11 साल से गर्दन तक नदी में डूबकर स्कूल जाती है ये महिला टीचर, ताकि बच्चे पढ़कर कुछ बन जायें

New Delhi : ओडिशा की 49 वर्षीय बिनोदिनी समल बच्चों को पढ़ाने के लिए रोजाना नदी पार करके विद्यालय पहुंचती है। 53 छात्रों वाले राठियापाल प्राइमरी स्कूल तक पहुंचने के लिए बिनोदिनी मानसून में गले तक भरी सापुआ नदी को पार करती हैं। बिनोदिनी कहती हैं कि उनके लिए काम मायने रखना है, पानी नहीं। रोजाना भीगने के कारण वह कई बार बीमार हुईं, लेकिन छुट्टी नहीं ली। बिनोदिनी के मुताबिक, राठियापाल प्राइमरी स्कूल उनके घर जरियापाल गांव से 3 किमी दूरी है। वह विद्यालय में गणशिक्षक (कॉन्ट्रेक्चुअल टीचर) के तौर पर पढ़ा रही हैं।

उन्हें मात्र 7000 हजार रुपए महीना वेतन मिलता है। शिक्षा विभाग ने बिनोदिनी की नियुक्ति 2000 में की थी, लेकिन वह इस विद्यालय में 2008 से पढ़ा रही हैं। पिछले 11 साल से स्कूल पहुंचने के लिए उन्हें इसी रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है। बिनोदिनी कहती हैं- मानसून में स्थिति और भी खराब हो जाती है और पानी गर्दन तक पहुंच जाता है। उनका कहना है मेरे लिए मेरा काम ही सबकुछ है, घर पर बैठकर क्या करूंगी। बतौर शिक्षक करियर शुरूआत करने पर उनका वेतनमान 1700 रुपए प्रति महीना था। नदी पर 40 मीटर लंबा पुल बनाने के लिए प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन निर्माण अब तक संभव नहीं हो पाया है।
अधिक गर्मी पड़ने पानी कम हो जाता है या सूख जाता है लेकिन मानसून और इसके बाद कई महीनों तक ऐसी ही स्थिति रहती है। स्कूल में दो शिक्षकों की तैनाती है बिनोदिनी और हेडमास्टर काननबाला मिश्रा। मानसून के दिनों में कई बार स्टूडेंट्स और हेडमास्टर स्कूल नहीं पहुंच पाते, लेकिन बिनोदिनी कभी अनुपस्थित नहीं होतीं। हाल ही में नदी पार करते वक्त विनोदिनी की तस्वीरें वायरल हुई हैं।

बिनोदिनी के मुताबिक, वह हमेशा एक जोड़ी कपड़े और मोबाइल एक प्लास्टिक बैग में रखती है और इसे सिर पर रखकर नदी पार करती हैं। स्कूल पहुंचकर पिंक यूनिफॉर्म पहनती हैं। स्विमर रहीं बिनोदिनी कई बार रास्ता पार करने के दौरान फिसलकर गिर भी चुकी हैं।

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