New Delhi : राजस्थान के झुंझुनूं के उदयपुरवाटी में अरावली की पहाडिय़ों के मध्य सिद्ध शक्ति पीठ माता शाकंभरी का प्राचीन मंदिर स्थित है। मां शाकंभरी के मंदिर की स्थापना सैकड़ों वर्ष पूर्व में हुई थी। माता के मंदिर में ब्रहमाणी व रूद्राणी के रूप में दो प्रतिमाएं विराजमान हैं। दोनों प्रतिमाओं के बीच में स्वत: प्रकट हुई माता की एक छोटी मुख्य प्रतिमा विराजमान है। सिद्ध शक्ति पीठ होने से माता की ख्याति आज देश विदेश में फैली हुई है। घट स्थापना के साथ ही माता के दरबार में नवरात्र में नौ दिन तक मां शाकंभरी के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं कतारे लगी रहती है।
क्यों लिया देवी माँ ने भ्रामरी देवी और शाकंभरी माता का अवतार… || Devi Mata Incarnation Sagahttps://t.co/FvlqEbQG9a pic.twitter.com/HG8ytVu9E7
— Next9Spiritual (@next9spiritual) December 27, 2017
शाकंभरी माता को अर्पित की 5 किलोमीटर लंबी चुनरी शाकंभरी माता की चुनरी पदयात्रा ड्रोन शॉट https://t.co/gCwJKR0El6
— Gajendra khadoliya (@Gajenkhadoliya) January 13, 2020
मंदिर के महंत दयानाथ महाराज बताते हैं कि भारत में माता शाकंभरी के प्राचीन दो ही मंदिर है। पहला प्राचीन मंदिर यहां सकराय में तो दूसरा उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में है। शाक की देवी के दोनों ही मंदिर हरियाली की वदियों में बसे है। मंदिर के पूजारी पंडित दीनदयाल लाटा बताते हैं कि प्रतिदिन सुबह साढ़े पांच बजे और शाम को पौने सात बजे माता की आरती होती है। जिस रूप में हम माता को देखते है, उसी रूप में वह हमे दिखाई देती है।
उतारने के लिए व दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं का जमघट लगा रहता है। नवरात्र में माता के दरबार में जगह जगह शतचंडी अनुष्ठानों का आयोजन होता हैं। मदन मोहनजी मंदिर में प्रतिवर्ष ज्योतिषाचार्य पंडित केदार शर्मा की ओर श’तचं’डी अनुष्ठान का अयोजन करवाया जाता है, जिसमें देशभर से विशिष्टजन भाग लेने के लिए पहुंचते हैं।