New Delhi : भारतीय सिविल सेवा परीक्षा जिसे पास करने के लिए छात्र दिन रात कड़ी मेहनत करते हैं लेकिन इसके बाद भी इस परीक्षा का प्री भी नहीं निकाल पाते। वहीं दूसरी ओर हमारे पास ऐसे उदाहरण भी हैं जब शारीरिक रूप से अक्षम विद्यार्थियों ने इस परीक्षा को पहले ही प्रयास में पास किया है। आज जो कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं वो एक दृष्टिबाधित छात्र की है, जो न सिर्फ दिल्ली के टॉप कॉलेज से ग्रेजुएशन करता है बल्कि अपनी मेहनत के दम पर पहले ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा को क्लियर कर आईएएस बनता है।
In the ladder of excellence, Rakesh Sharma has reached a great height that many of us look up to! Congratulations Rakesh on clearing the UPSC civil services exam 2018 & ranking 608 in the very 1st attempt.
Rakesh is an alumnus of JPM Sr Sec School of 2012 batch. #UPSCResults pic.twitter.com/yCALggMN58
— The Blind Relief Association, Delhi (@BlindDelhi) April 6, 2019
Heartiest Congratulations on your latest achievement..#upsc #kmc #delhiiuniversity #IAS #AIR_608 #proud
बड़े भाई Rakesh Sharma को UPSC एग्जाम clear करने पर बधाई
दृष्टिहीन होने के बावजूद आपने ये कारनामा करके एक मिशाल कायम किया है भैया हमे आप पर गर्व है।
"के. एम. सी. हॉस्टलर pic.twitter.com/UeEg8v8U5w— ASIF TYAGI (@ASIFTYAGI18) April 15, 2019
उन्होंने 2018 की यूपीएससी परीक्षा में 608वीं रेंक पाई, इसके बाद उन्होंने फिर से परीक्षा दी और 2019 की परीक्षा जिसका रिजल्ट इसी साल आया है, उसमें 512वीं रेंक पाई है। आइये जानते हैं उनकी इस सफलता के पीछे की कहानी।
राकेश शर्मा मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले हैं। यहीं उनकी शुरूआती शिक्षा हुई। वो शुरूआत से ही पढ़ाई में काफी तेज थे। सामान्य विद्यार्थियों के मुकाबले अक्सर उनका रिजल्ट अच्छा रहता था। उन्होंने दृष्टिबाधिता को कभी अपनी कमजोरी की तरह नहीं देखा। बिना आंखों के ही उन्होंने बड़े सपने देखे और उन्हें पाया भी। हरियाणा से ही आठवीं तक की पढ़ाई करने के बाद उनके यहां ब्लाइंड के लिए कोई अच्छा स्कूल नहीं था तो परिवार वालों ने उनका दाखिला दिल्ली के जाने माने दृष्टिबाधित विद्यालय जेपीएम सीनियर सेकेंडरी स्कूल में करा दिया। यहां से इन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई की। 12वीं अच्छे अंकों के साथ पास करने के बाद आगे का रास्ता खुद बन गया। नंबर बढ़िया होने के कारण उन्हें दिल्ली के जाने माने किरोड़ीमल कॉलेज में दाखिला मिल गया। यहां से उन्होंने बीए.प्रोग्राम में ग्रेजुएशन किया।
राकेश ने 12वीं में ही अपना लक्ष्य बना लिया था कि उन्हें सिविल सेवा में जाना है। अपना ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद राकेश के पास एक बार फिर क्या करें वाला सवाल था। बिना तैयारी के वो यूपीएससी नहीं करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने ग्रेजुएशन करने बाद कई तरह की शैक्षणिक प्रवेश परीक्षाएं दी। जब उनका सोशल वर्क का एंटरेंस निकल गया तो उन्होंने इसे ही प्राथमिकता देते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय से सोशल वर्क में एम.ए किया। इसके बाद उन्होंने एक साल यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की और इसी एक साल की तैयारी में उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में परीक्षा पास कर ली जिसमें उनको 608वीं रेंक मिली। रेंक से वो संतुष्ट नहीं थे इसलिए अगले साल 2019 में उन्होंने एक बार फिर परीक्षा दी और रेंक में सुधार करते हुए 512वीं रेंक पाई।
Dr. Dayal Singh Pawar, Assoc. Prof. in Lal Bahadur Shastri Vidyapeeth was the Chief Guest. Major Gen. Alok Raj, PVSM, Chief Proj. Coordinator, Directorate of National War Memorial & Museum and Shri Rakesh Sharma, alumnus of JPM School and UPSC rank holder were Guests of Honour pic.twitter.com/XQHfDzBWXQ
— The Blind Relief Association, Delhi (@BlindDelhi) August 16, 2019
जहां तीन तीन साल तक मेहनत करने के बाद भी विद्यार्थी परीक्षा में प्री तक क्लियर नहीं कर पाते वहीं पहले ही प्रयास में राकेश ने ये परीक्षा कैसे पास कर ली। उन्होंने परीक्षा की तैयारी से जुड़ी स्ट्रेटजी को बताते हुए कहा कि सभी विद्यार्थियों को परीक्षा का सिलेबस पता होना बेहद जरूरी है। क्योंकि परीक्षा का सिलेबस बड़ा होने से ज्यादातर छात्र विषयों से चूक जाते हैं और परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते।