New Delhi : कंप्यूटर और मोबाइल के ज़माने के आज के बच्चे जो लिखना तो दूर पढने से भी कतराते हैं। वे हर चीज विजुअल देखना ज्यादा पसंद करते हैं। ये बच्चे कॉपी पेस्ट करने के इतने आदि हो चुके हैं कि लिखना इनके लिए अच्छी खासी सिरदर्दी है। ऐसे बच्चों को लिखने की आदत दिलवाने के लिए बाजार में बहुत कोचिंग संस्थान हैं जो लिखना ही नहीं बल्कि उसे कलात्मक ढंग से लिखने का भी प्रशिक्षण दे रहे हैं। वैसे तो ज्यादातर लोग एक ही हाथ से लिखना जानते हैं लेकिन आपको यह जानकर बहुत अचरज होगा कि भारत में एक स्कूल ऐसा भी है जहाँ के बच्चों को दोनों हाथों से लिखने का हैरतअंगेज काम सिखाया जाता है।
How cool is this! Veena Vadini School in Madhya Pradesh is India’s first and only school where children are trained to be ambidextrous. #OMGIndia #IndiaKaNayaFilter #FullStory pic.twitter.com/PiUSpY8jJ0
— HISTORY TV18 (@HISTORYTV18) June 9, 2018
मध्य प्रदेश के सिंगरौली का वीणा वादिनी स्कूल देश का पहला ऐसा अनोखा स्कूल है जहाँ बच्चों को पढाई के साथ -साथ इस हुनर की भी शिक्षा दी जाती है। इनकी रफ़्तार भो ऐसी दंग करने वाली है कि और बच्चे जिस काम को करने में घंटों लगा देते हैं उस काम को यहाँ के बच्चे पलक झपकते ही पूरा कर देते हैं। इससे भी ज्यादा आश्चर्य की बात ये है कि एक ही समय में दोनों हाथों से अलग- अलग भाषा में लिखना इन बच्चों के खेल बन कर रह गयी है ।
पारम्परिक शिक्षा से हटकर वीरांगद प्रताप शर्मा ने देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद से प्रेरित होकर इस स्कूल की स्थापना की थी। यह तब की बात है जब उन्होंने कहीं पढ़ा था कि पूर्व राष्ट्रपति दोनों हाथों से लिखते थे ।यह जानकर उन्होनें ठान लिया कि वे इस अद्भुत विधा का परिचय नयी पीढ़ी से अवश्य करवाएँगे।इस क्रम मे इतिहास को खंगालना जब उन्होंने शुरू किया तब एक और नयी बात सामने आयी कि प्राचीन नालंदा विश्र्वविद्यालय के छात्र औसतन प्रतिदिन 32000 शब्द लिखने की क्षमता रखते थे। इस नये तथ्य को जानकर वे काफी उत्साहित हुए और 8 जुलाई 1999 को उन्होंने इस विद्यालय को स्थापित किया।
Veena Vadini Public School, District: Sangrauli (MP) here: Not one but More than 150 students can write with both their hands that also at the same time and this is India's only Ambidextrous School. #YpssSpeaksForIndia #YPSSSNM pic.twitter.com/8QbHA2CIs0
— SAHIL SALDI (@SaldiSahil) August 13, 2020
इस स्कूल में दाखिला लेने वाले बच्चों को पहले एक हाथ से लिखने का प्रशिक्षण दिया जाता है उसके बाद दूसरे हाथ में कलम थमा दिया जाता है। ताकि वे दूसरे हाथ से भी उतनी ही दक्षता से लिख सकें जितना की पहले हाथ से वे लिखते हैं ।कुछ चीज़ें इश्वर प्रदत्त होती हैं और कुछ को इंसान अपने अभ्यास से न सिर्फ सीखता है बल्कि उसका मास्टर भी वह हो जाता है। इसी सोंच के साथ उनको इसकी ट्रेनिंग हर क्लास में लगभग 15 मिनट की तो जरुर दी जाती है। एक बात और जो इन्हें आम स्कूल के बच्चों से बिलकुल अलग करती है वह यह कि इस विद्यालय में पढने वाले हर बच्चे को 80 तक का पहाड़ा भी एकदम कंठस्थ है । इस अजूबे काम को सीखने के लिए एकाग्रता की आवश्यकता होती है जिसको योग के माध्यम से पूरा किया जाता है । अतः यहाँ योग की ट्रेनिंग भी अनिवार्य रूप से दी जाती है ।
लीक से अलग शिक्षा देने की वीपी शर्मा की इस जिद को यहाँ के बच्चे न सिर्फ बखूबी अंजाम दे रहे हैं अपितु आज के भेड़चाल से अलग एक हैरतंगेज़ उदाहरण के रूप में भी पेश कर रहे हैं। इस स्कूल में दाखिला लेने वाले बच्चों को पहले एक हाथ से लिखने का प्रशिक्षण दिया जाता है उसके बाद दूसरे हाथ में कलम थमा दिया जाता है।ताकि वे दूसरे हाथ से भी उतनी ही दक्षता से लिख सकें जितना की पहले हाथ से वे लिखते हैं । उनको इसकी ट्रेनिंग हर क्लास में लगभग 15 मिनट की तो जरुर दी जाती है।एक बात और जो इन्हें आम स्कूल के बच्चों से बिलकुल अलग करती है वह यह कि इस विद्यालय में पढने वाले हर बच्चे को 80 तक का पहाड़ा भी एकदम कंठस्थ है।
इस अजूबे काम को सीखने के लिए एकाग्रता की आवश्यकता होती है जिसको योग के माध्यम से पूरा किया जाता है। अतः यहाँ योग की ट्रेनिंग भी अनिवार्य रूप से दी जाती है। लीक से अलग शिक्षा देने की वीपी शर्मा की इस जिद को यहाँ के बच्चे न सिर्फ बखूबी अंजाम दे रहे हैं अपितु आज के भेड़चाल से अलग एक हैरतंगेज़ उदाहरण के रूप में भी पेश कर रहे हैं।