New Delhi : देश की वो सरकारी परीक्षा जिसे सबसे कठिन समझा जाता है, एक नेत्रहीन लड़की ने जब इस परीक्षा को पास किया तो वो बन गई देश की पहली नेत्रहीन महिला आइएएस। विपरीत परिस्थितियों में पढ़ाई कर प्रांजल पाटिल ने परीक्षा तो पास कर ली लेकिन रेंक बेहतर न होने की वजह से उन्हें वो सम्मान नहीं मिला जिसे वो चाहती थीं। इसके लिए उन्हें अलग से संघर्ष करना पड़ा जिसके बाद भी उनहें सम्मानजनक पद नहीं मिल सका।
Thiruvananthapuram's new sub collector- Pranjal Patil. India's 1st visually impaired IAS officer. "Don't give up.Keep trying. You will get that one break that you require", says Pranjal Patil.She was refused joining by IRAS, but is today a sub-collector! @ndtv pic.twitter.com/3Q22bCVt3x
— Sneha Koshy (@SnehaMKoshy) October 14, 2019
इसके लिए उन्होंने दोबारा परीक्षा देकर एक अच्छी रैंक हासिल की, जिसके बाद उन्हें केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में सब-कलेक्टर के रूप में कार्यभार दिया गया। प्रांजल महाराष्ट्र के उल्हानपुर की रहने वाली हैं। प्रांजल जन्म से नेत्रहीन नहीं थीं। जब वो 6 साल की थी तो उनके साथ एक हादसा हुआ। कक्षा में पढ़ते वक्त उनके एक साथी ने उनकी एक आंख में पेंसिल मार दी थी। छोटी उम्र में आंख का पूरी तरह विकास न हो पाने के कारण उसमें जल्दी से इंफेक्शन फैला और आंख की रौशनी चली गई।
Never be defeated, Never give up ~ Pranjal Patil
Someone has rightly said "Difficult roads often leads to beautiful destinations"
Congratulating India's 1st visually-impaired woman IAS officer Pranjal Patil as she takes charge of sub-collector in Kerala.You are an inspiration pic.twitter.com/m0XspkNbgM
— Poonamben Maadam (@PoonambenMaadam) October 15, 2019
इंफेक्शन दूसरी आंख में न फैले इसके लिए डॉक्टरों ने भरपूर प्रयास किया लेकिन जिसका डर था वही हुआ और उनकी धीरे धीरे दूसरी आंख की भी रौशनी चली गई। इसके बाद न तो प्रांजल ने अपने आप को किसे से कमतर समझा न ही उनके परिवार ने। इसके बाद प्रांजल ने अपनी सारी पढ़ाई ब्रेल और ऑडियो मेटेरियल के जरीये ही की।
‘Never be defeated, never give up’, says India's first visually challenged woman IAS officer Pranjal Patil as she takes charge as sub-collector of Thiruvananthapuram, Kerala. Watch
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— Hindustan Times (@htTweets) October 15, 2019
उन्होंने एक साधारण विद्यार्थी को जो शिक्षा दी जाती है उसी को ग्रहण किया। वो अपनी पढ़ाई ऑडियो या ब्रेल मेटेलियल के जरिए करती थी। प्रांजल ने10वीं पास कर, फिर चंदाबाई कॉलेज से आर्ट्स में 12वीं की, जिसमें प्रांजल के 85 फीसदी अंक आए। इसके बाद उन्होंने मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से राजनीति विज्ञान में ग्रेजुएशन किया। ग्रेजुएशन के दौरान ही उन्हें भारतीय सिविल सेवा के बारें में पता लगा। प्रांजल ने यूपीएससी की परीक्षा से संबंधित जानकारियां जुटानी शुरू कर दीं।
Heartiest congratulations to Pranjal Patil, India’s first visually challenged IAS officer for taking charge as Asst Collector of Ernakulam.
Her story of strength & determination will certainly inspire every candidate aiming to clear UPSC exams.
Hope to meet her some day. pic.twitter.com/rYGqMdu0Ul— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) June 5, 2018
इसके बाद उन्होंने परीक्षा की तैयारी के साथ-साथ एम.ए करने का मन बनाया। एम.के लिए उन्होंने जेएनयू का एंट्रेस दिया जो कि क्लियर हो गया। यहां से उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में एम.ए किया। इसके बाद 2016 में उन्होंने पहले ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास कर ली। जिसमें उन्हें 773वीं रैंक मिली।
Pranjal Patil, first visually challenged woman IAS officer, takes over as Sub-Collector of Thiruvananthapuram. Truly proud. #RoleModel https://t.co/4H43Tb2WKQ
— IAS Association (@IASassociation) October 16, 2019
Despite the setbacks, India’s first visually challenged woman IAS officer, Pranjal Patil, never lost sight of her capabilities. She appeared for the civil services exam twice, and cracked it both time. On October 14, she took charge as the sub collector of Thiruvanantapuram. 👏 pic.twitter.com/YDCeZ1kR0h
— Brut India (@BrutIndia) October 16, 2019
रैंक के हिसाब से उन्हें तब भारतीय रेलवे खाता सेवा में नौकरी का प्रस्ताव मिला लेकिन दृष्टिहीनता के कारण उन्हें नौकरी नहीं दी गई। जिसके लिए उन्होंने कुछ कानूनी कार्रवाई भी की लेकिन इससे कुछ लाभ नहीं हुआ। वे बेहद निराश थीं लेकिन उन्होंने हार मानने की जगह दोबारा प्रयास करने की ठानी।
Pranjal Patel takes charge as collector!! Pranjal is the first women IAS with vision impairment https://t.co/Zc9C87FQlo
— P Rajasekharan (@rajavshesh) October 14, 2019
अगले ही साल वह 124वीं रैंक लेकर आईं और उनकी सफलता ने सभी पूर्वागृहों को जवाब दे दिया। उन्हें प्रशिक्षण अवधि के दौरान एर्नाकुलम सहायक कलेक्टर नियुक्त किया गया था। जिसके बाद अब उन्हें केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में सब-कलेक्टर के रूप में कार्यभार दिया गया।