाए उसे समझना बेहतर समझा। वो हर प्रश्न को व्याख्यात्मक रूप में लिखने का प्रयास करते थे। इससे उन्हें चीजों को समझने में आसानी तो हुई ही साथ ही वो हर छोटी चीज को परीक्षा के दौरान याद रख पाए। वो बताते हैं कि एक आईएएस एस्पिरेंट को पहले इस समझ पर भी काम करना चाहिए कि उन्हें क्या पढ़ना है और क्या छोड़ना है।

वो कहते हैं कि आज डिजीटल एजुकेशन दिन प्रति दिन बढ़ रही है जो कि एक तरह से अच्छा भी है और दूसरे तरह से बुरा भी। अगर आप ये तय नही कर पा रहे हैं कि कहां से पढ़ना है और क्यों पढ़ना है तो आपको पहले इसमें समझ बनानी होगी क्योंकि ये सारी चीजें भटकाव ज्यादा पैदा करती हैं।

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