New Delhi : आपने राजकुमार हिरानी द्वारा निर्देशित फिल्म 3 इडियट्स तो देखी होगी। फिल्म में आमिर खान लीड रोल में हैं जिसमें उन्होंने रेंचो या फुंसुक वांगड़ु का किरदार निभाया है। इस किरदार ने न सिर्फ सभी को जिंदगी जीने के मायने सिखाकर प्रेरित किया वहीं हमारे एजुकेशन सिस्टम पर सवाल भी उठाए। जिसे सभी ने वाजिब माना। आपने जिस किरदार को टीवी पर देखा है दरअसल वो एक रियल लाइफ स्टोरी से इंस्पायर है, आपने फिल्म के माध्यम से रेंचों की जिंदगी में जितने भी संघर्ष और कामयाबी के पड़ाव देखे, वो ज्यादातर लद्दाख के रहने वाले एक व्यक्ति के जीवन से प्रेरित थे। तो आज हम आपको 3 इडियट्स फिल्म के रियल फुंसुक वांगड़ु के बारे में बताएंगे जिन्होंने अपनी शिक्षा अपना, टेलेंट और अपनी जिंदगी सामाजिक कार्यों को करने में लगा दी।
इनका नाम है सोनम वांगचुक वो लद्दाख के रहने वाले हैं। आज उनकी उम्र 54 वर्ष हो गई है लेकिन वो रुके नहीं हैं। उनके बचपन की बात करें तो उन्हें 9 साल की उम्र तक सकूल ही नहीं भेजा गया, क्योंकि उनके गांव में कोई स्कूल नहीं था। उनकी मां ने उन्हें अपनी मातृभाषा में ही उस उम्र तक सभी बुनियादी बातें सिखाईं। उनके पिता सोनम वांग्याल, जो कि एक राजनेता रह चुके हैं जो बाद में राज्य सरकार में मंत्री भी बने, वो अपने बेटे को श्री नगर ले आए और वहाँ एक स्कूल में दाखिला करा दिया। लद्दाख के परिवेश में पले पढ़े वांगचुक को हिंदी नहीं आती थी। जिस कारण उन्हें यहां पढ़ने में काफी परेशानी हुई। जब वो कुछ भी बोलते तो दूसरे बच्चे उनका मजाक भी उड़ाते।
वांगचुक ने अपना बीटेक 1987 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी श्रीनगर (तब आरईसी श्रीनगर) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पूरा किया। जिस तरह फिल्म में दिखाया गया है उनकी रियल लाइफ में भी अपनी पढ़ाई के लिए उनके पिता से काफी मतभेद रहे। वो मैकेनिकल इंजीनियरिंग करना चाहते थे, लेकिन पिता चाहते थे कि वो सिविल इंजीनियरिंग करें। इस कारण उन्होंने अपनी पढ़ाई के लिए अपने पिता से पैसे न लेने का फैसला किया। उन्होंने लद्दाख में ही एक कोचिंग सेंटर खोला वो इतना अच्छा पढ़ाते थे कि सिर्फ दो महीने में उनके साथ काफी छात्र जुड़ गए और उनकी साल भर की फीस का इंतजाम हो गया। लेकिन इस दौरान उन्हें पढ़ाने के बदले पैसे तो मिले ही लेकिन उन्हें एक सीख भी मिली, जिसने उनकी जिंदगी को बदल डाला।
उन्होंने कोचिंग देते वक्त देखा कि कैसे होनहार बच्चे भी फेल होकर बैठे हैं। उन्होंन बच्चों केे अंदर की काबीलियत को पहचाना और जिन बच्चों को स्कूल अक्सर फेल कर देता था उन्हें कक्षा में अव्वल आने के गुर उन्होंने सिखाए। पढ़ते-पढ़ाते उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वो इसी क्षेत्र में अपना समय देने लगे। उनके पढ़ाए कई स्टूडेंट इंजीनियरिंग और आईआईटी में दाखिला ले चुके हैं। वह लद्दाख में स्टूडेंट एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट के संस्थापक हैं जिसे 1988 में छात्रों के समूह द्वारा स्थापित किया गया था। ये पूरा संस्थान सौर ऊर्जा के साथ बनाया गया है। संस्थान में जितने भी बिजली से जुड़े काम होते हैं वो सौर ऊर्जा के द्वारा जनरेट की गई बिजली से ही होते हैं। यहां तक कि खाना पकाने के लिए भी किसी ईंधन के बजाए सौर उर्जा का प्रयोग किया जाता है।
Visionary education reformer & innovator Sonam Wangchuk @Wangchuk66 from Ladakh visits Delhi Govt School along with @msisodia
Delhi school children know him through @aamir_khan's 3 Idiots' character(Phunsukh Wangdu)
Mr Wangdu was very impressed by Govt Schools of Delhi 🙏 pic.twitter.com/r2euKr7aKA
— Ajit singh (@ajitsingh777) July 29, 2019
Real-life Phunsukh Wangdu who inspired '3 idiots' character bags Ramon Magsaysay award pic.twitter.com/vVFNxhHQDJ
— Zee News English (@ZeeNewsEnglish) August 3, 2018
Sonam Wangchuk, the inspiration behind Phunsukh Wangdu, awarded honorary D.Litt degree by Symbiosis
Also read the story here:https://t.co/LzSDH82hMs pic.twitter.com/M2Fc68vFQk— Think Change India (@ThinkChangeIND) November 14, 2018
Sonam Wangchuk, an innovator and engineer, also known as the real-life Phunsukh Wangdu, is set to help the #IndianArmy with a brilliant innovation of #Solar Hut to keep the jawans warm.@adgpi pic.twitter.com/OXNtcP65TP
— The Logical Indian (@LogicalIndians) May 18, 2018
Meet the inspiration behind Phunsukh Wangdu's character in '3 Idiots'. @Wangchuk66 is an engineer, an innovator and now a @rmafoundation awardee. Watch him open up about his struggles and his motivation pic.twitter.com/vL2StyyuTS
— WION (@WIONews) August 2, 2018
शिक्षा के साथ ही वह लद्दाख के उन ऊपरी इलाकों में गांवों तक ताजा पानी पहुंचाने का एक बेहतरीन तरीका लेकर आए हैं जो सबसे बड़ी संकट की स्थिति में थे। इसका हल उन्होंने बर्फ के स्तूप बना कर निकाला जिनसे बर्फ का पानी गर्मियों में पिघल कर गांव-कस्बों तक पहुंचाया जाता है। उन्होंने एक गैर-पारंपरिक स्कूल SECMOL की स्थापना की है, जिसने पूरे क्षेत्र में शैक्षिक सुधार लाया है और इंटरमीडिएट स्तर तक की परीक्षा देने वाले छात्रों की संख्या में सुधार हुआ है। सोनम वांगचुक ने इसे मध्यवर्ती स्तर पर शुरू किया और छात्रों को आजीविका कमाने में मदद करने के लिए बड़ी चीजों पर योजना बना रहा है।