New Delhi : एक प्राइमरी स्कूल में छोटे-छोटे बच्चों को पढ़ाने वाली लड़की कितना बड़ा सपना देख सकती है। क्या इतना बड़ा कि देश की सबसे कठिन समझी जाने वाली परीक्षा यूपीएससी को पास कर आईएएस अफसर बन जाए। वो कहते हैं न कि आसमान तू अपनी ऊंचाई पर इतना क्यों इतराता है आखिर नजर तो जमीं से ही आता है। उत्तर प्रदेश की फातिमा सीरत ने भी मानों जमीं पर खड़े होकर आसमान छू लिया हो। प्राइमरी टीचर से उन्होंने सीधा यूपीएससी की परीक्षा दी और पास भी हुईं। उनका ये जज्बा ही उन्हें इस मुकाम पर लाया।
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Seerat Fatima, a primary school teacher, among 2017 UPSC IAS achievers – See at: https://t.co/dtf3B8vkgC pic.twitter.com/PxQvEH8C5I
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Meet Seerat Fatima, successful candidate of IAS exam who proves “determination is key to success” – https://t.co/6mLl0nWHvE #SeeratFatima #IAS #Allahabad #Muslim@asadowaisi @warispathan @shaukat_aimim @BadruddinAjmal @syedasimwaqar @AjazkhanActor
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लेखपाल पिता जब अपने महकमें में बड़े अफसरों को काम करते देखते तो सोचते थे कि काश उनकी बिटिया भी इन अफसरों की तरह किसी ऊंचे पद पर होती। उनका ये सपना उनकी बिटिया ने जल्दी ही पूरा कर दिया। आज फातिमा सीरत इंडियन एंड ट्रैफिक सर्विस में तैनात हैं। उन्होंने 2017 में परीक्षा को पास कर ऑल इंडिया 810वीं रेंक हासिल की थी।
फातिमा प्रयागराज के गांव जसरा की रहने वाली हैं। घर से लगभग 36 किमी. दूर वो रोज पढ़ाने स्कूल जाया करती थीं। सीरत अपने चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं इस कारण परिवार के उनके प्रति अपेक्षाएं भी ज्यादा थीं। पिता की आय से बड़े परिवार का खर्च नहीं चलता था। उन्होंने हमेशा आभाव में जिंदगी बिताई। बचपन का सपना था कि पढ़ लिख कर बड़ा अफसर बनना हैं लेकिन परिवार की जिम्मेदारियों ने उनके सपने को जल्दी पूरा नहीं होने दिया। उन्होंने 12वीं पास कर बीएससी की और फिर बीएड की डिग्री ली इसके बाद वो प्राइमरी स्कूल में पढ़ाने के लिए चुन ली गईं। वो कहती हैं कि अगर मैं नौकरी न करती तो मेरे भाई बहन की पढ़ाई में दिक्कत आती। उन्होंने प्राइमरी टीचर की नौकरी तो जॉइन की लेकिन बड़ा अफसर बननेे का सपना उन्होंने अभी भी छोड़ा नहीं था।
फातिमां ने पढ़ाने के साथ ही अपनी यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू की। अपने साथी टीचर्स को वो जब बताती कि वो यूपीएससी की तैयारी कर रही हैं तो वो कहते कि इतने बड़े ख्वाब मत देखो। उसके लिए कोचिंग करनी पड़ती है। फातिमा के लिए दिल्ली जाकर कोचिंग करना संभव नहीं था क्योंकि उनके लिए नौकरी जरूरी थी। उन्होंने अपनी पूरी तैयारी नौकरी करते हुए ही की। यही नहीं उन्होंने इसके लिए कहीं से कोई कोचिंग भी नहीं ली। वो स्कूल में पढ़ाने के लिए रोज 36 किमी का सफर तय करती थीं। दिन भर की थकान के बाद पढ़ाई कर पाना आसान नहीं होता लेकिन फातिमा को अपने सपनों को पूरा करना था। फातिमा ने पहले दो प्रयास अपनी टीचर ट्रेनिंग के दौरान ही दे दिए थे। तीसरे प्रयास में वो तैयारी के साथ बैठी थीं लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली लेकिन वो निराश नहीं हुईं अगले साल फिर से उन्होंने परीक्षा दी और इस बार सफल रहीं।
उनकी शादी भी हो चुकी है लेकिन उन्होेंने अपने सपनों से कभी समझौता नहीं किया। जब वो सफल हुई तो उन्होंने अपने स्कूल बच्चों को मिठाई खिलाकर अपनी खुशियां बांटी। अभी भी वो अपनी रेंक सुधारने और ऊंचा पद हासिल करने केल लिए अगले प्रयास के लिए तैयारी कर रही हैं।