New Delhi : आज हम आपको एक ऐसी मां की कहानी बता रहे हैं जिसने अपने बेटे के शहीद होने के बाद दोनों पोतों के भी सेना में भेज दिया। देश के प्रति समर्पण और शौर्य की यह कहानी है राजस्थान की सीमा से सटे भिवानी जिले के मतानी गांव में बसे एक परिवार की। यह गांव सेना में भर्ती होकर अपने देश के लिए मर मिटने वाले सैनिकों के लिए जाना जाता है। गांव के अनेक लोग सेना में सेवारत हैं या फिर सेवानिवृत हो चुके हैं। इसी गांव में परमेश्वरी देवी का परिवार भी रहता है जोकि खुद को राष्ट्र को समर्पित कर चुका है।
इस परिवार के जांबाज सैनिक विजेन्द्र शर्मा सीमा पर शहीद हुए। उनके 2 भाई सेना में हवलदार के पद से सेवानिवृत हो चुके हैं। 26 जून 2002 में बेटे विजेन्द्र शर्मा की शहादत के बाद परमेश्वरी का मन नहीं डोला बल्कि देश सेवा के प्रति और समर्पित हो गया। सेना के पूर्व हवलदार संतोष कुमार शर्मा के बड़े बेटे कैप्टन नरेन्द्र शर्मा के बाद छोटे बेटे अशोक ने कुछ साल पहले सैन्य अकादमी देहरादून से लेफ्टिनेंट का रैंक हासिल किया है।
अपने पौत्र अशोक शर्मा के लेफ्टिनेंट बनने पर उन्हें आशीर्वाद देने देहरादून पहुंचीं परमेश्वरी देवी का सीना तब गर्व से तन गया जब उसे सेना की वर्दी में देखा। परमेश्वरी कहती हैं-अपने बेटे संतोष कुमार व बहू संतोष देवी के साथ जब मैं लेफ्टिनेंट अशोक शर्मा को स्टार लगा रही थी तो लगा था, बूढ़े हाथों में ताकत लौट आई है। इससे पहले परमेश्वरी देवी ने अपने बड़े पौत्र नरेन्द्र शर्मा को 2011 में लेफ्टिनेंट बनने पर स्टार लगाए थे। नरेंद्र शर्मा अब कैप्टन बन चुके हैं।
परमेश्वरी के पोते अशोक की बचपन से ही दिली तमन्ना सेना में जाने की थी। उन्होंने अपने इस सपने को 14 जून 2014 को भारतीय सैनिक अकादमी देहरादून में दादी परमेश्वरी देवी, मां संतोष देवी, पिता संतोष कुमार, भाई कैप्टन नरेन्द्र शर्मा व भाभी मोनिका के हाथों स्टार लगवा कर पूरा कर दिखाया। लेफ्टिनेंट अशोक शर्मा की पढ़ाई सैनिक पब्लिक स्कूल पठानकोट में हुई तो 12वीं की परीक्षा सैनिक स्कूल हिसार से पास की। वर्ष 2013 में अशोक का चयन एनडीए खडग़वासला पुणे के लिए हुआ था।