अब गरीब का बेटा देवराज बन गया DSP- मां पालती थीं भेड़ें, पिता मनरेगा में मजदूर थे

New Delhi : खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले, खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है। चंबा के दुर्गम क्षेत्र पांगी के रहने वाले जिस युवक का हम जिक्र करेंगे, उसकी सफलता की कहानी एक नहीं, बल्कि कई मायनों में असाधारण है। ऐसी भयावह स्थिति की खुद ग़ुरबत सही। ऊपर से दो बहनों की जिम्मेदारी। सोचिये, एक बच्चे के पास स्कूल जाने के लिये जूते न हों। अगर मिल भी जाये तो उसे फटी हालत में सालों तक पहनता हो। जब तक पांव में आना बंद न हो जाये। प्रारंभिक शिक्षा से ग्रेजुएशन तक युवक के जब जूते फट जाते थे तो नंगे पांव भी आना-जाना रहता था। गरीबी ऐसी थी कि पिता मनरेगा की दिहाड़ियाँ लगाकर साल भर में महज 13 हजार 500 रुपये कमाया करते थे।

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इसमें 4 बच्चों के लालन-पालन के अलावा घर के चूल्हे का खर्च भी होता था। कुदरत की विडंबना देखिये कि परिवार ने जैसे-तैसे अपनी दो बेटियों की शादी कर दी। बीमारी से जूझ रही मां को उपचार के लिए इधर-उधर ले जाने की जिम्मेदारी भी देवराज पर ही थी। बहरहाल देवराज ठाकुर अब डीएसपी बन गये हैं। इसी साल वे पास आउट हो गये और उनकी पोस्टिंग भी हो गयी।
हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग ने राज्य प्रशासनिक सेवा 2017 का परिणाम 2019 में घोषित किया। जनजातीय क्षेत्र पांगी की ग्राम पंचायत करयूणी के कोठी गांव के गरीब परिवार के देव राज ने सफलता हासिल कर पूरे प्रदेश को चौंका दिया। वह अब पुलिस महकमे में डीएसपी बनने जा रहे हैं। आयोग की ओर से मुख्य परीक्षा नवंबर 2018 में हुई थी, जिसका परिणाम 1 फरवरी 2019 को जारी किया गया था। इसमें कुल 109 अभ्यर्थी इंटरव्यू के लिए चुने गए थे।देव राज बताते हैं कि उनके पिता अमर चंद मनरेगा में मजदूरी करते हैं। जबकि मां गृहिणी होने के साथ भेड़ें पालती हैं। उन्होंने शुरूआती पढ़ाई राजकीय प्राथमिक स्कूल कोठी से की। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल सेंचूनाला से 10वीं क्लास और राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल किलाड़ से 12वीं की परीक्षा पास की। इसके बाद राजीव गांधी राजकीय महाविद्यालय चौड़ा मैदान शिमला से ग्रेजुएशन किया। उनके माता-पिता का कहना है कि उन्हें बेटे की कामयाबी पर गर्व है। देवराज ने कहा कि माता-पिता के आशीर्वाद से कामयाबी मिली। गरीबी ने कई बार राह में रोड़े डाले, लेकिन कभी हार नहीं मानी।
वैसे देवराज पुलिस सेवा में आने से पहले दो अन्य विभागों की नौकरी छोड़ चुके हैं। जिला शिमला में बतौर तहसील वेलफेयर ऑफिसर के पद पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। जिला शिमला में ही बतौर एक्साइज एंड टैक्सेशन ऑफिसर के पद पर भी उन्होंने कार्य किया है। वे एचपीएस की परीक्षा में तीसरी बार पास हुए तथा डीएसपी रैंक पर अपनी सेवाएं देने के लिए हिमाचल प्रदेश पुलिस सेवा में शामिल हुए।

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