New Delhi : चोरी के बाद कोई चोर सामान वापस दे जाए या सामान वापस रख जाए, ऐसा आमतौर पर सोचा भी नहीं जाता है, लेकिन हमीरपुर में एक ऐसा मंदिर है, जहां रखी भगवान की मूर्ती चुराने ले जाने के बाद चोर खुद ही मंदिर में मूर्ति रखने आए थे। चोरों ने भगवान् के सामने रो-रो कर माफ़ी भी मांगी थी। चोरों का कहना था कि मूर्ती चुराए जाने के बाद वह कई रात सो नहीं पाए। उन्हें बुरे सपने आने लगे थे। चोरी के कुछ दिन के अंदर ही उसके बेटे फिर पत्नी की मौत हो गई। इसके बाद ये मंदिर मशहूर हो गया। मंदिर में कभी कोई भूल कर भी ऐसी गलती नहीं करता है। जिला मुख्यालय से 13 किलोमीटर यमुना पुल पार सैकड़ों बरस पुराने मंदिर में विराजमान लक्ष्मी नारायण की मूर्ति की पूजा इलाके के लोग सबसे पहले करते हैं।
हमीरपुर-कानपुर नेशनल हाइवे-86 पर आनूपुर मोड़ के पास पश्चिम दिशा में बीबीपुर गांव में लक्ष्मीनारायण का मंदिर स्थित है। यह मंदिर मौजूदा में जर्जर और खण्डहर में तब्दील हो गया है, मगर इसके अंदर विराजे लक्ष्मीनारायण की मूर्ति बहुत ही चमत्कारी है। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक इस मंदिर में सैकड़ों साल पहले छोटेलाल वाजपेई के पुरखों ने लक्ष्मीनारायण की मूर्ति की स्थापना कराई थी। इस मंदिर के निकट ही गौरीशंकर और मां दुर्गा का प्राचीन मंदिर भी स्थित है। पास ही प्राचीन कुआं भी है। यह चारों एक ही जगह पर बीस फीट की दूरी पर है। किसी जमाने में लोग कुएं से पानी लेकर लक्ष्मीनारायण का अभिषेक करते थे। बारिश हो या तूफ़ान लोग यहां जलाभिषेक करना नहीं भूलते हैं।
बताया जाता है कि जहानाबाद के देवमऊ गांव के पाण्डे बीबीपुर के पास यमुना नदी पार सिकरोढ़ी गांव ससुराल पैदल होते गये थे। ससुराल से लौटने के दौरान इस मंदिर से लक्ष्मीनारायण की मूर्ति को चुराकर वह अपने घर ले गए थे। अगले ही दिन उन्हें दंड भी मिला। बताया जाता है कि मूर्ति चुराने पर उनका जवान बेटा अचानक मर गया, जबकि तीसरे ही दिन उसकी पत्नी की भी मौत हो गयी थी।
पत्नी और बेटे की आकस्मिक मौत के बाद स्वप्न में लक्ष्मीनारायण ने चेतावनी दी कि उसे जहां ले लाए हो वहीं तुरंत पहुंचाओ। तब वह मूर्ति को मंदिर लाया गया था और माफी भी मांगी थी। इसी बीच छोटेलाल वाजपेई ने उन्हें देख लिया था। चोर ने मूर्ती के सामने सिर रखकर रो-रो कर कहा कि मूर्ति चुराने पर उसे भारी कीमत चुकानी पड़ी है। छोटेलाल बाजपेई के पुत्र रमाकांत बाजपेई का कहना है कि चोर ब्राम्हण जाति का था जिसकी एक आंख खराब थी। बताते हैं कि लक्ष्मीनारायण की मूर्ति की दोबारा स्थापना कराने को उस चोर ने चांदी के 25 सिक्के दिए थे।