New Delhi : कहते हैं कि सफलता के लिए किसी अमीर की जागीर नहीं होती।जो मेहनत और लगन से अपने लक्ष्य को पाने के लिए लग जाता है वो असंभव को भी संभव कर सकता है। ऐसी ही कहानी है गांव में मवेशी चराने वाली एक लड़की केरल के इरोड जिले की रहने वाली सी. वनमती की जो अपनी मेहनत और लगन आज आईएएस बनकर देश की सेवा कर रही हैं। सी.वनमती बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखती हैं।उनके माता-पिता बहुत पढ़े-लिखे नहीं थे और इरोड में इनका परिवार पशु-पालन करता था और पिता ड्राइवर थे। उनका पशुपालन भी करता था और अपना जीवन यापन कर रहा था।
It is not important for all #UPSC aspirants to be financially wealthy; all they need is a huge amount of knowledge & handwork.Highly inspiring story of C #Vanmathi who cracked the UPSC exams with easy way and put a ideal before today's' youth. pic.twitter.com/2SNXWswdeC
— Bhaiyyuji Maharaj (@bhaiyujimaharaj) May 24, 2018
Vanmathi C IAS transferred as CEO- Zilla Parishad, Dhule, Maharashtra – https://t.co/vEoF89X4wZ pic.twitter.com/YV1J51LDjV
— Indian Bureaucracy (@INDBureaucracy) July 19, 2019
बेहद सामान्य परिवार से होने के बावजूद भी सी.वनमती आईएएस बनना चाहती थीं।आप सोचकर देखिए एक लड़की जो भैंस चराती है वो इतना बड़ा सपना देख रही थी।ना जाने कितने ही युवा होते हैं जो आईएएस बनने का सपनना देखते हैं लेकिन ज्यादातर का सपना,सपना ही रह जाता है। कुछ लड़कर हारते हैं तो कुछ बिना लड़े ही सरेंडर कर देते हैं।लेकिन वनमती अलग थीं।वह लड़ी और तब तक लड़ी जब तक अपने मुकाम को हासिल नहीं कर लिया।उन्होंने तीन बार असफल होने के बाद भी हार नहीं मानी और आखिरकार 2015 की यूपीएससी परीक्षा के अंतिम परिणाम में उन्होंने 152 वीं रैंक हासिल कर अपने मां-बाप का नाम रोशन कर दिया।
एक लड़की जिसके रिश्तेदार 12वीं की परीक्षा पास करते ही पिता को उसकी शादी की सलाह दे रहे थे लेकिन बेटी के सपने को पूरा करने के लिे पिता उनकी बात नहीं मानी और आज उन्होंने ना सिर्फ सपल होकर दिखाया बल्कि अपने पिता का सीना भी गर्व से चौंड़ा कर दिया। वनमती ने बताया कि उन्हें एक ‘गंगा जमुना सरस्वती’ नामक सीरियल की नायिका से आईएएस बनने की प्रेरणा मिली। इस सीरियल में नायिका एक आईएएस ऑफिसर थी।
उनकी दूसरी प्रेरणा उन्हें जिले के कलेक्टर से मिली। जब वे वनमती के स्कूल आये थे तब उस वक्त उनको मिले आदर और सम्मान ने भी उन्हें कलेक्टर जैसा बनने को प्रेरित किया।