New Delhi : पाकिस्तान कश्मीर के बच्चों के हाथ में कलम नहीं पत्थर और बंदूक देखना चाहता है, लेकिन भारतीय सेना शिक्षा की रोशनी से इसे नाकाम बना रही है। जम्मू कश्मीर में आर्मी ने 43 गुडविल स्कूल खोले हैं। इनमें बच्चों को देश भक्ति का पाठ भी पढाया जाता है ताकि वो पत्थरबाजी जैसे कामों से दूर रहें। इनमें से तीन सीबीएसई से मान्यता प्राप्त है। इन तीनों ही स्कूल का रिजल्ट 100 फीसदी रहा है। जम्मू कश्मीर के रजौरी के रहने हित्तम आयूब ने इस साल 94.2 फीसदी मार्क्स लाकर टॉप किया है।
Posted by Army Goodwill School Bandipora on Saturday, April 23, 2016
जम्मू-कश्मीर के इन गुडविल स्कूलों में करीब 15 हजार बच्चे पढ़ रहे हैं। घाटी में ये स्कूल आर्मी के सपॉर्ट के कारण अशांति के दौर में भी खुले रहते हैं। 2017 में अलगाववादियों ने आर्मी की इन स्कूलों में दी जा रही शिक्षा को निशाने पर लिया था। ज्यादातर गुडविल स्कूल जम्मू-कश्मीर के एजुकेशन बोर्ड से जुड़े हैं।दूरदराज इलाकों के कई बच्चे सेना के स्कूलों में इंजीनियर और डॉक्टर और सैन्य अधिकारी बनने के अपने सपने को साकार कर रहे हैं। ऐसे हालात में सेना ने आतंकवाद के खौफ को खत्म करने के साथ शिक्षा की उस रोशनी को भी जलाए रखा है जिसे बुझाने के लिए सीमा पार से नापाक कोशिशें हो रही हैं। गत महीने घोषित सीबीएसई के दसवीं के परिणाम में जम्मू कश्मीर के गुडविल स्कूलों का परिणाम शत प्रतिशत रहा।
General Bipin Rawat, #COAS took out time from busy schedule to visit Army Goodwill School Mazbug, #Sopore. It was a #dreamcometrue moment for students & teachers of AGS, who felt greatly inspired interacting with the COAS. "Achieve success through education"- the COAS urged them. pic.twitter.com/MO13HoOJzA
— Chinar Corps🍁 – Indian Army (@ChinarcorpsIA) August 1, 2019
जम्मू संभाग के राजौरी जिले के हित्तम अयूब 94 फीसद से अधिक अंक लेकर सबसे आगे थे। कश्मीर की जनता भी अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए गुडविल स्कूलों में दाखिले कराने के लिए बेताब रहती है।